Newslaundry Hindi
80 प्रतिशत भारतीय स्वास्थ्य बीमा से वंचित, अपनी बचत और उधार के पैसों से कराते हैं इलाज
घरेलू उपभोग से संबंधित नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) के 75वें राउंड के सर्वेक्षण में स्वास्थ्य और बीमारियों की स्थिति पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. हाल ही में प्रकाशित सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि 80 प्रतिशत भारतीय स्वास्थ्य बीमा से वंचित हैं.
ग्रामीण भारत में 85.9 प्रतिशत लोगों के पास किसी प्रकार की स्वास्थ्य सुरक्षा नहीं है. शहरी भारत में स्थिति थोड़ी बेहतर है. यहां 80.9 प्रतिशत भारतीय इससे वंचित हैं. सर्वेक्षण में निजी और सरकारी बीमा प्रदान करने वालों को शामिल किया गया था.
यह सर्वेक्षण जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच किया गया. इसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के कुल 55 हजार लोग शामिल किए गए. समय-समय पर होने वाले इस सर्वेक्षण में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च, निजी और सरकारी क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच और देश में बीमारियों की स्थिति पता लगाने की कोशिश की जाती है.
बीमा का कम कवरेज दो कारणों से चिंतित करता है. पहला, अधिक से अधिक लोग निजी स्वास्थ्य सेवाओं का प्रयोग कर रहे हैं और यह सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की तुलना में काफी महंगी है. दूसरा, सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार सार्वभौमिक बीमा कवरेज की दिशा में आगे बढ़ रही है.
एनएसएस के 75वें राउंड का सर्वेक्षण बताता है कि अधिकांश भारतीय अब भी निजी स्वास्थ्य सेवाओं के भरोसे हैं. लगभग 55 प्रतिशत भारतीयों ने निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराया है. इलाज के लिए सरकारी अस्पताल जाने वाले लोग केवल 42 प्रतिशत हैं. ग्रामीण भारत में देखें तो यहां 52 प्रतिशत लोगों ने निजी अस्पतालों में इलाज कराया जबकि 46 प्रतिशत लोगों ने सरकारी अस्पताल पर भरोसा किया. शहरी क्षेत्रों में केवल 35 प्रतिशत लोग ही इलाज के लिए सरकारी अस्पताल गए.
ग्रामीण क्षेत्र में जिन लोगों के पास बीमा है, उनमें केवल 13 प्रतिशत लोग सरकारी योजना के दायरे में आए जबकि शहरी क्षेत्रों के 9 प्रतिशत लोगों को स्वास्थ्य बीमा का फायदा मिला. सर्वेक्षण में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) को शामिल नहीं किया गया क्योंकि यह योजना 23 सितंबर 2018 को शुरू की गई थी. सरकार का दावा है कि सर्वेक्षण के बाद पीएमजेएवाई के शुरू होने के कारण स्वास्थ्य बीमा कवरेज में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.
सर्वेक्षण के अनुसार, अस्पताल में भर्ती होने पर लोगों की बड़ी धनराशि खर्च हो जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में एक परिवार स्वास्थ्य पर सालाना 16,676 रुपए और शहरी क्षेत्र का परिवार 26,475 रुपए खर्च करता है. निजी अस्पताल में भर्ती होने का खर्च बहुत ज्यादा है. सरकारी अस्पताल के खर्च से यह करीब 6 गुना अधिक है. सर्वेक्षण के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में भर्ती होने का औसत खर्च 4,290 रुपए है, जबकि शहरी क्षेत्र में यह खर्च 4,837 रुपए है. लेकिन अगर निजी अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आती है तो ग्रामीण क्षेत्र में यह खर्च 27,347 रुपए और शहरी क्षेत्र में यह बढ़कर 38,822 रुपए हो जाता है.
महंगा इलाज और स्वास्थ्य बीमा कवरेज की अनुपस्थिति में लोगों को अपनी बचत और उधार के पैसों से अस्पताल का बिल चुकाना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रों में 80 प्रतिशत परिवार इलाज के लिए अपनी बचत पर निर्भर हैं जबकि 13 प्रतिशत लोगों को विभिन्न स्रोतों से उधार लेना पड़ता है. शहरी क्षेत्र में 84 प्रतिशत लोग बचत पर निर्भर हैं जबकि 9 प्रतिशत लोग अस्पताल का बिल भरने के लिए उधार लेते हैं.
(डाउन टू अर्थ से साभार)
घरेलू उपभोग से संबंधित नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) के 75वें राउंड के सर्वेक्षण में स्वास्थ्य और बीमारियों की स्थिति पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. हाल ही में प्रकाशित सर्वेक्षण के नतीजे बताते हैं कि 80 प्रतिशत भारतीय स्वास्थ्य बीमा से वंचित हैं.
ग्रामीण भारत में 85.9 प्रतिशत लोगों के पास किसी प्रकार की स्वास्थ्य सुरक्षा नहीं है. शहरी भारत में स्थिति थोड़ी बेहतर है. यहां 80.9 प्रतिशत भारतीय इससे वंचित हैं. सर्वेक्षण में निजी और सरकारी बीमा प्रदान करने वालों को शामिल किया गया था.
यह सर्वेक्षण जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच किया गया. इसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के कुल 55 हजार लोग शामिल किए गए. समय-समय पर होने वाले इस सर्वेक्षण में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च, निजी और सरकारी क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच और देश में बीमारियों की स्थिति पता लगाने की कोशिश की जाती है.
बीमा का कम कवरेज दो कारणों से चिंतित करता है. पहला, अधिक से अधिक लोग निजी स्वास्थ्य सेवाओं का प्रयोग कर रहे हैं और यह सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की तुलना में काफी महंगी है. दूसरा, सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार सार्वभौमिक बीमा कवरेज की दिशा में आगे बढ़ रही है.
एनएसएस के 75वें राउंड का सर्वेक्षण बताता है कि अधिकांश भारतीय अब भी निजी स्वास्थ्य सेवाओं के भरोसे हैं. लगभग 55 प्रतिशत भारतीयों ने निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराया है. इलाज के लिए सरकारी अस्पताल जाने वाले लोग केवल 42 प्रतिशत हैं. ग्रामीण भारत में देखें तो यहां 52 प्रतिशत लोगों ने निजी अस्पतालों में इलाज कराया जबकि 46 प्रतिशत लोगों ने सरकारी अस्पताल पर भरोसा किया. शहरी क्षेत्रों में केवल 35 प्रतिशत लोग ही इलाज के लिए सरकारी अस्पताल गए.
ग्रामीण क्षेत्र में जिन लोगों के पास बीमा है, उनमें केवल 13 प्रतिशत लोग सरकारी योजना के दायरे में आए जबकि शहरी क्षेत्रों के 9 प्रतिशत लोगों को स्वास्थ्य बीमा का फायदा मिला. सर्वेक्षण में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) को शामिल नहीं किया गया क्योंकि यह योजना 23 सितंबर 2018 को शुरू की गई थी. सरकार का दावा है कि सर्वेक्षण के बाद पीएमजेएवाई के शुरू होने के कारण स्वास्थ्य बीमा कवरेज में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.
सर्वेक्षण के अनुसार, अस्पताल में भर्ती होने पर लोगों की बड़ी धनराशि खर्च हो जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में एक परिवार स्वास्थ्य पर सालाना 16,676 रुपए और शहरी क्षेत्र का परिवार 26,475 रुपए खर्च करता है. निजी अस्पताल में भर्ती होने का खर्च बहुत ज्यादा है. सरकारी अस्पताल के खर्च से यह करीब 6 गुना अधिक है. सर्वेक्षण के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पताल में भर्ती होने का औसत खर्च 4,290 रुपए है, जबकि शहरी क्षेत्र में यह खर्च 4,837 रुपए है. लेकिन अगर निजी अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आती है तो ग्रामीण क्षेत्र में यह खर्च 27,347 रुपए और शहरी क्षेत्र में यह बढ़कर 38,822 रुपए हो जाता है.
महंगा इलाज और स्वास्थ्य बीमा कवरेज की अनुपस्थिति में लोगों को अपनी बचत और उधार के पैसों से अस्पताल का बिल चुकाना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रों में 80 प्रतिशत परिवार इलाज के लिए अपनी बचत पर निर्भर हैं जबकि 13 प्रतिशत लोगों को विभिन्न स्रोतों से उधार लेना पड़ता है. शहरी क्षेत्र में 84 प्रतिशत लोग बचत पर निर्भर हैं जबकि 9 प्रतिशत लोग अस्पताल का बिल भरने के लिए उधार लेते हैं.
(डाउन टू अर्थ से साभार)
Also Read
-
‘They call us Bangladeshi’: Assam’s citizenship crisis and neglected villages
-
Why one of India’s biggest electoral bond donors is a touchy topic in Bhiwandi
-
‘Govt can’t do anything about court case’: Jindal on graft charges, his embrace of BJP and Hindutva
-
Reporter’s diary: Assam is better off than 2014, but can’t say the same for its citizens
-
‘INDIA coalition set to come to power’: RJD’s Tejashwi Yadav on polls, campaign and ECI