Newslaundry Hindi
मीडिया पर सरकार का नियंत्रण अभिव्यक्ति की आजादी को ताबूत में डालने के सामान- एनबीएफ
न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन (एनबीएफ) ने बॉम्बे हाईकोर्ट में सुशांत सिंह राजपूत के मामले में हुए मीडिया ट्रायल की सुनवाई के दौरान कहा, मीडिया के लिए मौजूदा दिशा निर्देश पर्याप्त और बहुत हैं. अगर प्रेस को सरकार के नियंत्रण में लाया गया तो वह खतरनाक हो सकता है.
बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जी एस कुलकर्णी की बेंच इस पूरे मामले की सुनवाई कर रही है. सीनियर वकील सिद्धार्थ भटनागर एनबीएफ की तरह से कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने प्रेस के स्वंय नियमन प्रणाली पर जोर दिया.
लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, सीनियर वकील सिद्धार्थ भटनागर ने कहा, “किसी भी तरह के सरकारी मीडिया रेगुलेशन से आर्टिकल 19 1(A) को ताबूत में गाड़ने के समान होगा. इससे आगे चलकर आर्टिकल 19 1(A) और फ्री ट्रायल के बीच समस्या खड़ी हो जाएगी. जबकि पहले से ही सिस्टम है जो इन दोनों को संतुलित किए हुए है.”
इससे पहले कोर्ट में एनबीएफ ने कहा, वह प्राइवेट न्यूज़ चैनलों का एक समूह हैं, जिसका खुद का एक स्वंय नियमन संस्था हैं प्रोफेशनल न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (पीएनबीएसओ) जिसके प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज है.
बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने एनबीएफ से पूछा था कि सुशांत सिंह राजपूत के मामले में हो रही गैर ज़िम्मेदाराना कवरेज पर संस्था ने खुद कोई एक्शन क्यों नहीं लिया.
इसके अलावा कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी से कहा था, चैनल के पास कोई अधिकार नहीं है कि वह जनता से सवाल करे कि किसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए और किसकी नहीं?
Also Read
-
How booth-level officers in Bihar are deleting voters arbitrarily
-
TV Newsance Live: What’s happening with the Gen-Z protest in Nepal?
-
More men die in Bihar, but more women vanish from its voter rolls
-
20 months on, no answers in Haldwani violence deaths
-
South Central 43: Umar Khalid’s UAPA bail rejection and southern leaders' secularism dilemma