Podcast
एनएल चर्चा 228: बिलकिस बानो के बलात्कारियों की रिहाई, राजस्थान में दलित बच्चे की पीटकर हत्या और ‘रेवड़ी’ कल्चर
एनएल चर्चा के इस अंक में बिलक़ीस बानो मामले में हुई रिहाई और देश की न्यायिक व्यवस्था पर विशेष रूप से बातचीत हुई. इसके अलावा राजस्थान में एक दलित बच्चे की शिक्षक द्वारा पीटने से हुई मौत और सरकार द्वारा मुफ्त लाभ देने के विवाद पर भी चर्चा की गई.
चर्चा में इस हफ्ते अहमदाबाद से अधिवक्ता ज़किया सुमन, पत्रकार हृदयेश जोशी और न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत बिलक़ीस बानो मामले से होती है. इस पूरे मामले पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए अतुल सवाल करते हैं, “जिस कमेटी ने यह फैसला किया उस कमेटी का जो चरित्र है, जो स्वरूप है, वह बेहद संदिग्ध है. जिन लोगों को उस पैनल में बिठाया गया उनसे किसी निष्पक्ष और तटस्थ रूप से फैसला करने की उम्मीद नहीं की जाती है. तो यहां पर सबसे बड़ा सवाल हितों के टकराव का है.”
इस सवाल के जवाब में ज़किया कहती हैं, “पैनल को लेकर जो मीडिया में चर्चा हो रही है यह भी एक तरह से कोशिश है अस्ल मुद्दे से ध्यान भटकाने की. पैनल मुद्दा ज़रूर है लेकिन मूल मुद्दा पैनल नहीं है. जो मुद्दा मूल रूप से है वह यह है कि देश भर में जो हज़ारों लाखों क़ैदी सजा काट रहे हैं और उनमें जो उम्रकैद की सजा काट रहे हैं, वह अपील करते रहते हैं माफ़ी नीति के तहत तो क्या उनमें से किसी भी क़ैदी को आपने रिहा कर दिया? कैदी तो अपील करेगा मगर सरकार को यह देखना है कि उसका जो अपराध था वो कितना घिनौना था. यहाँ पर बात आती है बिल्क़ीस बानो के केस की कि क्या जो बिल्क़ीस बानो और उनके परिवार के साथ हुआ उससे भी घिनौनी हरकत कोई हो सकती है ? यहां सवाल नैतिकता का है, सवाल मानवीय मूल्यों का है सवाल है संवैधानिक मूल्यों का जिस तरह से हनन किया जा रहा है वो भी सत्ता में बैठे लोगों के द्वारा.”
इस मुद्दे पर हृदयेश अपने विचार रखते हुए कहते हैं, “एक पत्रकार के तौर पर मैं देख सकता हूं कि इस देश में सबसे बड़ी चीज़ है न्याय और उसका फलसफा. प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से बोलते हैं कि हम महिलाओं के सम्मान का संकल्प लेंगे और उसी दिन उन क़ैदियों को रिहा किया जाता है, पहली विचलित करने वाली बात यही है. यह इत्तेफ़ाक़न हो सकता है, मानना कठिन है, लेकिन प्रतीक के तौर पर यह काफी परेशान करने वाला है.”
बिलक़ीस मामले और बलात्कार के विषय पर शार्दूल कहते हैं, “बलात्कार के बारे में जब लोग बात करते हैं, मैं एक पुरुष हूं तो मैं इसकी कभी कल्पना भी नहीं कर सकता, लेकिन यौन हिंसा सेक्सुअल नहीं बल्कि पावर का क्राइम है. आप सामने वाले को अपनी अकाट्य शक्ति दिखाते हैं कि हम देखो तुम्हारे साथ यह सब कर सकते हैं और तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे.”
इसके अलावा देश में जाति और जातिगत भेदभाव की जो समस्या आज तक बनी हुई है उस पर भी चर्चा में विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
टाइम कोड:
00:00 - 02:50 - इंट्रो और जरूरी सूचना
02:50 - 10:55 - हेडलाइंस
10:55 - 48:13 - बिलकिस बानो केस और दोषियों की रिहाई
48:15 - 57 :45 : - राजस्थान में दलित छात्र की मौत
57:05 - 1:18 :45 - मुफ्त सरकारी योजनाएं
1:18:45 - 1:26 :15 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
ज़किया सुमन
शार्दूल कात्यायन
बिलकीस बानो केस: दोषियों की रिहाई पर सवाल और लाल किले से पीएम मोदी का बयान | NL Saransh
परिवारवादी रामदेव: पतंजलि में रामदेव तो बस ‘एंकर’ हैं, असली मालिक तो कोई और है!
Afghanistan: Last Week Tonight with John Oliver (HBO)
हृदयेश जोशी
अतुल चौरसिया
Also Read
-
‘Godi in Delhi, Didi media in WB’: Bengal journo Suman Chattopadhyay on Mamata, Modi, media
-
‘Defaming me’: Shiv Sena UBT’s Amol Kirtikar on ED notice, Hindutva, Sena vs Sena
-
Modi’s ‘Hindu-Muslim’ assertion amplified unchecked. Thanks to a media in coma
-
Unemployment a big issue, but will it dent Modi govt? Election charcha at Lucknow University
-
No press conference? No problem. Modi explains his ‘new culture’ of avoiding press meets