सामाजिक सद्भाव की बात करने वाले फैसल खान को मथुरा के मंदिर में नमाज पढ़ने के चलते 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
कान्हा गोस्वामी ने दर्ज कराई एफआईआर में आरोप लगाया है कि 29 अक्टूबर को दोपहर करीब साढ़े 12 बजे फैजल खान और चांद मोहम्मद जो दिल्ली के खुदाई खिदमतगार संस्था के सदस्य हैं, इसी संस्था के आलोक रतन और नीलेश गुप्ता के साथ यहां आए. और मुस्लिम युवकों ने बिना अनुमति लिए और बिना जानकारी के मंदिर प्रांगण में नमाज अदा की और नमाज पढ़ते हुए के अपने फोटो अपने साथियों से सोशल मीडिया पर वायरल कराए. इनके इस कृत्य से हिन्दू समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं और आस्था को गहरी चोट पहुंची है. इस कारण इस मामले की जांच कर उचित कार्यवाही की जाए.
हमने सेवायत कान्हा गोस्वामी से इस मामले को फोन पर जानने की कोशिश की. कान्हा ने कहा, “वे यहां आए थे, उनमें से एक ने हरी टोपी लगाई थी. मैंने उनसे पूछा, तो उन्होंने बताया कि हम 84 कोसी परिक्रमा कर रहे हैं. मुझे बहुत अच्छा लगा, और मैंने उन्हें बुलाया. उनसे बातचीत में उन्होंने हमारे भगवान के बारे में काफी अच्छी बातें की और मुझे बहुत अच्छा लगा कि ये सनातन धर्म की जानकारी और सांप्रदायिक सौहार्द का काम कर रहे हैं. इसके बाद मैंने उनसे ये बोला कि आप भोजन करके जाना लेकिन उन्होंने जाने के लिए बोला. मैंने उन्हें प्रसाद भी दिया और वे प्रसाद लेकर निकल गए. और मैं भोग लगवाने अंदर चला गया.”
कान्हा आगे बताते हैं, “हमें तो इसका पता ही नहीं था. एक नवंबर को हमें फोटो मिले तो हमने देखा. उसमें लिखा था कि हमने अनुमति से नमाज पढ़ी, लेकिन ये झूठ है, हमसे नमाज के लिए इजाजत नहीं ली. अगर वो नमाज के लिए कहते तो हम मंदिर नहीं तो आस-पास में कहीं इंतजाम जरूर करा देते. मंदिर के चौकीदार ने इन्हें टोका भी है, जो खुद मुस्लिम है. और पता नहीं इन्होंने नमाज भी पढ़ी या सिर्फ फोटो खिंचा कर वायरल किए, ये भी नहीं पता.”
इस केस में किसी तरह के दवाब पर कान्हा ने कहा, “हमारे ऊपर किसी तरह का कोई दबाव नहीं है.” संस्था के पवन इन आरोपों पर कहते हैं, “इस बार भी फैसल खान ब्रिज में 84 कोसी यात्रा कर रहे थे. और इस दौरान ब्रिज में जितने भी मंदिर पड़े, सभी में रुके, दर्शन किए, प्रसाद लिया और मंदिर में सोए भी हैं. और नंद बाबा मंदिर में भी गए, ये अंतिम पड़ाव था. इजाजत ली, बातचीत की और इसका वीडियो खुद एफआईआर वाले पुजारी की वॉल से ही वायरल है जिसमें वे लोग काफी खुश नजर आ रहे हैं. इसके बाद ये 29 अक्टूबर को दिल्ली वापस आ गए. धोखे की तो कोई बात ही नहीं है. सारे आरोप बेबुनियाद हैं.”
“हमें तो एक नवंबर को पता चला कि एफआईआर की है. फैसल खान ने मीडिया को बयान भी दिया कि धोखे से हम नमाज क्यों करेंगे. अब वे मना कर रहे हैं, तो वे जाने. हो सकता है उनके ऊपर कोई स्थानीय दबाव हो! अब हम उनके खिलाफ भी कुछ नहीं कहना चाहते. क्योंकि वे दबाव में, चाहते हुए भी कुछ नहीं कह सकते. फिर मथुरा पुलिस यहां से ले गई और तीन नवंबर को उन्हें लोअर कोर्ट में पेश किया गया. तो कोरोना पॉजिटिव होने के कारण अभी तो वे किसी स्थानीय अस्पताल में क्वारंटीन हैं. हमारे कई सदस्य मथुरा गए थे लेकिन किसी की कोई मुलाकात नहीं हो पाई है,” पवन ने कहा.
मथुरा के बरसाना थाने के एसएचओ एपी सिंह ने फोन पर हुई बातचीत में हमें बताया कि अभी इस मामले की जांच चल रही है. फैसल खान का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया है तो उन्हें यहीं मेडिकल कॉलेज में क्वारंटीन कर दिया गया है. बाकि धारा 420, 67, 68, 71, 153, 295, 505 में उन पर केस दर्ज किया गया है और केस की जांच चल रही है.
अंत में पवन यादव कहते हैं, “अब हमारा तो यही स्टैंड है कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है और फिर भी अगर किसी को ठेस पहुंची है तो हम बड़ी विनम्रता से माफी मांगते हैं. और हमारा या फैसल खान का कभी भी ये उद्देश्य नहीं रहा. आप हमारी हिस्ट्री देख सकते हैं. कोविड में भी हमने जो दान किया था तो उसका नाम भी “स्वामी विवेकानंद कोविड फूड बैंक” रखा था. रही बात पैसे की, तो विदेशी फंडिंग तो है ही नहीं. और फैसल भाई की टैग लाइन है कि हम चंदा नहीं बंदा लेते हैं. दो दशक से ये इस काम को कर रहे हैं. और इनकी स्टोरी जापान, अमेरिका तक में छप चुकी हैं. कभी कोई बांटने वाली बात की ही नहीं. इनकी पूरी प्रोफाइल ओपन है, कभी भी कोई भी जाकर देख सकता है. जिस इंसान की जिंदगी सामाजिक सद्भाव, प्रेम, भाइचारे को बढ़ावा देने में गुजरी हो, वह साजिश की बात कैसे सोच सकता है.”