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‘ताजा चुनावी नतीजों से मोदीजी को अपनी गिरावट का अहसास हो चुका है’
बीते करीब तीन दशकों के दौरान अयोध्या का मंदिर-मस्जिद विवाद जिस राजनीतिक अखाड़े में खेला गया उसके एक सिरे पर भाजपा, संघ और विहिप जैसे संगठन थे तो दूसरे पाले में समाजावादी पार्टी की अहम भूमिका रही. 1990 में जब पहली बार भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी सोमनाथ से अयोध्या की रथयात्रा पर निकले तो उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार थी. 30 अक्टूबर को अयोध्या में उत्पाती कारसेवकों के ऊपर गोली चलाने का आदेश देकर मुलायम सिंह यादव रातोरात मुस्लिम समाज के भीतर रहनुमा के तौर पर स्थापित हो गए.
उस समय भाजपा और तमाम दक्षिणपंथी संगठन मुलायम सिंह को मौलाना मुलायम सिंह संबोधित करते थे. कारसेवा के दौरान मुलायम सिंह का एक बयान सबसे ज्यादा प्रचारित हुआ जब उन्होंने कहा- “अयोध्या में परिंदा नहीं मार सकता.”
इस घटना के बाद मुसलमान समाज मुलायम सिंह के पीछे जबर्दस्त तरीके से गोलबंद हो गया. यह समर्थन करीब ढाई दशकों तक जारी रही. लेकिन अब जब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अयोध्या मामले पर हिंदुओं के पक्ष में आया है और देश का मिजाज़ पूरी तरह से हिंदुमय है तब ज्यादातर राजनीतिक दलों की तरह समाजवादी पार्टी भी खुलकर इस फैसले की आलोचना या समर्थन नहीं कर पा रही है. समाजवादी पार्टी की इस दुविधा और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अयोध्या के पूर्व समाजवादी पार्टी विधायक और मंत्री तेज नारायण पांडेय से हमने बातचीत की. पूरी बातचीत सुनने के लिए यह वीडियो देखें.
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