“नीरव मोदीजी, आप अपने आप में हीरा हैं”

पत्र लिखकर अपना पक्ष रखने वाले भगोड़े नीरव मोदी को लिखा गया रवीश कुमार का यह जवाबी पत्र कई और पहलुओं को उजागर करता है.

WrittenBy:रवीश कुमार
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हे भारतत्यागी नीरव मोदी,

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प्रेरक पत्र के लिए शुक्रिया. आज जांच एजेंसियों में समोसे बंटेंगे कि जिस नीरव मोदी तक वे नहीं पहुंच सके, उस नीरव मोदी का पत्र जन-जन तक पहुंच गया. आपने वाकई इन जांच एजेंसियों का ब्रांड ऊंचा कर दिया है. हुकूमत के यारों को न पकड़ने का इनका रिकार्ड यूं ही नहीं बना है.

आपका पत्र देखकर सुकून हुआ कि इतना सब होने के बाद भी आप परेशान नहीं हैं. पत्र वगैरह लिख रहे है. हम आपके इस साहस को सलाम करते हैं और शबाब भेजते हैं. आपने दस बीस हज़ार करोड़ के लिए जो भारत का त्याग किया है वो इस युग में कोई नहीं कर पाएगा. कहीं आप भी तो अतीत में कुछ नहीं बेचते थे, अगर ऐसा है तो बता दीजिए. हम गर्व करेंगे कि नीरव हीरा से पहले हलुआ बेचता था. हम गर्व करेंगे.

आपका ब्रांड आहत हुआ है. बात-बात में भावनाओं और आस्थाओं के आहत हो जाने वाले देश में यह वाला आहत कुछ नया है. आपके साथ ग़लत हुआ है. पंजाब नेशनल बैंक का ब्रांड तो जैसे मिट्टी का ढेर है. बैंक को आंख मूंद कर दस बीस हज़ार करोड़ और ले जाने देना चाहिए था. जैसे कि आप बैंक को बता कर गए थे कि हम भारत त्याग का प्लान बना रहे हैं, आप चिन्ता न करें, लोन चुका दिया जाएगा.

बैंक सह लेता तो आज आपका ब्रांड और ऊंचा हो गया होता. वैसे आपके पत्र से आपका ब्रांड ऊंचा ही हुआ है. नीरव मोदी भले ही नरेंद्र मोदी न हो मगर नरेंद्र मोदी की जांच एजेंसियों से नहीं डरता है. उन्हें पत्र लिखता है. पता नहीं, इस केस से पंजाब नेशनल बैंक के ब्रांड को क्या पहुंचा है, आघात या बलाघात.

आप हुकूमत के यार नहीं होते तो कोई भी दारोगा एक मिनट में आपको सीधा कर देता. आपकी किस्मत अच्छी है कि आपके पास लिखने के लिए अभी भी कई नाम हैं. उन नामों को अभी न लिखें. हम ख़बरों में पढ़कर आप पर गर्व कर रहे हैं कि आप बैंक से पैसा लेते हैं, कोई और आपका पैसा लेकर मैनेज करता है. बेकार में ऑफ रिकार्ड बातों को ऑन रिकार्ड क्यों करना है.

आप बेफिक्र रहें, मुझे पूरा भरोसा है कि आपका कुछ नहीं होगा. आपका होगा तो हुकूमत में बहुतों का बहुत कुछ हो जाएगा. आपने लेटर ऑफ अंडरटेकिंग से हज़ारों करोड़ रुपये उड़ाने के बाद लेटर लिख कर अच्छा किया है. इससे पता चलता है कि आपके दिल में लेटर के लिए कितनी जगह है. यह काम आपके लेवल का भारतत्यागी ही कर सकता है. चंद पैसों के लिए आपने सही मौके पर भारत का जो त्याग किया है वह उसी परंपरा में है जो चली आ रही है.

आपके पत्र ने हमारे यक़ीन को पुख़्ता किया है. हम जानते थे कि आप पैसा नहीं लौटाएंगे. आपने और आपके मामाजी ने पंजाब नेशनल बैंक के मैनेजर से यारी दोस्ती में दस पांच की उधारी नहीं ली है. 11000 करोड़ का गोलमाल किया है. उस अपराध पर आपने एक शब्द नहीं लिखा. हम जानते हैं आपने क्यों नहीं लिखा क्योंकि आपके पास वे नाम हैं जो आपकी जेब में रखे हैं. वे ग़लती से भी बाहर आ गए तो प्रेस कांफ्रेंस के लिए कोई मंत्री बाहर नहीं आ पाएगा. अगर आपने बोल दिया तो हीरो की तरह चमकने वाले नेता लोगों को रैली में जाने के लिए साइकिल नहीं मिलेगी.

नीरव मोदीजी, भारत आने से न डरें. आपकी रिश्तेदारी ही इस कमाल की है कि हाथ लगाने में हुज़ूर के हाथ कांप जाएंगे. हमारे मेहुल भाई तो यहीं हैं, उनका भी कुछ नहीं हुआ है. यह न समझें कि रक्षामंत्री, कानून मंत्री और मानव संसाधन मंत्री के बाद मंत्री नहीं बचे हैं. अभी बहुत मंत्री हैं आपके लिए. कृषि कल्याण मंत्री हैं, जहाजरानी मंत्री हैं, रसायन व ऊर्वरक मंत्री हैं, सूचना मंत्री हैं. आप कहेंगे तो प्रेस कांफ्रेंस के लिए कार्मिक मंत्री भी भेज दिए जाएंगे. यह घोटाला यूपीए के समय का है, पता नहीं आप किस समय के हैं.

आप लूट का माल लौटाने की बात इस तरह से कर रहे हैं जैसे माल लौटा देने से कोई बरी हो जाता है. अगर ऐसा है तो यह छूट सभी डाकुओं और लुटेरों को मिले ताकि वे लूट का माल लौटा कर अपने घरों को लौट जाएं.

आपके पत्र से लग रहा है कि पंजाब नेशनल बैंक ने शौक के लिए आप पर मुकदमा किया और सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय ने यूं ही तफ़रीह के लिए छापे डाले हैं. वैसे भी इन्हें कुछ काम तो है नहीं. बिहार में सृजन घोटाला हुआ है, 1500 करोड़ का. उसी के मुख्य आरोपी को ये आज तक नहीं पकड़ पाए हैं और न पकड़ेंगे. तो आपको कौन पकड़ लेगा.

नीरव मोदी जी, आप बहुत क्यूट हैं. आप अपने आप में हीरा हैं हीरा. हीरा है सदा के लिए. नीरव है बैंकों की संपदा के लिए. सवर्दा के लिए. ग़लत कहते हैं लोग कि कोयले से हीरा बनता है. कोयले से हम जैसे लोग बनते हैं जिन्हें हिन्दी में मूर्ख कहा जाता है. आपके ब्रांड को जो नुकसान हुआ है, उसके लिए मैं पंजाब नेशनल बैंक की तरफ से क्षमा मांगता हूं. आप बैंकों से हीरा निकालते रहें. पत्र लिखते रहें.

सबका,
रवीश कुमार

(रवीश कुमार के फेसबुक से साभार)

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