Newslaundry Hindi
एनएल चर्चा 136: हाथरस की पीड़िता, बाबरी मस्जिद विध्वंस और कोरोना पॉजिटिव डोनाल्ड ट्रंप
यहां क्लिक कर डाउनलोड करें और ऑफलाइन सुने पूरा पॉडकॉस्ट.
एनएल चर्चा के 136वें एपिसोड में हाथरस गैंगरेप पीडिता के साथ पुलिस की मनमानी और आनन-फानन में किया गया अंतिम संस्कार, एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर दिन होता है 87 रेप, देश में बढ़ते कोरोना के मामले, चीन द्वारा एलएसी को खारिज करना, बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी आरोपियों की रिहाई, और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों की पहली डिबेट के बाद राष्ट्रपति ट्रंप हुए कोरोना संक्रमित.
इस बार की चर्चा में फेमिनिस्ट टास्क फ़ोर्स की ग्लोबल मेंबर बिराज स्वेन, न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन और शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. चर्चा का संलाचन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने डोनाल्ड ट्रंप के भाषण से शुरुआत करते हुए कहा, “ट्रंप ने जिस तरह से डिबेट में भारत का जिक्र किया, वह नकारात्मक है. भारत कोरोना के मरीज़ों की संख्या छुपा रहा है. जबकि भारत के प्रधानमंत्री ने अमेरिका जाकर ट्रंप के लिए एक तरह से चुनाव प्रचार किया था, उसी तरह भारत में उनको बुलाकर गुजरात में सभा कराई, क्योंकि भारतीय गुजराती अमेरिका में काफी ताकतवर हैं. इसके बावजूद ट्रंप द्वारा भारत पर लांछन लगाना एक तरह से मोदी की सभी कोशिशों पर पानी फेरने वाली बात है.”
आनंद को चर्चा में शामिल करते हुए अतुल कहते है, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप की इतनी मुलाकातों के बाद भी इस तरह से भारत पर आरोप को आप कैसे देखते हैं. और दूसरी बात चीन के साथ भी वैसा ही चल रहा है.”
इस पर आनंद कहते है, “ट्रंप का ऐसा कहना मुझे लगता हैं चुनावी मजबूरी भी है. क्योंकि अमेरिका में कोरोना केसेस मामले में सबसे ज्यादा है. इसलिए वह राजनीतिक तौर पर अपने वोटबैंक को खुश करने के लिए ऐसा कह रहे होंगे. वह इससे पहले भी भारत के खिलाफ ऐसे बयान दे चुके है, जहां उन्हें राजनीतिक तौर पर फायदा होता है.”
चीन के मुद्दे पर आनंद कहते हैं, “चीन के साथ भारत इस इलाके में बड़ी ताकत है. दोनों देशों के रिश्ते हमेशा से ही ऐसे रहे हैं. रही बात बैठक और मुलाकातों की तो, वह दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्तों के कारण होती रहती है, जिसमें भाग लेना पड़ता है.”
इस पर बिराज कहती हैं, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका और चीन के साथ व्यक्तिगत तौर बहुत जुड़ने की कोशिश की, लेकिन हमें दोनों देशों से निराशा हाथ लगी है. हम इसका उदाहरण अमेरिका से देख सकते हैं, जहां इतने अच्छे रिश्ते होने के बावजूद भी एच-1 वीजा को कोटा नहीं बढ़ा. खाड़ी के देशों में जहां भारत के सबसे ज्यादा मजदूर, मजदूरी करने के लिए जाते है, वहां उनकी क्या स्थिति है? उन देशों के साथ भारत ने रिश्ते मजबूत करने की कोशिश नहीं की. व्यक्तिगत तौर पर प्रधानमंत्री के रिश्ते कितने ही अच्छे क्यों ना हो, लेकिन कूटनीतिक तौर पर हमें सफलता नहीं मिलती हुई दिखाई दे रही है, जिसकी हमें समीक्षा करना चाहिए.”
अतुल ने चर्चा को आगे बढ़ते हुए हाथरस गैंगरेप मामले की बात की. उन्होंने कहा, "20 वर्षीय युवती का कथित तौर पर गैंगरेप हुआ. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट जो अभी बता रही है उसमें रेप का ज़िक्र है लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस का दावा है की बलात्कार नहीं हुआ. खैर, उसके बाद उसकी दिल्ली में इलाज़ के दौरान मौत हो गई और परिवार का दावा है कि उसके साथ रेप हुआ. इसके इतर अगर प्रदेश में कानून व्यवस्था देखें तो वह लचर है.”
बिराज से सवाल करते हुए अतुल कहते हैं, "महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार, ये उत्तर प्रदेश के मामले में हम आज देख रहे हैं. कभी किसी प्रदेश, अभी राजस्थान से भी खबर आई है. लेकिन दलित महिलाओं के साथ होने वाले इस तरह के मामले को अलग नजरिए की जरूरत है. आपका गरीब होना बड़ा अभिशाप है. गरीब, महिला होना उससे बड़ा अभिशाप है और गरीब दलित महिला होना शायद इस देश में सबसे बड़ा अभिशाप है."
इसके जवाब में बिराज कहती हैं, "ये आपने बिल्कुल सही बोला, जब वंचित वर्ग की तीनों आइडेंटिटी एक साथ आते है ये इससे बड़ा घोर अभिशाप शायद कोई भी हो सकता. दलित होना, गरीब होना और महिला होना और भारत का हम अपने जितना भी कल्चर के बारे में बोले लेकिन असली पाप है कास्ट सिस्टम. दुख की बात हैं कि उसके बारे में आज कल हमारे शहर के फेमिनिस्ट भी इस पर बात नहीं कर रहे हैं. जैसे हम कोई कास्टलेस, क्लासलेस सोसाइटी में रह रहे हैं. तो पहला चीज़ जो आपने बोला कि इसके एफ़आईआर का होना, मुझे लगता है जैसे अमेरिका में ब्लैक लाइफ मैटर्स में बार-बार विक्टिम नाम लिया जाता है वैसे ही मुझे लगता है हमारे जन आंदोलन में भी हमे विक्टिम्स का नाम बार बार लेना पड़ेगा."
शार्दूल से इस मुद्दे पर बात करते हुए अतुल पूछते हैं, "उत्तर प्रदेश में 1463 थाने हैं और लगभग 50 प्रतिशत थानों में राजपूत थानेदार हैं. ये जो जातिगत आधार पर प्रशासन चलाने का तरीका है. इस मामले में हर मुख्यमंत्री और पार्टी इसी तरह काम करती हैं. यह जगजाहिर हैं कि इस तरह के जातीय प्रशासन से राज्य के संलाचन में कोई मदद नहीं मिलती लेकिन राजनीतिक तौर पर जरूर मदद मिलती है, शायद इसलिए इतने बढ़े पैमाने पर यह नियक्तियां की जाती हैं.”
शार्दूल कहते हैं, "ये एक करण है मेरी नज़र में. आपने कारण बताया कि हर कोई अपने अपने जातिगत धड़ों को सबल बनाता है जब वो सरकार में आता है. ये इसको कहने का सबसे आसान तरीका है लेकिन सबल बनाने का ये मतलब नहीं के आप बाकी लोगों को प्रताड़ित करें, लेकिन यह होता है. हमने पहले भी पुलिसिया रिफ़ॉर्म पर चर्चा की है, अगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह रिफ़ॉर्म किया जाएगा तो शायद यह दिक्कत नहीं आएगी."
अन्य विषयों के लिए पूरी चर्चा सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
क्या देखा पढ़ा और सुना जाए.
रेफरेंस
न्यूजलॉन्ड्री पर प्रकाशित हाथरस से ग्राउंड रिपोर्ट - पार्ट 1 और पार्ट 2
उत्तर प्रदेश सरकार का नया आदेश - ऑपरेशन दुराचारी
सलाह और सुझाव
बिराज स्वेन
सेबली सैमुअल का लेख- वाट शी वोर
न्यूज़लॉन्ड्री पर प्रकाशित लेख - वैन मैन डू ऑल द टांकिग ऑन टीवी
आनंद वर्धन
एमजे अकबर की किताब- गांधी हिंदुइज्म: द स्ट्रगल अगेन्स्ट जिन्नास इस्लाम
शार्दूल कात्यायन
पी साईनाथ का लेख - अ दलित गोज टू कोर्ट
माधव आचार्य की किताब - सर्व दर्शन संग्रह
अतुल चौरसिया
Also Read
-
‘They call us Bangladeshi’: Assam’s citizenship crisis and neglected villages
-
Why one of India’s biggest electoral bond donors is a touchy topic in Bhiwandi
-
‘Govt can’t do anything about court case’: Jindal on graft charges, his embrace of BJP and Hindutva
-
Reporter’s diary: Assam is better off than 2014, but can’t say the same for its citizens
-
‘INDIA coalition set to come to power’: RJD’s Tejashwi Yadav on polls, campaign and ECI