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एनएल इंटरव्यू: विजय त्रिवेदी, उनकी किताब संघम शरणम् गच्छामि और आरएसएस का सफर
विजय त्रिवेदी अपनी राजनीतिक रिपोर्टिंग, संसदीय कवरेज और शीर्ष राजनेताओं, नौकरशाहों और मशहूर हस्तियों के साक्षात्कार की अपनी अनूठी शैली के लिए जाने जाते हैं. दो दशक से ज्यादा समय से राजनीतिक रिपोर्टिंग में सक्रिय विजय भारतीय राजनीति की गहरी समझ रखते हैं और साथ ही इन विषयों पर लगातार एक सुसंगत विचार रखते हैं.
त्रिवेदी लगभग 17 वर्षों तक एनडीटीवी इंडिया में रहे इसके बाद वह न्यूज नेशन और न्यूज स्टेट टीवी में भी काम किया. उन्होंने पत्रकारिता की शुरूआतर 1985 में द टाइम्स ऑफ इंडिया समूह के हिंदी दैनिक समाचार पत्र नवभारत टाइम्स के साथ की थी. देश में दक्षिणपंथी विचारधारा की राजनीति, उसकी विकास यात्रा पर विजय त्रिवेदी की यह चौथी किताब है.
“डॉ हेडगेवार ने 1925 में कैसे एक हिंदू राष्ट्र के रूप में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की नींव रखी और हिन्दुत्व में राष्ट्रवाद के मेल ने सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने के लम्बे सफ़र को आसान किया.” इस किताब ‘संघम् शरणम् गच्छामि’ - आरएसएस के सफर का एक ईमानदार दस्तावेज का दावा है कि यह संघ के पूरे सफर का एक ईमानदार दस्तावेजीकरण है. इसका प्रकाशन वेस्टलैंड प्रकाशन ने किया.
विजय त्रिवेदी ने इस किताब में संघ के अब तक के सफ़र के ऐसे सभी अहम पड़ाव दर्ज किए हैं जिनके बिना आधुनिक भारत की राजनीतिक यात्रा अधूरी है. संघ की यात्रा के माध्यम से त्रिवेदी भारतीय राजनीति के कुछ कहे-अनकहे पहलुओं को भी सामने लाते हैं. उनके मुताबिक यह किताब न सिर्फ़ अतीत का दस्तावेज़ है, बल्कि भविष्य का संकेत भी है.
न्यूज़लॉन्ड्री पर आप इस पूरी बातचीत को देखिए और अपनी राय दीजिए.
विजय त्रिवेदी अपनी राजनीतिक रिपोर्टिंग, संसदीय कवरेज और शीर्ष राजनेताओं, नौकरशाहों और मशहूर हस्तियों के साक्षात्कार की अपनी अनूठी शैली के लिए जाने जाते हैं. दो दशक से ज्यादा समय से राजनीतिक रिपोर्टिंग में सक्रिय विजय भारतीय राजनीति की गहरी समझ रखते हैं और साथ ही इन विषयों पर लगातार एक सुसंगत विचार रखते हैं.
त्रिवेदी लगभग 17 वर्षों तक एनडीटीवी इंडिया में रहे इसके बाद वह न्यूज नेशन और न्यूज स्टेट टीवी में भी काम किया. उन्होंने पत्रकारिता की शुरूआतर 1985 में द टाइम्स ऑफ इंडिया समूह के हिंदी दैनिक समाचार पत्र नवभारत टाइम्स के साथ की थी. देश में दक्षिणपंथी विचारधारा की राजनीति, उसकी विकास यात्रा पर विजय त्रिवेदी की यह चौथी किताब है.
“डॉ हेडगेवार ने 1925 में कैसे एक हिंदू राष्ट्र के रूप में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की नींव रखी और हिन्दुत्व में राष्ट्रवाद के मेल ने सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने के लम्बे सफ़र को आसान किया.” इस किताब ‘संघम् शरणम् गच्छामि’ - आरएसएस के सफर का एक ईमानदार दस्तावेज का दावा है कि यह संघ के पूरे सफर का एक ईमानदार दस्तावेजीकरण है. इसका प्रकाशन वेस्टलैंड प्रकाशन ने किया.
विजय त्रिवेदी ने इस किताब में संघ के अब तक के सफ़र के ऐसे सभी अहम पड़ाव दर्ज किए हैं जिनके बिना आधुनिक भारत की राजनीतिक यात्रा अधूरी है. संघ की यात्रा के माध्यम से त्रिवेदी भारतीय राजनीति के कुछ कहे-अनकहे पहलुओं को भी सामने लाते हैं. उनके मुताबिक यह किताब न सिर्फ़ अतीत का दस्तावेज़ है, बल्कि भविष्य का संकेत भी है.
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