Newslaundry Hindi
सुभाष चंद्र बोस की फोटो पर सवाल उठाने को लेकर राष्ट्रपति भवन ने अरुण पुरी को लिखी चिट्ठी
इंडिया टुडे के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ अरुण पुरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के प्रेस सचिव ने चिट्ठी लिखकर पत्रकार राजदीप सरदेसाई द्वारा राष्ट्रपति भवन में सुभाष चंद्र बोस की अनावरण तस्वीर पर सवाल उठाने को लेकर ऐतराज जताया है.
राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय कुमार सिंह ने नेताजी की जयंती पर राष्ट्रपति द्वारा उनकी तस्वीर के अनावरण को लेकर पत्रकारों के एक समूह वर्ग ने भ्रामक जानकारी शेयर की. जिसमें कहा गया कि ये तस्वीर नेताजी नहीं बल्कि प्रसनजीत चटर्जी की है.
सोशल मीडिया पर इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई की तरफ से भी ऐसे ही दावे किए गए. लेकिन निराशाजनक बात यह है कि पत्रकार ने इससे जुड़े तथ्यों की जांच-परख करना भी जरूरी नहीं समझा और न ही नेताजी के परिवार के किसी सदस्य से इस संबंध में बात करना आवश्यक समझा.
इस कृत्य से उन्होंने न केवल अपने पेशे को बदनाम किया है बल्कि राष्ट्रपति कार्यालय को भी बदनाम किया है. आप इस बात से सहमत होंगे कि इस तरह के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार से राष्ट्रपति भवन की गरिमा पर दाग लगता है.
पत्र के अंत में कहा गया है कि इस कृत्य से राष्ट्रपति भवन की गरिमा पर जो दाग लगा है, उसे लेकर हम इंडिया टुडे समूह के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करने के लिए मजबूर हैं.
पूरा विवाद
इंडिया टुडे समूह के पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चित्र को फेक करार दिया था. इस चित्र का अनावरण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था. राजदीप ने नेताजी के ऑरिजनल चित्र को अभिनेता प्रसेनजीत का चित्र करार देकर राष्ट्रपति भवन से ऑरिजनल चित्र लगाने की मांग कर डाली थी. बाद में यह साफ हो गया कि तस्वीर फेक नहीं है. चित्र असली है. यह भी साफ हुआ कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते जयंती बोस रक्षित के द्वारा दिए गए चित्र के आधार पर पद्मभूषण से सम्मानित चित्रकार परेश मयेती द्वारा कलाकृति बनाई गई है.
गौरतलब हैं कि 26 जनवरी के दिन एक ट्वीट को लेकर चैनल उनको पहले ही दो सप्ताह के लिए ऑफ एयर कर चुका हैं और एक महीने की सैलरी भी काट ली गई. वहीं 26 जनवरी को हुई हिंसा को लेकर उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में राजदीप समेत 6 अन्य संपादकों के खिलाफ राजद्रोह का केस भी दर्ज किया गया है.
इंडिया टुडे के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ अरुण पुरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के प्रेस सचिव ने चिट्ठी लिखकर पत्रकार राजदीप सरदेसाई द्वारा राष्ट्रपति भवन में सुभाष चंद्र बोस की अनावरण तस्वीर पर सवाल उठाने को लेकर ऐतराज जताया है.
राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय कुमार सिंह ने नेताजी की जयंती पर राष्ट्रपति द्वारा उनकी तस्वीर के अनावरण को लेकर पत्रकारों के एक समूह वर्ग ने भ्रामक जानकारी शेयर की. जिसमें कहा गया कि ये तस्वीर नेताजी नहीं बल्कि प्रसनजीत चटर्जी की है.
सोशल मीडिया पर इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई की तरफ से भी ऐसे ही दावे किए गए. लेकिन निराशाजनक बात यह है कि पत्रकार ने इससे जुड़े तथ्यों की जांच-परख करना भी जरूरी नहीं समझा और न ही नेताजी के परिवार के किसी सदस्य से इस संबंध में बात करना आवश्यक समझा.
इस कृत्य से उन्होंने न केवल अपने पेशे को बदनाम किया है बल्कि राष्ट्रपति कार्यालय को भी बदनाम किया है. आप इस बात से सहमत होंगे कि इस तरह के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार से राष्ट्रपति भवन की गरिमा पर दाग लगता है.
पत्र के अंत में कहा गया है कि इस कृत्य से राष्ट्रपति भवन की गरिमा पर जो दाग लगा है, उसे लेकर हम इंडिया टुडे समूह के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करने के लिए मजबूर हैं.
पूरा विवाद
इंडिया टुडे समूह के पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चित्र को फेक करार दिया था. इस चित्र का अनावरण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था. राजदीप ने नेताजी के ऑरिजनल चित्र को अभिनेता प्रसेनजीत का चित्र करार देकर राष्ट्रपति भवन से ऑरिजनल चित्र लगाने की मांग कर डाली थी. बाद में यह साफ हो गया कि तस्वीर फेक नहीं है. चित्र असली है. यह भी साफ हुआ कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते जयंती बोस रक्षित के द्वारा दिए गए चित्र के आधार पर पद्मभूषण से सम्मानित चित्रकार परेश मयेती द्वारा कलाकृति बनाई गई है.
गौरतलब हैं कि 26 जनवरी के दिन एक ट्वीट को लेकर चैनल उनको पहले ही दो सप्ताह के लिए ऑफ एयर कर चुका हैं और एक महीने की सैलरी भी काट ली गई. वहीं 26 जनवरी को हुई हिंसा को लेकर उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में राजदीप समेत 6 अन्य संपादकों के खिलाफ राजद्रोह का केस भी दर्ज किया गया है.
Also Read
-
Why the CEO of a news website wants you to stop reading the news
-
‘A small mistake can cost us our lives’: Why gig workers are on strike on New Year’s Eve
-
From Nido Tania to Anjel Chakma, India is still dodging the question of racism
-
‘Should I kill myself?’: How a woman’s birthday party became a free pass for a Hindutva mob
-
I covered Op Sindoor. This is what it’s like to be on the ground when sirens played on TV