Newslaundry Hindi
जी न्यूज़ और इंडिया टीवी ने मांगी माफी जबकि आजतक ने नहीं दिखाया माफीनामा
सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिपोर्टिंग के नियमों का उल्लंघन करने के मामले में एनबीएसए द्वारा सुनाए गए फैसले का आजतक ने पालन नहीं किया. वहीं जी न्यूज़ और इंडिया टीवी ने इस फैसले को मानते हुए चैनल पर माफीनामा प्रसारित किया.
6 अक्टूबर को सुनाए गए फैसले में ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) ने आजतक, जी न्यूज़, इंडिया टीवी और न्यूज़ 24 को सुशांत सिंह मामले में की गई रिपोर्टिंग का दोषी पाया था.
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद चैनलों द्वारा टैगलाइन और टिकर में उपयोग की गई भाषा के खिलाफ सौरभ दास, रितुजा पाटिल, वरून सिंघला, पुलकित राठी, निलेश नवलखा और इंद्रजीत घोरपड़े ने अलग-अलग शिकायतें चैनलों के खिलाफ की थीं.
इस फैसले के बाद संस्था ने 24 अक्टूबर को तीनों चैनलों को पत्र लिखते हुए माफी का शब्द और समय बताते हुए इन्हें टीवी पर प्रसारित करना था.
एनबीएसए ने आज तक को 27 अक्टूबर को रात 8 बजे, जी न्यूज और इंडिया टीवी को 27 अक्टूबर को रात 9 बजे माफ़ी मांगने के लिए कहा था. जिसका पालन करते हुए जी न्यूज़ और इंडिया टीवी ने माफीनामा चलाया. लेकिन आजतक ने माफीनामा प्रसारित नहीं किया.
जब हमने एनबीए के सेक्रेटरी ऐनी जोसफ से आजतक के माफीनामा प्रसारित नहीं करने का सवाल किया तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया और फोन काट दिया.
बता दें कि न्यूज़ 24 को एनबीएसए ने 29 तारीख को माफीनाम प्रसारित करने को कहा है.
वहीं एक अन्य मामले में एनबीएसए ने टाइम्स नाउ को लेखिका और समाजिक कार्यकर्ता संजुक्ता बसु के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी प्रसारित करने के मामले में माफीनामा प्रसारित करने को कहा था, जिसे चैनल ने तय समय पर प्रसारित किया.
गौरतलब है कि सुशांत सिंह राजपूत के मामले में न्यूज चैनलों द्वारी की गई रिपोर्टिंग पर जहां एनबीएसए ने अपने सदस्य चैनलों को माफीनामा प्रसारित करने को कहा है तो वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट में रिपब्लिक टीवी के खिलाफ कई याचिका दायर की गई हैं, जिसकी सुनवाई अभी जारी है.
अपडेट: आजतक चैनल ने 28 अक्टूबर को सुशांत सिंह मामले में की गई रिपोर्टिंग पर माफीनाम प्रसारित किया.
Also Read
-
Dec 25, 2025: Delhi struggles with ‘poor’ AQI as L-G blames Kejriwal
-
In India, Christmas is marked by reports of Sangh-linked organisations attacking Christians
-
Is India’s environment minister lying about the new definition of the Aravallis?
-
लैंडफिल से रिसता ज़हरीला कचरा, तबाह होता अरावली का जंगल और सरकार की खामोशी
-
A toxic landfill is growing in the Aravallis. Rs 100 crore fine changed nothing