Report
गांव ककरौली, विधानसभा मीरापुर, जिला मुजफ्फरनगर: यहां मतदान चुनाव आयोग नहीं करवाता, पुलिस की इच्छा से होता है
बुधवार यानी 20 नवंबर को उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान काफी बवाल मचा है. आरोप है कि कई जगहों पर पुलिस प्रशासन ने मुस्लिम मतदाताओं की पहचान कर उन्हें वोट नहीं डालने दिया. इससे संबंधित कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं. खासतौर से मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधानसभा से जो वीडियो सामने आया है उस पर खासा विवाद हो रहा है. यहां वर्दी पहने थाना प्रभारी महिलाओं पर पिस्तौल ताने खड़ा है, और धमकी देता हुआ दिखाई दे रहा है.
इसी तरह की गड़बड़ियां उपचुनाव वाली कई और सीटों पर हुईं. इसको संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिनवा ने पांच अधिकारियों पर कर्रवाई कर उन्हें निलंबित कर दिया है. इन अधिकारियों में दो मुजफ़्फ़रनगर, दो कानपुर और एक अधिकारी मुरादाबाद के हैं.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो की पड़ताल न्यूज़लॉन्ड्री ने की. यह मीरापुर विधानसभा के ककरौली गांव का वीडियो है. हम उस महिला तक पहुंचे जिनके ऊपर पुलिस वाले ने पिस्तौल तान रखी थी. उन्होंने बताया कि जब हम वो लोग पर्ची लेकर वोट डालने जा रहे थे तभी कई पुलिसवालों ने उन्हें घेर लिया. उन्होंने वोटर स्लिप (पर्चियां) छीन लीं और कहने लगे कि आप वोट नहीं डाल सकतीं. मुसलमानों का वोट नहीं पड़ेगा. इस पर महिलाएं जिद करने लगीं कि वोट डालने जाएंगे. महिला के मुताबिक एक पुलिस वाले ने ईंट उठाकर मारने की धमकी दी और वापस जाने को बोला.
वीडियो में देख रही महिला 55 वर्षीय तैयबा हैं. उन्होंने हमें बताया, “इसके बाद मेरी पुलिस वालों से काफी बहस हो गई. मैंने कहा कि आप मुसलमानों को वोट नहीं डालने दे रहे हैं. यह सुनकर वहां मौजूद ककरौली थाना प्रभारी राजीव शर्मा भड़क गए और हमारे ऊपर पिस्तौल तान दी. कहने लगे कि गोली मार दूंगा, भाग जाओ यहां से. इस पर मैंने कहा कि अगर हिम्मत है तो मारो, तुम्हारी वर्दी उतर जाएगी. तुम्हें गोली चलाने का आदेश नहीं है. हमें, हमारे बच्चों, और हमारे मर्दों को पीट रहे हैं तो हमने सोच लिया कि आज इनकी पिस्तौल देखेंगे, लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे. मैं उनके सामने अड़ गई.”
पुलिस पर पथराव
तैयबा कहती हैं, “जब पुलिस ने हमारे ऊपर ईट और पिस्तौल तान दी तो फिर हमारे बच्चों ने पुलिस पर पथराव कर दिया. यह देखकर पुलिसवाले वहां से भागे. हमारे लोगों ने मजबूरी में यह किया. थोड़ी देर बाद पुलिस वाले बड़ी संख्या में वापस लौटे गांव के लोगों पर लाठी चार्ज किया. जिस कारण कोई लोगों को चोटें लगी हैं.”
बड़ा सवाल है कि तैयबा और उनके गांव के अन्य लोगों का वोट पड़ा या नहीं? तैयबा बताती हैं, “पुलिस ने हमें वोट नहीं डालने दिया. भारी तादात में पुलिस हमारे घरों के बाहर टहल रही थी, दरवाजों पर लाठियां मार रही थी, गालियां दे रही थी. जो बाहर मिला उसे पुलिस वालो ने पीटा. मेरे देवर अब्दुल्लाह को भी मारा है. उनको चोटें आई हैं. और भी कई लोग घायल हैं. हमारे परिवार में 200 से ज्यादा वोटर हैं, कोई भी वोट नहीं डाल पाया.”
तैयबा आखिर में जोड़ती हैं, “मुझे इस गांव में 35 साल हो गए रहते हुए, लेकिन मुझे याद नहीं है कि कभी ऐसा हुआ भी हो. पहली बार हमारे साथ ऐसा हुआ है.”
तैयबा का वीडियो वायरल होने के बाद से उनके घर काफी भीड़ लगी है. गांव की कुछ महिलाएं और पुरुष इकट्टा होकर बुधवार को हुए घटनाक्रम पर चर्चा कर रहे हैं.
तैयबा के पति 57 वर्षीय अब्दुल समद कहते हैं, “जब हम वोट डालने गए तो मतदान केंद्र के बाहर मौजूद पुलिसकर्मियों ने हमें वहां से भगा दिया. हमने वजह पूछी तो हम पर लाठीचार्ज कर दिया. पुलिस द्वारा किए गए इस बर्ताव पर हमने मीडिया से बात करने की कोशिश की. पुलिस की लाठी से घायल लोग कैमरे पर अपनी चोटें दिखा रहे थे, पुलिस की शिकायत कर रहे थे. तभी पुलिस के एक और जत्थे ने हम पर दोबारा लाठीचार्ज कर दिया. लोग इधर उधर भाग गए. पुलिस की कार्रवाई गुस्साए गांव के लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया. इसके बाद वहां से पुलिस हटी. लेकिन बूथ पर किसी को वोट नहीं डालने दिया.”
दिल्ली से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में 12 हजार से अधिक लोग रहते हैं. मुज़फ़्फ़रनगर जिले की मीरापुर विधानसभा के ककरौली गांव में 75 फीसदी मुस्लिम, 25 फीसदी हिंदू आबादी है. इस गांव में तीन जगहों पर वोट डाले जा रहे थे. ज्यादा बवाल किसान इंटर कॉलेज के मतदान केंद्र पर हुआ.
63 वर्षीय मोहम्मद कल्लू कहते हैं, “गांव में आज मुसलमानों का 10 फीसदी मतदान भी नहीं हुआ. सवेरे साढ़े सात बजे से ही यहां और आसपास के गांवों में तनाव की स्थिति बनी रही. पहली बार ऐसा हुआ है, प्रशासन ने अच्छा नहीं किया.”
बता दें कि यहां से लोकदल और भाजपा की संयुक्त उम्मीदवार मिथिलेश पाल चुनाव लड़ रही हैं. वे आरएलडी के चुनाव चिन्ह पर अपनी किस्मत आजमा रही हैं. जबकि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन की ओर से सुम्बुल राणा चुनावी मैदान में हैं. वहीं बहुजन समाज पार्टी की ओर से शाहनज़र और आजाद समाज पार्टी से जाहिद हुसैन चुनाव लड़ रहे हैं. असल मुकाबला यहां सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी और भाजपा-आरएलडी गठबंधन प्रत्याशी के बीच माना जा रहा है.
इस सीट से चंदन चौहान विधायक थे लेकिन उनके लोकदल से संसद पहुंच जाने के बाद यह सीट खाली हो गई थी. जिस पर बुधवार को वोट डाले गए.
स्थानीय निवासी शहजाद हसन कहते हैं, “जैसे पहले रामपुर और संभल में हुआ था वैसे ही आज यहां हुआ है. यहां मुसलमानों को निशाना बना कर मतदान करने से रोका गया है. मेरा छोटा भाई विकलांग है. उसे भी नहीं बख्शा. उसके साथ पुलिस ने मारपीट की है. जबकि मेरे एक भाई ने कहा कि मैं आरएलडी को वोट डालने जा रहा हूं तो पुलिस ने उसे कुछ नहीं कहा. पुलिस ने लोगों के साथ भेदभाव किया है. पुलिस को यह सब करना था को चुनाव नहीं कराना चाहिए था बल्कि ऐसे ही जीत का सर्टिफिकेट दे देना चाहिए था.”
गांव के एक और निवासी मुशर्रफ हुसैन कहते हैं, “जब सुबह लोग वोट डालने के लिए अपने घरों से निकले तब सब ठीक चल रहा था, लेकिन जैसे ही मुस्लिम अपने घरों से वोट डालने के लिए निकले तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. दाड़ी, टोपी वालों को टारगेट करके उन्हें बिना वोट डाले ही घरों को वापस भेज दिया. अभी भी गांव में काफी पुलिस है. यहां पर तनाव का माहौल बना हुआ है.”
इस पूरे मामले में पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं कि पुलिस ने लोगों को वोट नहीं डालने दिए. मुस्लिमों को निशाना बनाकर उन लोगों को पोलिंग बूथ से वापस लौटा दिया गया. इस सभी आरोपों के बीच सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पिस्तौल लहराते नजर आ रहे ककरौली थाने के एसएचओ राजीव शर्मा से भी हमने बात की.
शर्मा कहते हैं, “देखिए हमारी चुनाव में ड्यूटी लगी थी. हम लॉ एंड ऑर्डर बहाल करने में व्यस्त थे, तभी हमें सूचना मिली कि दो पक्ष वोटिंग को लेकर हुए आपसी विवाद के चलते सड़क पर जाम लगा रहे हैं. हमने मौके पर पहुंचकर लोगों को समझाने और रोड से हटाने का प्रयास किया. इस पर वे हाथापाई पर उतर आए. फिर हम पर पथराव शुरू कर दिया. इसके चलते मुझे और मेरे सहयोगी को चोटें भी आई हैं.
एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें पुलिस अधिकारी पिस्तौल लहराते दिखाई दे रहे हैं वो आप ही हैं. शर्मा कहते हैं, “हां.”
मुसलमानों को वोट डालने से रोकने की बात पर शर्मा कहते हैं कि ये सब गलत बात है. ये पोलिंग बूथ से एक किलोमीटर दूर की बात है. ये उनके घर के पास एक रोड है वहां की बात है.
शर्मा आगे जोड़ते हैं कि कि पथराव करने वालों पर एक्शन लिया गया है. 20-25 लोगों को नामजद किया है और बाकी के खिलाफ अज्ञात के तौर पर एफआईआर दर्ज की गई है.
क्या पुलिस के खिलाफ भी कोई कार्रवाई हुई है? इस पर वे कहते हैं कि पुलिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
मुज़फ़्फ़रनगर के एसएसपी अभिषेक सिंह कहते हैं, “ग्राम ककरौली का जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें इंस्पेक्टर थाना अध्यक्ष ककरौली हैं. उनके द्वारा दंगा नियंत्रण किया जा रहा है. ये वीडियो आधा है और इसे एक साजिश के तहत वायरल किया जा रहा है. पूर्ण सत्य यह है कि ककरौली कस्बे में एक सूचना आई थी कि दो पक्षों के बीच में झड़प हुई है. जब पुलिस मौके पर पहुंची तो वहां पर लोगों ने रोड जाम करने का प्रयास किया फिर जब पुलिस ने वहां से हटाया तो उन्होंने पुलिस पर पथराव कर दिया. इसके बाद पुलिस ने सूक्ष्म बल प्रयोग करके स्थिति को नियंत्रित किया. इस प्रकरण में जिन्होंने भी पथराव किया है उनके खिलाफ एफआईआर पंजीकृत कर कठोर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.”
बुधवार को उत्तर प्रदेश में फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां, खैर, मीरापुर, सीसामऊ, कटेहरी, करहल और कुंदरकी विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव हुए.
बता दें कि इससे पहले लोकसभा चुनावों में भी इसी तरह का मामला सामने आया था. उत्तर प्रदेश की संभल और रामपुर सीट पर भी इसी तरह के आरोप पुलिस प्रशासन के ऊपर लगे थे. तब न्यूज़लॉन्ड्री ने मौके से एक ग्राउंड रिपोर्ट की थी, जिसे आप यहां देख व पढ़ सकते हैं.
Also Read
-
TV Newsance 318: When Delhi choked, Godi Media celebrated
-
Most unemployed graduates, ‘no progress’, Agniveer dilemma: Ladakh’s generation in crisis
-
‘Worked day and night’: Odisha’s exam ‘irregularities’ are breaking the spirit of a generation
-
Kerala hijab row: How a dispute between a teen and her school became a state-wide debate
-
South Central 48: Kerala hijab row, Andhra Pradesh-Karnataka fight over Google centre