Newslaundry Hindi
बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था पर क्या बोले यहां के शिक्षा मंत्री
जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता कृष्ण नंदन वर्मा साल 2017 से बिहार के शिक्षा मंत्री का पद संभाल रहे हैं. साल 2015 में इन्होंने जहानाबाद के घोसी विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की थी. इस बार ये अपना क्षेत्र बदलकर जहानाबाद शहर से चुनावी मैदान में हैं. क्षेत्र बदलने के सवाल पर वर्मा कहते हैं, ‘‘पार्टी नेतृत्व ने जो फैसला किया है उसे मानना मेरा काम है.’’ लेकिन एक हकीक़त यह भी है कि घोसी विधानसभा क्षेत्र में वर्मा को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा था. कई बार स्थानीय निवासी उनके खिलाफ सड़कों पर आ गए. जिसके बाद उन्होंने क्षेत्र बदलने का फैसला किया.
बिहार की शिक्षा व्यवस्था हमेशा से सवालों के घेरे में रही है. यहां कभी परीक्षा के दौरान नकल की तस्वीर सामने आती है तो कभी राज्य टॉपर को अपने विषय के बारे में ही नहीं पता होता. स्कूल के भवन तो बन गए, लेकिन उसमें शिक्षक नहीं हैं. हमें कई स्कूल ऐसे मिले जहां आठवीं तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए महज तीन शिक्षक हैं. आंकड़ों की बात करें तो बिहार में तकरीबन तीन लाख शिक्षकों के पद खाली हैं. बिहार के ज़्यादातर विश्वविद्यालयों में आज भी तीन साल में ग्रेजुएशन पूरा होना नसीब खुलने जैसा माना जाता है. ऐसे ही सवालों का जवाब हमने शिक्षामंत्री से जानने की कोशिश की है.
इसके अलावा बिहार में बदलते राजनीतिक समीकरण में नीतीश कुमार के भविष्य पर भी हमने बात की. वर्मा कहते हैं कि नीतीश कुमार कभी फंसते नहीं हैं. उन्हें पूरा भरोसा है कि जदयू-बीजेपी गठबंधन एक बार फिर सत्ता में वापसी करेगा और बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनेगी.
देखिए ये पूरी बातचीत.
***
यह स्टोरी एनएल सेना सीरीज का हिस्सा है, जिसमें हमारे 34 पाठकों ने योगदान दिया. आप भी हमारे बिहार इलेक्शन 2020 सेना प्रोजेक्ट को सपोर्ट करें और गर्व से कहें 'मेरे खर्च पर आज़ाद हैं ख़बरें'.
Also Read
-
How booth-level officers in Bihar are deleting voters arbitrarily
-
TV Newsance Live: What’s happening with the Gen-Z protest in Nepal?
-
More men die in Bihar, but more women vanish from its voter rolls
-
20 months on, no answers in Haldwani violence deaths
-
South Central 43: Umar Khalid’s UAPA bail rejection and southern leaders' secularism dilemma