Newslaundry Hindi
अखबार और टीवी के रेगुलेशन अब ऑनलाइन मीडिया पर भी होगें लागू
केंद्र सरकार ने गुरुवार को इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 जारी किया. इस मौके पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर मौजूद थे.
ओटीटी, न्यूज़ पोर्टल और सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइंस का ऐलान करते हुए केंद्र सरकार ने कहा- सोशल मीडिया का करोड़ों लोग इस्तेमाल करते हैं. इसलिए इसके दुरुपयोग को रोकना जरूरी है साथ ही न्यूज के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और मनोरंजन करने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को भी सेल्फ-रेगुलेशन करना होगा.
सरकार ने कहा, डिजिटल न्यूज मीडिया के पब्लिशर्स को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के नॉर्म्स ऑफ जर्नलिस्टिक कंडक्ट और केबल टेलीविजन नेटवर्क्स रेगुलेशन एक्ट के तहत प्रोग्राम कोड का पालन करना होगा. इससे ऑफलाइन और डिजिटल मीडिया के लिए एक-समान रेगुलेशन होगा.
इस दौरान केंद्र सरकार ने कहा, डिजिटल न्यूज मीडिया पब्लिशर्स से प्रेस काउंसिल की तरह सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनाए, जहां सुप्रीम कोर्ट या होईकोर्ट के पूर्व जज अध्यक्ष हो. इस रेगुलेशन बॉडी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, “ओटीटी और डिजिटल मीडिया के लिए तीन स्तरीय निगरानी व्यवस्था होगी. इनके लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है लेकिन वेबसाइट पर डिसक्लेमर देना होगा.”
प्रेस कॉन्फ्रेस में जब ऑनलाइन मीडिया के नियमों को लेकर बातचीत करने का सवाल किया गया तो एमआईबी मंत्री जावड़ेकर ने कहा, “हमें यह नहीं पता कि देश में कितने न्यूज़ पोर्टल है, जब तक हमें पता नहीं होगा हम कैसे उनसे बातचीत करेगें. हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं सलाह और सुझाव के लिए.”
सरकार ने साफ किया हैं कि इसके लिए कोई नया कानून नहीं बनाया, बल्कि इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के तहत नए नियम बनाए हैं. जिसके तहत ही यह गाइडलाइन जारी की जा रही है.
एक्सचेंज फॉर मीडिया की खबर के मुताबिक, इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन ने इस नए ऐलान के बाद ऑनलाइन मीडिया के रेगुलेशन को लेकर सवाल उठाया है.
एक ब्लाग में संस्था ने लिखा, “सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के दायरे का विस्तार समाचार मीडिया तक नहीं है, और इसलिए दिशानिर्देशों में समाचार मीडिया को विनियमित करने के लिए विधायी समर्थन नहीं है. इस प्रकार, ये नियम मौजूदा नियमों से परे की शक्तियों का प्रयोग कर रहे हैं.”
संस्था के मुताबिक, "समाचार और करेंट अफेयर्स कंटेट” की अस्पष्ट परिभाषा आगे मनमानी को जन्म दे सकती है.”
केंद्र सरकार ने गुरुवार को इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 जारी किया. इस मौके पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर मौजूद थे.
ओटीटी, न्यूज़ पोर्टल और सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइंस का ऐलान करते हुए केंद्र सरकार ने कहा- सोशल मीडिया का करोड़ों लोग इस्तेमाल करते हैं. इसलिए इसके दुरुपयोग को रोकना जरूरी है साथ ही न्यूज के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और मनोरंजन करने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को भी सेल्फ-रेगुलेशन करना होगा.
सरकार ने कहा, डिजिटल न्यूज मीडिया के पब्लिशर्स को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) के नॉर्म्स ऑफ जर्नलिस्टिक कंडक्ट और केबल टेलीविजन नेटवर्क्स रेगुलेशन एक्ट के तहत प्रोग्राम कोड का पालन करना होगा. इससे ऑफलाइन और डिजिटल मीडिया के लिए एक-समान रेगुलेशन होगा.
इस दौरान केंद्र सरकार ने कहा, डिजिटल न्यूज मीडिया पब्लिशर्स से प्रेस काउंसिल की तरह सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनाए, जहां सुप्रीम कोर्ट या होईकोर्ट के पूर्व जज अध्यक्ष हो. इस रेगुलेशन बॉडी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, “ओटीटी और डिजिटल मीडिया के लिए तीन स्तरीय निगरानी व्यवस्था होगी. इनके लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है लेकिन वेबसाइट पर डिसक्लेमर देना होगा.”
प्रेस कॉन्फ्रेस में जब ऑनलाइन मीडिया के नियमों को लेकर बातचीत करने का सवाल किया गया तो एमआईबी मंत्री जावड़ेकर ने कहा, “हमें यह नहीं पता कि देश में कितने न्यूज़ पोर्टल है, जब तक हमें पता नहीं होगा हम कैसे उनसे बातचीत करेगें. हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं सलाह और सुझाव के लिए.”
सरकार ने साफ किया हैं कि इसके लिए कोई नया कानून नहीं बनाया, बल्कि इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के तहत नए नियम बनाए हैं. जिसके तहत ही यह गाइडलाइन जारी की जा रही है.
एक्सचेंज फॉर मीडिया की खबर के मुताबिक, इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन ने इस नए ऐलान के बाद ऑनलाइन मीडिया के रेगुलेशन को लेकर सवाल उठाया है.
एक ब्लाग में संस्था ने लिखा, “सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के दायरे का विस्तार समाचार मीडिया तक नहीं है, और इसलिए दिशानिर्देशों में समाचार मीडिया को विनियमित करने के लिए विधायी समर्थन नहीं है. इस प्रकार, ये नियम मौजूदा नियमों से परे की शक्तियों का प्रयोग कर रहे हैं.”
संस्था के मुताबिक, "समाचार और करेंट अफेयर्स कंटेट” की अस्पष्ट परिभाषा आगे मनमानी को जन्म दे सकती है.”
Also Read
-
Another Election Show: Hurdles to the BJP’s south plan, opposition narratives
-
‘Not a family issue for me’: NCP’s Supriya Sule on battle for Pawar legacy, Baramati fight
-
‘Top 1 percent will be affected by wealth redistribution’: Economist and prof R Ramakumar
-
Presenting NewsAble: The Newslaundry website and app are now accessible
-
Never insulted the women in Jagan’s life: TDP gen secy on Andhra calculus, BJP alliance