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"लव जिहाद' रोकने के लिए मुस्लिम बहुल इलाकों पर नज़र"
लखनऊ में अन्तर धार्मिक विवाह के खिलाफ शिकायत करने वाली हिन्दू महासभा का कहना है कि वह मुस्लिम बहुल इलाकों पर नज़र रखेंगे.
अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी ने न्यूज़लॉन्ड्री को दिए इंटरव्यू में कहा कि वह तथाकथित 'लव जिहाद' को रोकने के लिए विशेष दस्तों का गठन करेंगे और मुस्लिम बहुल इलाकों पर नज़र रखेंगे.
2 दिसंबर को महासभा के यूपी कैडर ने पुलिस को चिट्ठी लिखकर लखनऊ की डूडा कॉलोनी में होने वाले अन्तर धार्मिक विवाह की सूचना दी थी.
महासभा की योजनाओं के बारे में आगे बताते हुए त्रिवेदी ने कहा, "मिसाल के तौर पर मौलवीगंज लखनऊ का एक मुस्लिम बहुल इलाका है. ठीक वैसे ही मेरठ, बरेली, बुलंदशहर आदि के मुस्लिम बहुल इलाकों पर हमारे विशेष दस्ते नज़र रखेंगे और दूसरे धर्म के लोगों द्वारा हिन्दू लड़कियों का शोषण रोकेंगे."
त्रिवेदी बताते हैं कि महासभा के सदस्य लखनऊ के पारा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाली डूडा कॉलोनी की उस लड़की से मिले जिसका अंतर धार्मिक विवाह रोका गया था.
"हमने उनसे कहा की महासभा की मदद से किसी हिन्दू लड़के से लड़की की शादी कर दें. दूसरे धर्म में शादी करवा के उन्हें हिन्दू धर्म को अपवित्र और बदनाम करने का प्रयास नहीं करना चाहिए," त्रिवेदी ने कहा.
अन्तर धार्मिक विवाह रोकने के कारण जनसंख्या नियंत्रण
24 नवम्बर को योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा नया 'लव जिहाद' कानून पास होने के बाद उत्तर प्रदेश में अन्तर धार्मिक विवाह रुकवाने की यह पहली घटना थी. हालांकि मीडिया में आईं खबरों की माने तो यह विवाह हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के दोनों के परिवारों की सहमति से हो रहा था. लड़की के पिता ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि धर्मान्तरण के लिए भी कोई दबाव नहीं था.
"हम दोनों ही धर्मों के रीति-रिवाज़ों से शादी करवाना चाहते थे," उन्होंने कहा.
उस दिन की घटना को याद करते हुए ऋषि त्रिवेदी ने बताया कि पहले-पहल जब महासभा के जिला प्रमुख ने जिला प्रशासन को इस बात की सूचना दी तो उन्होंने तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की. "पुलिस प्रशासन ने इसे हल्के में लिया और कहा कि जब दोनों परिवारों की सहमति से शादी हो रही है तो वह कुछ नहीं कर सकते," त्रिवेदी ने बताया.
त्रिवेदी के अनुसार महासभा कानूनी प्रकोष्ठ के शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने एसओ को फ़ोन करके बताया कि दो विपरीत धर्मों के लोग बिना जिलाधिकारी की अनुमति के विवाह नहीं कर सकते. "हम पारा पुलिस का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने लड़की का जीवन और सम्मान बचाने में हमारी मदद की," त्रिवेदी ने कहा.
समस्याओं से घिरे सहारा समूह के कर्मचारी रह चुके त्रिवेदी अब रियल एस्टेट का काम करते हैं. उनके अनुसार हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच विवाह सम्बन्ध नहीं होना चाहिए.
जनसंख्या नियंत्रण को लेकर महासभा के विचारों का उल्लेख करते हुए त्रिवेदी कहते हैं, "ऐसे ज़यादातर विवाह एक या दो साल में तलाक पर ख़त्म होते हैं और इस से पूरा परिवार बिखर जाता है. जहां एक तरफ हिन्दू धर्म सिर्फ दो बच्चों की बात करता है, वहीं कुरआन के मुताबिक़ मुस्लिम चाहे जितने बच्चे पैदा कर सकते हैं. और इसीलिए महासभा जनसंख्या नियंत्रण बिल की मांग कर रही है ताकि कानून सबके लिए एक हो."
महासभा ने ऐसे कानून की मांग करते हुए आदित्यनाथ को एक पत्र भी लिखा था.
'मुस्लिम परिवार लड़की को विवश कर रहा था'
महासभा के अनुसार उन्होंने डूडा कॉलोनी में लड़की के पड़ोसियों से बात करके यह पाया कि लकड़ी के सौतेले पिता शराबी हैं. त्रिवेदी कहते हैं कि इसी कारण मुस्लिम लड़के का परिवार लड़की से विवाह के लिए तैयार हो गया.
"मुस्लिम अक्सर ऐसे परिवारों की पहचान कर लेते हैं जिन्हें पैसा या कोई और प्रलोभन देकर शादी के लिए मना लिया जाए. इस प्रकार वह हिंदुओं का जीवन बर्बाद करने का षडयंत्र करते हैं," त्रिवेदी ने कहा.
लड़की के पिता ने न्यूज़लॉन्ड्री से बेबाक बातचीत में इन सब दावों को बेबुनियाद और झूठा बताया.
उन्होंने कहा की यह सच है कि वह नियमित रूप से शराब पीते हैं लेकिन 'लव जिहाद' के इस विवाद के बाद से इन सब बातों को बढ़ा-चढ़ा कर परोसा जा रहा है. उन्होंने एक हिंदी अखबार की रिपोर्ट भी दिखाई जिसमे उन्हें शराबी कहा गया है.
लेकिन साज़िश के दावों को बढ़ावा देते हुए त्रिवेदी अपने बातों पर अडिग दिखे. उनका कहना था कि लड़की के पिता के शराबी होने का फायदा उठाते हुए लड़के के परिवार ने विवाह का दबाव बनाया.
'लव जिहाद कानून में जाति के आधार पर न हो भेदभाव'
अवैधानिक धर्मान्तरण पर अंकुश लगाने वाला यह अध्यादेश जब आया तो महासभा ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को पत्र लिख कर बधाई दी.
दल ने इसपर एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की, जिसे कई हिंदी अख़बारों ने छापा. अपने वक्तव्य में महासभा ने कहा कि 'वह न केवल राज्य सरकार के प्रयासों का समर्थन करते हैं बल्कि वह जिहादियों से हिन्दू बेटियों को बचाने के लिए एक जागरूकता अभियान भी चलाएंगे.'
संगठन ने कहा कि मुख्यमंत्री की कड़ी कार्रवाई के बाद उन्होंने अपने वकीलों के प्रकोष्ठ से कह दिया है कि 'लव जिहाद' के विरुद्ध कानूनी लड़ाई में साथ दें.
लेकिन लखनऊ के बाहरी इलाके कुर्सी रोड के अपने ऑफिस में बैठकर हमसे बात करते हुए त्रिवेदी ने कहा कि उन्हें फिर भी नए नियमों से कुछ शिकायत है. "महासभा पूरी तरह संतुष्ट नहीं है क्योंकि हमारा ध्येय है- 'जात-पात की करो बिदाई, हिन्दू-हिन्दू भाई-भाई."
इसका अर्थ है कि जाति व्यवस्था से ऊपर उठकर सभी हिंदुओं को एक-दूसरे को बंधुवत समझना चाहिए.
नए 'लव जिहाद' कानून का उल्लंघन करने पर एक से पांच साल की सज़ा या 15,000 रुपये जुर्माना वसूला जायेगा. लेकिन अनुसूचित जाति/ जनजाति की औरतों और बच्चों के मामले में सजा बढ़ कर तीन से दस साल तक की कैद या 25,000 तक जुर्माना है.
'लव जिहाद' के विरुद्ध क़ानून की मांग महासभा काफी समय से कर रही है.
2017 में इसके राष्ट्रीय प्रवक्ता अज्जू चौहान ने मीडिया को बताया था कि उन्होंने इसके खिलाफ कारगर क़ानून बनाने की मांग मुख्यमंत्री से की है.
चौहान ने यह 2017 में राजस्थान मे शम्भूलाल राजगर द्वारा मुस्लिम लेबर अफ़राज़ुल की हत्या करके वीडियो वायरल करने के बाद कहा था. राजगर के मुताबिक़ सुने अफ़राज़ुल की हत्या 'लव जिहाद' के कारण की थी.
इसके बारे में चौहान ने कहा था कि जिस किसी ने अपनी बेटी या बहन को 'लव जिहाद' के कारण गंवाया हो उससे ऐसी ही प्रतिक्रिया अपेक्षित है.
महासभा के उत्तर प्रदेश प्रमुख के तौर पर त्रिवेदी इस पक्ष में हैं कि हिंदुओं को सुरक्षा के लिये हथियार रखने चाहिए. दीवार पर चिपके एक समाचार के अंश में त्रिवेदी विजय दशमी पर तलवारों और बंदूकों का पूजन करते देखे जा सकते हैं.
योगी आदित्यनाथ के गुरु से सम्बन्ध रखने वाला संगठन
हिन्दू महासभा को 1915 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने स्थापित किया था. इनकी प्रचार विवरणिका के अनुसार संगठन तीन नारों के प्रति कटिबद्ध है- 'जय हिन्दुराष्ट्र', 'वन्दे मातरम' और 'जय भारत'.
1937 से 1943 के बीच विनायक दामोदर सावरकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार भी इस से जुड़े रहे.
हाल ही में स्वघोषित महासभा नेता कमलेश तिवारी की उनके लखनऊ आवास पर हत्या कर दी गई थी. तिवारी 2015 में पैग़म्बर मुहम्मद को लेकर विवादित टिप्पणियां करने के बाद सुर्ख़ियों में आए थे. जनवरी 2019 में महासभा के दो नेताओं को अलीगढ में महात्मा गांधी की हत्या के दृश्यों का रूपांतरण करने लिए गिरफ्तार कर लिया गया था. महासभा के नेतागण नाथूराम गोडसे को 'राष्ट्रभक्त' के रूप में पूजते हैं.
दो कमरों के ऑफिस की दीवार पर महासभा नेताओं महंत अवैद्यनाथ, जो योगी आदित्यनाथ के गुरु माने जाते हैं. और महंत दिग्विजय नाथ के चित्र भूतपूर्व सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के चित्र के साथ लगे हैं. आदित्यनाथ भी इसी 'नाथ' समुदाय के सदस्य हैं.
ऋषि त्रिवेदी का परिवार भी संतों का वंशज है और 'कबीर पंथ' का अनुयायी है, जो कबीर की शिक्षाओं पर आधारित है.
महासभा की अगली मुहिम: 'एंटी- मजनू सेल'
42-वर्षीय शिवपूजन दीक्षित पेशे से वकील हैं और महासभा के सदस्य हैं. दीक्षित बताते हैं कि संगठन जल्दी ही हिन्दू-मुस्लिम विवाहों पर निगरानी रखने के लिए 'एंटी मजनू सेल' का गठन करेगा. हाल ही में महासभा के कानूनी प्रकोष्ठ में करीब 40 नए वकील शामिल हुए हैं.
"हम देखेंगे कि इन शादियों में क्या जायज़ है और क्या नाजायज़ है. और ज़रूरत पड़ी तो सड़क पर भी उतरेंगे," दीक्षित ने कहा.
सीतापुर निवासी दीक्षित 2008 में कश्मीर में 'अनाधिकृत भूमि अधिग्रहण' का विरोध करने के कारण नौ दिन जेल में बिता चुके हैं. वह भूमि अमरनाथ श्राइन बोर्ड की थी. दीक्षित ने विरोध में आत्मदाह करने का प्रयास किया था.
मुस्लिमों को 'म्लेच्छ' बताते हुए दीक्षित कहते हैं वह कभी दाढ़ी बनवाने किसी मुस्लिम नाई के नहीं जाते. वो ना तो मुस्लिमों से कुछ खरीदते हैं और ना ही उन्हें काम पर रखते हैं.
"उनको आर्थिक रूप से कमज़ोर करने के हर संभव प्रयास करने चाहिए," दीक्षित कहते हैं.
'लव जिहाद': मिथ वर्सेस रियलिटी एनएल सेना प्रोजेक्ट की यह चौथी स्टोरी है. पहला, दूसरा और तीसरा पार्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें.
इस एनएल सेना प्रोजेक्ट में हमारे 138 पाठकों ने सहयोग किया है. यह मंयक गर्ग, राहुल कोहली और अन्य एनएल सेना के सदस्यों द्वारा संभव बनाया गया है. आप हमारे अगले एनएल लीगल फंड में सहयोग दे और गर्व से कहें मेरे ख़र्च पर आजाद हैं ख़बरें.
लखनऊ में अन्तर धार्मिक विवाह के खिलाफ शिकायत करने वाली हिन्दू महासभा का कहना है कि वह मुस्लिम बहुल इलाकों पर नज़र रखेंगे.
अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी ने न्यूज़लॉन्ड्री को दिए इंटरव्यू में कहा कि वह तथाकथित 'लव जिहाद' को रोकने के लिए विशेष दस्तों का गठन करेंगे और मुस्लिम बहुल इलाकों पर नज़र रखेंगे.
2 दिसंबर को महासभा के यूपी कैडर ने पुलिस को चिट्ठी लिखकर लखनऊ की डूडा कॉलोनी में होने वाले अन्तर धार्मिक विवाह की सूचना दी थी.
महासभा की योजनाओं के बारे में आगे बताते हुए त्रिवेदी ने कहा, "मिसाल के तौर पर मौलवीगंज लखनऊ का एक मुस्लिम बहुल इलाका है. ठीक वैसे ही मेरठ, बरेली, बुलंदशहर आदि के मुस्लिम बहुल इलाकों पर हमारे विशेष दस्ते नज़र रखेंगे और दूसरे धर्म के लोगों द्वारा हिन्दू लड़कियों का शोषण रोकेंगे."
त्रिवेदी बताते हैं कि महासभा के सदस्य लखनऊ के पारा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाली डूडा कॉलोनी की उस लड़की से मिले जिसका अंतर धार्मिक विवाह रोका गया था.
"हमने उनसे कहा की महासभा की मदद से किसी हिन्दू लड़के से लड़की की शादी कर दें. दूसरे धर्म में शादी करवा के उन्हें हिन्दू धर्म को अपवित्र और बदनाम करने का प्रयास नहीं करना चाहिए," त्रिवेदी ने कहा.
अन्तर धार्मिक विवाह रोकने के कारण जनसंख्या नियंत्रण
24 नवम्बर को योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा नया 'लव जिहाद' कानून पास होने के बाद उत्तर प्रदेश में अन्तर धार्मिक विवाह रुकवाने की यह पहली घटना थी. हालांकि मीडिया में आईं खबरों की माने तो यह विवाह हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के दोनों के परिवारों की सहमति से हो रहा था. लड़की के पिता ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि धर्मान्तरण के लिए भी कोई दबाव नहीं था.
"हम दोनों ही धर्मों के रीति-रिवाज़ों से शादी करवाना चाहते थे," उन्होंने कहा.
उस दिन की घटना को याद करते हुए ऋषि त्रिवेदी ने बताया कि पहले-पहल जब महासभा के जिला प्रमुख ने जिला प्रशासन को इस बात की सूचना दी तो उन्होंने तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की. "पुलिस प्रशासन ने इसे हल्के में लिया और कहा कि जब दोनों परिवारों की सहमति से शादी हो रही है तो वह कुछ नहीं कर सकते," त्रिवेदी ने बताया.
त्रिवेदी के अनुसार महासभा कानूनी प्रकोष्ठ के शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने एसओ को फ़ोन करके बताया कि दो विपरीत धर्मों के लोग बिना जिलाधिकारी की अनुमति के विवाह नहीं कर सकते. "हम पारा पुलिस का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने लड़की का जीवन और सम्मान बचाने में हमारी मदद की," त्रिवेदी ने कहा.
समस्याओं से घिरे सहारा समूह के कर्मचारी रह चुके त्रिवेदी अब रियल एस्टेट का काम करते हैं. उनके अनुसार हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच विवाह सम्बन्ध नहीं होना चाहिए.
जनसंख्या नियंत्रण को लेकर महासभा के विचारों का उल्लेख करते हुए त्रिवेदी कहते हैं, "ऐसे ज़यादातर विवाह एक या दो साल में तलाक पर ख़त्म होते हैं और इस से पूरा परिवार बिखर जाता है. जहां एक तरफ हिन्दू धर्म सिर्फ दो बच्चों की बात करता है, वहीं कुरआन के मुताबिक़ मुस्लिम चाहे जितने बच्चे पैदा कर सकते हैं. और इसीलिए महासभा जनसंख्या नियंत्रण बिल की मांग कर रही है ताकि कानून सबके लिए एक हो."
महासभा ने ऐसे कानून की मांग करते हुए आदित्यनाथ को एक पत्र भी लिखा था.
'मुस्लिम परिवार लड़की को विवश कर रहा था'
महासभा के अनुसार उन्होंने डूडा कॉलोनी में लड़की के पड़ोसियों से बात करके यह पाया कि लकड़ी के सौतेले पिता शराबी हैं. त्रिवेदी कहते हैं कि इसी कारण मुस्लिम लड़के का परिवार लड़की से विवाह के लिए तैयार हो गया.
"मुस्लिम अक्सर ऐसे परिवारों की पहचान कर लेते हैं जिन्हें पैसा या कोई और प्रलोभन देकर शादी के लिए मना लिया जाए. इस प्रकार वह हिंदुओं का जीवन बर्बाद करने का षडयंत्र करते हैं," त्रिवेदी ने कहा.
लड़की के पिता ने न्यूज़लॉन्ड्री से बेबाक बातचीत में इन सब दावों को बेबुनियाद और झूठा बताया.
उन्होंने कहा की यह सच है कि वह नियमित रूप से शराब पीते हैं लेकिन 'लव जिहाद' के इस विवाद के बाद से इन सब बातों को बढ़ा-चढ़ा कर परोसा जा रहा है. उन्होंने एक हिंदी अखबार की रिपोर्ट भी दिखाई जिसमे उन्हें शराबी कहा गया है.
लेकिन साज़िश के दावों को बढ़ावा देते हुए त्रिवेदी अपने बातों पर अडिग दिखे. उनका कहना था कि लड़की के पिता के शराबी होने का फायदा उठाते हुए लड़के के परिवार ने विवाह का दबाव बनाया.
'लव जिहाद कानून में जाति के आधार पर न हो भेदभाव'
अवैधानिक धर्मान्तरण पर अंकुश लगाने वाला यह अध्यादेश जब आया तो महासभा ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को पत्र लिख कर बधाई दी.
दल ने इसपर एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की, जिसे कई हिंदी अख़बारों ने छापा. अपने वक्तव्य में महासभा ने कहा कि 'वह न केवल राज्य सरकार के प्रयासों का समर्थन करते हैं बल्कि वह जिहादियों से हिन्दू बेटियों को बचाने के लिए एक जागरूकता अभियान भी चलाएंगे.'
संगठन ने कहा कि मुख्यमंत्री की कड़ी कार्रवाई के बाद उन्होंने अपने वकीलों के प्रकोष्ठ से कह दिया है कि 'लव जिहाद' के विरुद्ध कानूनी लड़ाई में साथ दें.
लेकिन लखनऊ के बाहरी इलाके कुर्सी रोड के अपने ऑफिस में बैठकर हमसे बात करते हुए त्रिवेदी ने कहा कि उन्हें फिर भी नए नियमों से कुछ शिकायत है. "महासभा पूरी तरह संतुष्ट नहीं है क्योंकि हमारा ध्येय है- 'जात-पात की करो बिदाई, हिन्दू-हिन्दू भाई-भाई."
इसका अर्थ है कि जाति व्यवस्था से ऊपर उठकर सभी हिंदुओं को एक-दूसरे को बंधुवत समझना चाहिए.
नए 'लव जिहाद' कानून का उल्लंघन करने पर एक से पांच साल की सज़ा या 15,000 रुपये जुर्माना वसूला जायेगा. लेकिन अनुसूचित जाति/ जनजाति की औरतों और बच्चों के मामले में सजा बढ़ कर तीन से दस साल तक की कैद या 25,000 तक जुर्माना है.
'लव जिहाद' के विरुद्ध क़ानून की मांग महासभा काफी समय से कर रही है.
2017 में इसके राष्ट्रीय प्रवक्ता अज्जू चौहान ने मीडिया को बताया था कि उन्होंने इसके खिलाफ कारगर क़ानून बनाने की मांग मुख्यमंत्री से की है.
चौहान ने यह 2017 में राजस्थान मे शम्भूलाल राजगर द्वारा मुस्लिम लेबर अफ़राज़ुल की हत्या करके वीडियो वायरल करने के बाद कहा था. राजगर के मुताबिक़ सुने अफ़राज़ुल की हत्या 'लव जिहाद' के कारण की थी.
इसके बारे में चौहान ने कहा था कि जिस किसी ने अपनी बेटी या बहन को 'लव जिहाद' के कारण गंवाया हो उससे ऐसी ही प्रतिक्रिया अपेक्षित है.
महासभा के उत्तर प्रदेश प्रमुख के तौर पर त्रिवेदी इस पक्ष में हैं कि हिंदुओं को सुरक्षा के लिये हथियार रखने चाहिए. दीवार पर चिपके एक समाचार के अंश में त्रिवेदी विजय दशमी पर तलवारों और बंदूकों का पूजन करते देखे जा सकते हैं.
योगी आदित्यनाथ के गुरु से सम्बन्ध रखने वाला संगठन
हिन्दू महासभा को 1915 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने स्थापित किया था. इनकी प्रचार विवरणिका के अनुसार संगठन तीन नारों के प्रति कटिबद्ध है- 'जय हिन्दुराष्ट्र', 'वन्दे मातरम' और 'जय भारत'.
1937 से 1943 के बीच विनायक दामोदर सावरकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार भी इस से जुड़े रहे.
हाल ही में स्वघोषित महासभा नेता कमलेश तिवारी की उनके लखनऊ आवास पर हत्या कर दी गई थी. तिवारी 2015 में पैग़म्बर मुहम्मद को लेकर विवादित टिप्पणियां करने के बाद सुर्ख़ियों में आए थे. जनवरी 2019 में महासभा के दो नेताओं को अलीगढ में महात्मा गांधी की हत्या के दृश्यों का रूपांतरण करने लिए गिरफ्तार कर लिया गया था. महासभा के नेतागण नाथूराम गोडसे को 'राष्ट्रभक्त' के रूप में पूजते हैं.
दो कमरों के ऑफिस की दीवार पर महासभा नेताओं महंत अवैद्यनाथ, जो योगी आदित्यनाथ के गुरु माने जाते हैं. और महंत दिग्विजय नाथ के चित्र भूतपूर्व सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के चित्र के साथ लगे हैं. आदित्यनाथ भी इसी 'नाथ' समुदाय के सदस्य हैं.
ऋषि त्रिवेदी का परिवार भी संतों का वंशज है और 'कबीर पंथ' का अनुयायी है, जो कबीर की शिक्षाओं पर आधारित है.
महासभा की अगली मुहिम: 'एंटी- मजनू सेल'
42-वर्षीय शिवपूजन दीक्षित पेशे से वकील हैं और महासभा के सदस्य हैं. दीक्षित बताते हैं कि संगठन जल्दी ही हिन्दू-मुस्लिम विवाहों पर निगरानी रखने के लिए 'एंटी मजनू सेल' का गठन करेगा. हाल ही में महासभा के कानूनी प्रकोष्ठ में करीब 40 नए वकील शामिल हुए हैं.
"हम देखेंगे कि इन शादियों में क्या जायज़ है और क्या नाजायज़ है. और ज़रूरत पड़ी तो सड़क पर भी उतरेंगे," दीक्षित ने कहा.
सीतापुर निवासी दीक्षित 2008 में कश्मीर में 'अनाधिकृत भूमि अधिग्रहण' का विरोध करने के कारण नौ दिन जेल में बिता चुके हैं. वह भूमि अमरनाथ श्राइन बोर्ड की थी. दीक्षित ने विरोध में आत्मदाह करने का प्रयास किया था.
मुस्लिमों को 'म्लेच्छ' बताते हुए दीक्षित कहते हैं वह कभी दाढ़ी बनवाने किसी मुस्लिम नाई के नहीं जाते. वो ना तो मुस्लिमों से कुछ खरीदते हैं और ना ही उन्हें काम पर रखते हैं.
"उनको आर्थिक रूप से कमज़ोर करने के हर संभव प्रयास करने चाहिए," दीक्षित कहते हैं.
'लव जिहाद': मिथ वर्सेस रियलिटी एनएल सेना प्रोजेक्ट की यह चौथी स्टोरी है. पहला, दूसरा और तीसरा पार्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें.
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