Report
भारत में मातृ-मृत्यु दर में नौ फीसदी की गिरावट, कई राज्यों की स्थित बदतर
2016 से 18 की तुलना में 2017 से 19 के बीच देश के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में 8.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जिसके बाद भारत में एमएमआर 103 पर पहुंच गया है. हालांकि बड़ा सवाल यह है कि क्या वाकई भारत 2030 तक मातृ मृत्यु के सतत विकास के लक्ष्य को हासिल कर पाएगा. गौरतलब है कि सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) के तहत प्रति लाख जीवित जन्मों पर होने वाली मातृ मृत्यु दर को 70 पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया था.
यदि भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा मातृ मृत्यु पर जारी हालिया बुलेटिन को देखें तो देश में अभी मातृ मृत्यु अनुपात 103 पर है. इसका मतलब है कि देश में हर लाख जीवित जन्में बच्चों पर दुर्भाग्यवश 103 माओं की मृत्यु उन्हें जन्म देते समय हो जाती है. गौरतलब है कि 2016-18 के बीच यह अनुपात 113 था. वहीं 2015-17 में यह 122 और 2014 से 16 के बीच 130 प्रति लाख दर्ज किया गया था. जो स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि धीरे-धीरे ही सही देश में मातृ मृत्यु अनुपात के मामले में सुधार आ रहा है.
मातृ मृत्यु अनुपात के मामले में केरल की सबसे बेहतर है स्थिति
देश में मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) के मामले में जिन पांच राज्यों का प्रदर्शन सबसे बेहतर था उनमें गुजरात, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और केरल शामिल थे. यह वो राज्य हैं जिन्होंने सतत विकास के लक्ष्य (एसडीजी) को भी हासिल कर लिया है. इनमें केरल में मातृ मृत्यु अनुपात की स्थिति सबसे बेहतर थी. जहां प्रति लाख जीवित जन्मों में मातृ मृत्यु 30 दर्ज की गई थी. वहीं महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 38, तेलंगाना में 56, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में 58, झारखण्ड में 61 और गुजरात में 70 प्रति लाख था.
वहीं इसके विपरीत जिन राज्यों की स्थिति सबसे खराब है उनमें असम सबसे ऊपर है जहां एमएमआर प्रति लाख 205 दर्ज किया गया है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 167, मध्य प्रदेश में 163, छत्तीसगढ में 160, राजस्थान में 141, उड़ीसा में 136, बिहार में 130, पंजाब में 114 और पश्चिम बंगाल में 109 दर्ज किया गया था. गौरतलब है कि यह वो राज्य हैं जहां मातृ मृत्यु अनुपात भारत के औसत एमएमआर से ज्यादा है.
यदि भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) के लक्ष्यों पर गौर करें तो उसके तहत देश में 2020 तक एमएमआर को 100 प्रति लाख पर लाने का लक्ष्य रखा गया था जिसके हम लगभग करीब हैं.
पश्चिम बंगाल, हरियाणा और उत्तराखंड में और खराब हुई है स्थिति
वहीं यदि 2016 - 18 से तुलना करें तो उत्तरप्रदेश, राजस्थान और बिहार में सबसे ज्यादा सुधार आया है. आंकड़ों के मुताबिक जहां उत्तरप्रदेश में मातृ मृत्यु अनुपात में 30 प्रति लाख का सुधार आया है. वहीं राजस्थान में 23 और बिहार में 19 की कमी आई है. हालांकि इसके बावजूद इन राज्यों में मातृ मृत्यु अनुपात काफी ऊंचा है.
जबकि इसके विपरीत पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तराखंड और छत्तीसगढ ऐसे राज्य थे जहां एमएमआर में वृद्धि दर्ज की गई है. इस दौरान पश्चिम बंगाल में 11 प्रति लाख की वृद्धि हुई है जिसके चलते एमएमआर 98 से बढ़कर 109 पर पहुंच गया है. इसी तरह हरियाणा में पांच और उत्तराखंड में दो प्रति लाख की वृद्धि हुई है.
ऐसे में यदि भारत को एमएमआर के लिए जारी एसडीजी को हासिल करना है तो उसे स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी मेहनत करनी होगी. विशेष रूप से महिलाओं के स्वास्थ्य पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है.
(डाउन टू अर्थ से साभार)
Also Read
-
Exclusive: India’s e-waste mirage, ‘crores in corporate fraud’ amid govt lapses, public suffering
-
4 years, 170 collapses, 202 deaths: What’s ailing India’s bridges?
-
‘Grandfather served with war hero Abdul Hameed’, but family ‘termed Bangladeshi’ by Hindutva mob, cops
-
India’s dementia emergency: 9 million cases, set to double by 2036, but systems unprepared
-
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का सार: क्रेडिट मोदी का, जवाबदेही नेहरू की