बजट का आवंटन बता रहा है कि सरकार प्राथमिक स्वास्थ्य से अपना पिंड छुड़ा रही है.
हर साल बजट आता है. हर साल शिक्षा और स्वास्थ्य में कमी होती है. लोकप्रिय मुद्दों के थमते ही शिक्षा और स्वास्थ्य पर लेख आता है. इस उम्मीद में कि सार्वजनिक चेतना में स्वास्थ्य से जुड़े सवाल बेहतर तरीके से प्रवेश करेंगे. ऐसा कभी नहीं होता. लोग उसे अनदेखा कर देते हैं. इंडियन एक्सप्रेस में लोक स्वास्थ्य पर काम करने वाली प्रोफेसर इमराना क़ादिर और सौरिन्द्र घोष के लेख को अच्छे से पेश किया गया है ताकि पाठकों की नज़र जाए. इस लेख के कुछ बिन्दु इस प्रकार हैं: