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सामाजिक सद्भाव और भाईचारे की बात का दावा करने वालों पर साजिश के आरोप
बुधवार दोपहर लगभग दो बजे जब हम नई दिल्ली के जामिया नगर स्थित गफ्फार मंजिल इलाके में "ख़ुदाई ख़िदमतगार" संस्था पहुंचे तो वहां ताला लटका हुआ था. गेट पर एक बोर्ड लगा था जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में अंग्रेजी में “सबका घर” लिखा था. साथ ही नीचे लिखा था, “खुदाई खिदमतगार का सामाजिक सद्भाव और राष्ट्र निर्माण प्रस्ताव. जाति, धर्म, लिंग आदि के नाम पर मारे गए लोगों को समर्पित.” यही खुदाई खिदमतगार का मुख्य ऑफिस है.
दरअसल तीन- चार दिन पहले ये संस्था तब अचानक से चर्चा में आ गई जब इसके राष्ट्रीय संयोजक फैसल खान सहित दो लोगों की मथुरा के नंदगांव स्थित नंद बाबा मंदिर में नमाज पढ़ते हुए सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो गई. उस वक़्त उनके दो अन्य साथी नीलेश गुप्ता और आलोक रतन भी वहां मौजूद थे. फोटो वायरल होते ही हिंदूवादी नेता और कुछ दूसरे लोगों ने इस पर आक्रोश दिखाया और इसे साजिश करार दिया. तथाकथित राष्ट्रवादी चैनल और एंकरों ने भी इस मुद्दे को एकदम से लपक लिया और वे इसे साजिश और सदभावना बिगाड़ने के तौर पर पेश करने की कोशिश करते नजर आए. ट्वीटर पर इसे जिहाद से जोड़कर भी पेश किया गया.
मामले के तूल पकड़ने पर सेवायत कान्हा गोस्वामी की तहरीर पर थाना बरसाना पुलिस ने खुदाई खिदमतगार संस्था के फैजल खान, चांद मोहम्मद, आलोक रतन और नीलेश गुप्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 153A, 295 और 505 सहित अन्य धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी. इसके बाद पुलिस ने फैसल खान को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया और उन्हें मथुरा ले गई. फिलहाल उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. जिस कारण उन्हें 14 दिन के लिए एक अस्पताल में क्वारंटीन कर दिया गया है. बाकि लोगों की तलाश जारी है.
वीडियो पर विवाद के बाद अपनी गिरफ्तारी से पहले फैसल खान ने कुछ मीडिया संस्थानों से बातचीत में कहा कि वे चार लोग 84 कोस की सद्भावना यात्रा कर रहे थे. यात्रा के समापन के बाद जब वे नंदबाबा के मंदिर में पहुंचे तो पुजारियों की मंज़ूरी के बाद उन्होंने नमाज पढ़ी थी. उन्हें तो अब पता चला है कि हमारे ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज हुआ है. उस समय तो पुजारी उनसे प्रसन्न थे, वो सीधे-सादे आदमी हैं और जरूर किसी दबाव में होंगे.
कौन है फ़ैसल खान और ख़ुदाई ख़िदमतगार
फ़ैसल ख़ान "ख़ुदाई ख़िदमतगार" नाम की सामाजिक संस्था को पुनर्जिवित करने वाले फाउंडिंग मेम्बर में से हैं. संस्था का गठन स्वाधीनता आंदोलन के दौरान गांधीवादी नेता ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार खान ने किया था. यह संस्था शांति, भाईचारा और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए काम करने का दावा करती है. इससे जुड़े लोग गांधी की विचारधारा में विश्वास करने का दावा भी करते हैं. इसी के तहत संस्था से जुड़े लोग देशभर में भ्रमण करते रहते हैं. वे इससे पहले भी ऐसी यात्राएं कर चुके हैं. पिछले साल भी इन्होंने दिल्ली से कोलकाता तक साइकिल से सामाजिक सदभाव यात्रा निकाली थी. और बाकि उनके तीनों साथी भी इसी के साथ जुड़े हुए हैं.
यात्रा के पमफ्लेट के मुताबिक, इसी कड़ी में फैसल खान ने खुदाई खिदमतगार की तरफ से अपने तीन अन्य साथियों के साथ 26 से 29 अक्टूबर तक मथुरा से वृंदावन तक साइकिल से “बृज 84 कोसी परिक्रमा” की थी. ये यात्रा सर्वधर्म समभाव, प्रेम, करुणा और धार्मिक सहिष्णुता के उद्देश्य की थी, जो 40 से ज्यादा जगहों से होती हुई आई थी. और वे अन्य मंदिरों में भी गए और वहां उनकी प्रसाद खाते, और सोने की तस्वीरें भी प्राप्त हुईं.
48 वर्षीय फ़ैसल ख़ान यूपी में फर्रुख़ाबाद ज़िले के कायमगंज के रहने वाले हैं. इन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम करना शुरू कर दिया. पढ़ाई के दौरान ही वे मेधा पाटेकर और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर संदीप पांडेय जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ गए थे. उन्हें सांप्रदायिक सौहार्द, भाईचारा पर काम करने के लिए आईटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर ने इसी साल दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन “बादशाह खान मैमोरियल अवॉर्ड” से सम्मानित किया था. जिसमें एक लाख रुपये की सम्मान राशि, प्रशस्ति- पत्र, अंगवस्त्र और श्रीफल दिया जाता है.
इसके अलावा साल 2018 में मोरारी बापू भी इन्हें “राष्ट्रीय सदभावना मिशन” अवॉर्ड से सम्मानित कर चुके हैं. 2017 में द वायर की पत्रकार संगीता बारू को फैसल खान और खुदाई खिदमतगार के एक अन्य साथी कुश कुमार सिंह के सांप्रदायिक सौहार्द के योगदान पर किए गए काम पर स्टोरी करने के लिए देश का प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड भी मिला था. यही नहीं फ़ैसल ख़ान अयोध्या में दोराही कुआं स्थित सर्वधर्म सद्भाव केन्द्र के न्यासी भी हैं.
हमने इस संस्था के कामकाज और इसके उद्देश्य और इस विवाद को जानने के लिए खुदाई खिदमतगार के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन यादव से बात की. पवन ने बताया, “साल 2010-11 में फैसल खान ने हम और कुछ लोगों के साथ ख़ुदाई ख़िदमतगार नाम की इस संस्था को पुनर्जिवित करने का काम किया. गफ़्फ़ार खान जो, सांप्रदायिक सौहार्द के सबसे बड़े प्रतीक हैं, उसी आइडियोलॉजी को आगे बढ़ाने का हमने निश्चय किया. साल 2015 में गफ़्फ़ार मंज़िल इलाके में फ़ैसल खान ने हमारे सबके सहयोग से "सबका घर" नाम से एक घर बनवाया, इसका उद्घाटन जस्टिस राजेंदर सच्चर ने किया था. यहां तमाम धर्मों के लोग न सिर्फ़ एक साथ रहते हैं बल्कि अपने-अपने धर्मों का पालन करते हुए अन्य धर्मों के त्योहार, दीवाली, क्रिसमस, ईद मिल-जुलकर मनाते हैं.”
“इसमें शुरू में फैसल खान अन्य साथियों के साथ कभी पैदल, कभी साइकिल से जागरुकता यात्रा निकलते थे, लोगों को पर्चे बांटते थे. हरिद्वार में गंगा यात्रा भी निकाली थी. और काफी असफलता भी इस दौरान मिली. इससे पहले भी हम मंदिर मस्जिदों में रुकते रहे हैं. और वे बहुत धार्मिक आदमी हैं, जो पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं. लेकिन दूसरे धर्मों को जानने के बारे में भी बहुत इच्छा रखते हैं.”
विवाद के बाद फैसल की इस यात्रा का नंदबाबा मंदिर का एक और वीडियो भी सामने आया है जिसमें मंदिर के पुजारी कान्हा गोस्वामी, जिन्होंने एफआईआर कराई है फैसल से काफी खुश नजर आ रहे हैं. उनकी तारीफ और उनसे रुककर भोजन करने के लिए भी कह रहे हैं. अन्य मौजूद लोग भी उनसे रुकने की अपील कर रहे हैं.
वीडियो में फैजल ब्रज और श्री कृष्ण की तारीफ करते हुए सुनाई पड़ रहे हैं. सेवायत कान्हा और अन्य लोगों को बता रहे हैं कि दिल्ली से आने के बाद 26 अक्टूबर से उन्होंने साइकिल से ब्रज 84 कोस की यात्रा शुरू की और सभी मंदिरों के दर्शन किए. वह कहते हैं कि ब्रज की धरती पर प्रेम है, उस प्रेम को यहां लोगों के चेहरे पर महसूस किया है. ब्रज में जो प्रेम है वो बोलने से नहीं चेहरों से ही दिख जाता है. अपनी यात्रा को लेकर वह कहते दिख रहे हैं कि बहुत से लोगों ने कहा यह समय सही नहीं है तो मैंने कहा ये ही समय सही है, इस समय देश को और दुनिया को पूरे भारत के जरिए सद्भावना और मोहब्बत की वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश देने की जरूरत है. धर्म को लेकर वो कहते नजर आ रहे हैं कि धर्म यदि सत्य है तो वो जोड़ेगा. अंत में वीडियो में उन्हें प्रसाद देते हुए भी नजर आ रहे हैं.
दूसरी ओर मंगलवार की सुबह कुछ स्थानीय युवाओं ने नंदबाबा मंदिर के बाहर सेवायतों के खिलाफ लापरवाही पर नारेबाजी और प्रदर्शन भी किया है. प्रदर्शन के चलते करीब 10 मिनट तक मंदिर के पट बंद रहे. पुलिस ने समझा-बुझाकर युवाओं को लौटाया.
कान्हा गोस्वामी ने दर्ज कराई एफआईआर में आरोप लगाया है कि 29 अक्टूबर को दोपहर करीब साढ़े 12 बजे फैजल खान और चांद मोहम्मद जो दिल्ली के खुदाई खिदमतगार संस्था के सदस्य हैं, इसी संस्था के आलोक रतन और नीलेश गुप्ता के साथ यहां आए. और मुस्लिम युवकों ने बिना अनुमति लिए और बिना जानकारी के मंदिर प्रांगण में नमाज अदा की और नमाज पढ़ते हुए के अपने फोटो अपने साथियों से सोशल मीडिया पर वायरल कराए. इनके इस कृत्य से हिन्दू समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं और आस्था को गहरी चोट पहुंची है. इस कारण इस मामले की जांच कर उचित कार्यवाही की जाए.
हमने सेवायत कान्हा गोस्वामी से इस मामले को फोन पर जानने की कोशिश की. कान्हा ने कहा, “वे यहां आए थे, उनमें से एक ने हरी टोपी लगाई थी. मैंने उनसे पूछा, तो उन्होंने बताया कि हम 84 कोसी परिक्रमा कर रहे हैं. मुझे बहुत अच्छा लगा, और मैंने उन्हें बुलाया. उनसे बातचीत में उन्होंने हमारे भगवान के बारे में काफी अच्छी बातें की और मुझे बहुत अच्छा लगा कि ये सनातन धर्म की जानकारी और सांप्रदायिक सौहार्द का काम कर रहे हैं. इसके बाद मैंने उनसे ये बोला कि आप भोजन करके जाना लेकिन उन्होंने जाने के लिए बोला. मैंने उन्हें प्रसाद भी दिया और वे प्रसाद लेकर निकल गए. और मैं भोग लगवाने अंदर चला गया.”
कान्हा आगे बताते हैं, “हमें तो इसका पता ही नहीं था. एक नवंबर को हमें फोटो मिले तो हमने देखा. उसमें लिखा था कि हमने अनुमति से नमाज पढ़ी, लेकिन ये झूठ है, हमसे नमाज के लिए इजाजत नहीं ली. अगर वो नमाज के लिए कहते तो हम मंदिर नहीं तो आस-पास में कहीं इंतजाम जरूर करा देते. मंदिर के चौकीदार ने इन्हें टोका भी है, जो खुद मुस्लिम है. और पता नहीं इन्होंने नमाज भी पढ़ी या सिर्फ फोटो खिंचा कर वायरल किए, ये भी नहीं पता.”
इस केस में किसी तरह के दवाब पर कान्हा ने कहा, “हमारे ऊपर किसी तरह का कोई दबाव नहीं है.” संस्था के पवन इन आरोपों पर कहते हैं, “इस बार भी फैसल खान ब्रिज में 84 कोसी यात्रा कर रहे थे. और इस दौरान ब्रिज में जितने भी मंदिर पड़े, सभी में रुके, दर्शन किए, प्रसाद लिया और मंदिर में सोए भी हैं. और नंद बाबा मंदिर में भी गए, ये अंतिम पड़ाव था. इजाजत ली, बातचीत की और इसका वीडियो खुद एफआईआर वाले पुजारी की वॉल से ही वायरल है जिसमें वे लोग काफी खुश नजर आ रहे हैं. इसके बाद ये 29 अक्टूबर को दिल्ली वापस आ गए. धोखे की तो कोई बात ही नहीं है. सारे आरोप बेबुनियाद हैं.”
“हमें तो एक नवंबर को पता चला कि एफआईआर की है. फैसल खान ने मीडिया को बयान भी दिया कि धोखे से हम नमाज क्यों करेंगे. अब वे मना कर रहे हैं, तो वे जाने. हो सकता है उनके ऊपर कोई स्थानीय दबाव हो! अब हम उनके खिलाफ भी कुछ नहीं कहना चाहते. क्योंकि वे दबाव में, चाहते हुए भी कुछ नहीं कह सकते. फिर मथुरा पुलिस यहां से ले गई और तीन नवंबर को उन्हें लोअर कोर्ट में पेश किया गया. तो कोरोना पॉजिटिव होने के कारण अभी तो वे किसी स्थानीय अस्पताल में क्वारंटीन हैं. हमारे कई सदस्य मथुरा गए थे लेकिन किसी की कोई मुलाकात नहीं हो पाई है,” पवन ने कहा.
मथुरा के बरसाना थाने के एसएचओ एपी सिंह ने फोन पर हुई बातचीत में हमें बताया कि अभी इस मामले की जांच चल रही है. फैसल खान का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया है तो उन्हें यहीं मेडिकल कॉलेज में क्वारंटीन कर दिया गया है. बाकि धारा 420, 67, 68, 71, 153, 295, 505 में उन पर केस दर्ज किया गया है और केस की जांच चल रही है.
अंत में पवन यादव कहते हैं, “अब हमारा तो यही स्टैंड है कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है और फिर भी अगर किसी को ठेस पहुंची है तो हम बड़ी विनम्रता से माफी मांगते हैं. और हमारा या फैसल खान का कभी भी ये उद्देश्य नहीं रहा. आप हमारी हिस्ट्री देख सकते हैं. कोविड में भी हमने जो दान किया था तो उसका नाम भी “स्वामी विवेकानंद कोविड फूड बैंक” रखा था. रही बात पैसे की, तो विदेशी फंडिंग तो है ही नहीं. और फैसल भाई की टैग लाइन है कि हम चंदा नहीं बंदा लेते हैं. दो दशक से ये इस काम को कर रहे हैं. और इनकी स्टोरी जापान, अमेरिका तक में छप चुकी हैं. कभी कोई बांटने वाली बात की ही नहीं. इनकी पूरी प्रोफाइल ओपन है, कभी भी कोई भी जाकर देख सकता है. जिस इंसान की जिंदगी सामाजिक सद्भाव, प्रेम, भाइचारे को बढ़ावा देने में गुजरी हो, वह साजिश की बात कैसे सोच सकता है.”
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