Newslaundry Hindi
‘भारत में मीडिया की आज़ादी का गला घोंट रहे मोदी समर्थक’
भारत में पत्रकारिता करना मुश्किल होता जा रहा है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की हालिया रिपोर्ट ने एक बार फ़िर इस बात की तस्दीक़ की है. संस्थान द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार भारत में मीडिया पर लगातार हमले बढ़े हैं. इसके साथ ही, भारत ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स’ में पिछले साल की तुलना में दो पायदान नीचे गिरकर 180 देशों की सूची में 140वें स्थान पर पहुंच गया है.
भारत इससे पहले साल 2013 में 140वें स्थान पर था. आगे भारत की रैंकिंग में कुछ सुधार हुआ था और साल 2017 में 136 वें स्थान पर आ गया था. लेकिन एक बार फिर भारत 140वें स्थान पर पहुंच गया है. मीडिया की आज़ादी के मामले में नॉर्वे लगातार तीसरे साल नंबर एक पर बना हुआ है. वहीं सूची में आख़िरी पायदान पर तुर्कमेनिस्तान है. भारत के पड़ोसी देशों की बात करें, तो रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान 142वें स्थान पर है और चीन 177वें स्थान पर है. चीन में मीडिया की स्थिति भारत की तुलना में कहीं ज़्यादा बदहाल है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2018 में कम से कम छह पत्रकारों की हत्या कर दी गयी. पत्रकारों पर सोशल मीडिया के जरिये हमले हो रहे हैं. देश में हिंदू राष्ट्रवाद के नाम पर चल रहे एजेंडे की आलोचना करने वाले पत्रकारों को ‘भारत विरोधी’ कहा जा रहा है और उन पर कई तरह से हमले होते रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक़, जैसे-जैसे भारत में साल 2019 के आम चुनावों की तारीख़ क़रीब आती गयी है, पत्रकारों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थकों के हमले बढ़ते गये हैं. अगर सरकार की आलोचना कोई महिला पत्रकार कर रही हो, तो स्थिति और भी ज़्यादा ख़राब हो जाती है. हाल में, मीटू अभियान के जरिये सामने आया था कि भारत में महिला पत्रकारों का काम करना कितना मुश्किल भरा है. उन्हें ऑफिस में ही बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
स्वतंत्र पत्रकार नेहा दीक्षित को भी रिपोर्टिंग के कारण दक्षिणपथी विचारधारा के लोगों के हमले का शिकार होना पड़ा था. उनको सोशल मीडिया पर रेप की धमकी भी दी गयी थी. नेहा दीक्षित न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहती हैं कि “यह बिलकुल सही है कि महिला पत्रकारों को पुरुष पत्रकारों की तुलना में ज़्यादा परेशान किया जाता है. हमारे घर का पता लेकर, हमारी तस्वीरों को फोटोशॉप करके और यहां तक कि परिजनों की भी तस्वीरें सोशल मीडिया पर लोग शेयर करते हैं. हमारे यहां पितृसत्तात्मक समाज में एक महिला अगर अलग सोच रखती है, तो लोग उसे सही नहीं मानते हैं और वह जब अपनी ओपिनियन रखती है या फैक्ट के आधार पर रिपोर्टिंग करती है, तो लोग बर्दाश्त तक नहीं कर पाते हैं. सरकार की गलत नीतियों को अगर महिला पत्रकार सामने लाती है, तो अटैक और बढ़ जाते हैं.”
रिपोर्ट में मीटू अभियान के दौरान सामने आयी मीडिया के अंदर काम कर रही महिलाओं की स्थिति का भी ज़िक्र है. इसको लेकर नेहा कहती हैं, “मीटू के दौरान जो कुछ सामने आया, उससे साफ़ जाहिर है कि यह सब आजकल में ही नहीं हो रहा है. मीडिया में सालों से महिला पत्रकारों के ऐसा होता आ रहा है. आज भी स्थिति बेहतर नहीं है. आधे से ज़्यादा मीडिया हाउसेज़ में इंटरल कम्प्लेन कमेटी नहीं है. महिलाओं के मामले में न्यूज़रूम में ही गंभीरता नहीं बरती जाती है. सिर्फ़ यही नहीं, जहां-जहां इंटरनल कमिटी है, वहां भी महिलाओं की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया जाता.”
रिपोर्ट में इस बात का ज़िक्र भी है कि कश्मीर में विदेशी पत्रकारों को रिपोर्टिंग करने से रोका गया. सरकार की आलोचना करने के कारण कई जगहों पर पत्रकारों पर देशद्रोह का मामला दर्ज़ किया गया. रिपोर्ट में गैर-अंग्रेजी मीडिया पत्रकारों, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले पत्रकारों द्वारा उठाये जाने वाले खतरों पर ज़ोर दिया गया है.
छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता करने वाले प्रभात सिंह पर कई दफ़ा हमले हो चुके हैं. प्रभात न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ”दिल्ली या किसी भी बड़े शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में पत्रकारिता करना बहुत मुश्किल होता है. कोई नेता हो या प्रशासन, यहां आपको सब अच्छे से जानते हैं. उन्हें आपके परिवार के बारे में भी पता होता है. अगर आप उनके ख़िलाफ़ कुछ रिपोर्ट करते हैं, तो आप आसानी से उनकी पकड़ में आ सकते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में ज़्यादातर पत्रकार बतौर फ्रीलांसर काम करते हैं. जब उन पर कोई नेता या अधिकारी हमला करता है, तो संस्थान भी साथ में खड़ा नहीं होता है. कुल मिलाकर सच्चाई यही है कि छोटे शहरों में पत्रकारों पर हमले हों, तो कोई भी उनके पक्ष में खड़ा नहीं होता है.”
Also Read
-
TV Newsance 253: A meeting with News18’s Bhaiyaji, News24’s Rajeev Ranjan in Lucknow
-
Uttarakhand: Forests across 1,500 hectares burned in a year. Were fire lines drawn to prevent it?
-
Know Your Turncoats, Part 15: NDA has 53% defectors in phase 5; 2 in Shinde camp after ED whip
-
Grand rallies at Mumbai: What are Mahayuti and MVA supporters saying?
-
Reporters Without Orders Ep 322: Bansuri Swaraj’s debut, Sambhal violence