Newslaundry Hindi
फ्रंटियर मणिपुर के दो पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज
मणिपुर पुलिस ने राजधानी इंफाल स्थित फ्रंटियर मणिपुर के एडिटर इन चीफ सदोकपम धिरेन और एग्जीक्यूटिव एडिटर पाओजेल छवोबा के खिलाफ एक आर्टिकल को लेकर यूएपीए और राजद्रोह की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है.
‘रिवोल्यूशनरी जर्नी इन अ मेस’ नाम से लिखे इस लेख को एम जाय लुवांग ने लिखा है. उनके खिलाफ भी इन्हीं धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है.
इस्ट मोजो की खबर के मुताबिक, मणिपुर पुलिस ने दावा किया कि लेख ने खुले तौर पर क्रांतिकारी विचारधाराओं और गतिविधियों का समर्थन किया, और पिछले एक दशक में मणिपुर में सुरक्षाबलों के चरित्र पर आघात और निराशा व्यक्त की.
पुलिस ने यह भी आरोप लगाया कि लेख ने स्पष्ट रूप से मणिपुर के सशस्त्र समूहों की विचारधाराओं और गतिविधियों के लिए सहानुभूति और समर्थन व्यक्त किया. केंद्र और राज्य सरकार के 'रूल ऑफ लॉ' को 'औपनिवेशिक कानून' कहा. इस लेख से घृणा, अवमानना और दुश्मनी की भावना लाने का प्रयास है.
पाओजेल छवोबा की पत्नी सनाहनबी देवी ने आल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस मामले से अवगत कराया साथ ही संगठन से जरूरी कदम उठाने की मांग की.
मणिपुर पुलिस ने राजधानी इंफाल स्थित फ्रंटियर मणिपुर के एडिटर इन चीफ सदोकपम धिरेन और एग्जीक्यूटिव एडिटर पाओजेल छवोबा के खिलाफ एक आर्टिकल को लेकर यूएपीए और राजद्रोह की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है.
‘रिवोल्यूशनरी जर्नी इन अ मेस’ नाम से लिखे इस लेख को एम जाय लुवांग ने लिखा है. उनके खिलाफ भी इन्हीं धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है.
इस्ट मोजो की खबर के मुताबिक, मणिपुर पुलिस ने दावा किया कि लेख ने खुले तौर पर क्रांतिकारी विचारधाराओं और गतिविधियों का समर्थन किया, और पिछले एक दशक में मणिपुर में सुरक्षाबलों के चरित्र पर आघात और निराशा व्यक्त की.
पुलिस ने यह भी आरोप लगाया कि लेख ने स्पष्ट रूप से मणिपुर के सशस्त्र समूहों की विचारधाराओं और गतिविधियों के लिए सहानुभूति और समर्थन व्यक्त किया. केंद्र और राज्य सरकार के 'रूल ऑफ लॉ' को 'औपनिवेशिक कानून' कहा. इस लेख से घृणा, अवमानना और दुश्मनी की भावना लाने का प्रयास है.
पाओजेल छवोबा की पत्नी सनाहनबी देवी ने आल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस मामले से अवगत कराया साथ ही संगठन से जरूरी कदम उठाने की मांग की.
Also Read
-
Skills, doles, poll promises, and representation: What matters to women voters in Bihar?
-
From Cyclone Titli to Montha: Odisha’s farmers suffer year after year
-
How Zohran Mamdani united New York’s diverse working class
-
No victory parade for women or parity: ‘Market forces’ merely a mask for BCCI’s gender bias
-
NDA claims vs Bihar women’s reality: Away from capital, many still wait for toilet, college, and a chance