ज़ी समूह में जारी है उठापटक

आर्थिक कारणों का हवाला देकर ज़ी मीडिया ग्रुप कर्मचारियों को दिखा रहा बाहर का रास्ता.

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लोकसभा चुनावों के नतीजों के बीच ज़ी न्यूज़ में उथल-पुथल देखने में आ रही है. मतगणना के दिन ही ज़ी न्यूज़ के सबसे लोकप्रिय प्राइम टाइम शो डीएनए को देखने वाले एसोसिएट एडिटर सिद्धार्थ त्रिपाठी ने भी इस्तीफ़ा दे दिया है. अटकलें सुधीर चौधरी की विदाई की भी हैं, हालांकि कोई भी अभी इसकी पुष्टि करने को तैयार नहीं है.

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संस्थान में काम करने वाले एक कर्मचारी की माने तो, “पूरे ज़ी न्यूज़ में सुधीर चौधरी, सिद्धार्थ त्रिपाठी को सबसे ज़्यादा मानते हैं. उन्होंने इस्तीफ़ा दिया है तो इसका मतलब है कि कुछ बड़ी गड़बड़ी हुई है. हालांकि अभी सुधीर ने इस्तीफ़ा नहीं दिया है.”

लंबे समय से जारी है ज़ी में उठा-पटक

एन चुनाव के बीच ज़ी मीडिया ग्रुप में काफ़ी संख्या में कर्मचारियों की छटनी चल रही है. इसके संकेत मार्च में ही मिलने लगे थे, जब ज़ी हिंदुस्तान से जुड़े कई वरिष्ठ कर्मचारियों को अचानक से नौकरी छोड़कर जाने के लिए कह दिया गया था.

ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ वरिष्ठ कर्मचारियों को ही नौकरी से निकाला गया है. कंपनी के एचआर विभाग के सूत्रों के अनुसार 20 मई की सुबह ही 10 से ज़्यादा ऑफिस बॉय को संस्थान ने निकाल दिया है. उन्हें कहा गया है कि अगले महीने तक नयी नौकरी तलाश लें. वहीं 27 मई के बाद पत्रकारिता से जुड़े कई और लोगों की छटनी की आशंका भी जतायी जा रही है. कुछ लोगों को मैनेजमेंट ने निकाले जाने की सूचना पहले ही दे दी है और कुछ लोगों को धीरे-धीरे इसकी सूचना दी जा रही है.

ज़ी मीडिया ग्रुप के चैनल ज़ी हिंदुस्तान में इनपुट हेड रहे हर्ष रंजन ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “हम लोग 29 मार्च को दिन भर क्या चलने वाला है, इसे लेकर मीटिंग कर रहे थे. मीटिंग के बीच में ही मैनेजमेंट के लोगों ने हमें बुलाया और कहा कि हम आर्थिक संकट से गुज़र रहे हैं, इसलिए हमें आने वाले फाइनेंसियल ईयर में आप लोगों की सेवा की ज़रूरत नहीं है. 31 मार्च आप लोगों का आख़िरी दिन है. 29 मार्च शुक्रवार का दिन था. अगले दो दिन शनिवार और रविवार था. हमने उसी दिन से ऑफिस जाना बंद कर दिया.”

हर्ष रंजन आगे बताते हैं, “मैं यहां सलाहकार संपादक के रूप में काम कर रहा था. मुझे संस्थान से कोई शिकायत नहीं है. नौकरी छोड़ने के बाद मेरा जो भी बकाया था कंपनी ने समय से दे दिया. लेकिन जिस तरह से मुझे नौकरी छोड़ने के लिए कहा गया, वो तरीका गलत था. मैं तो 30 साल से काम कर रहा हूं. आज तक, सहारा जैसी मीडिया संस्थान को खड़ा करने वाली टीम में काम कर चुका हूं. मुझे ज़्यादा परेशानी नहीं हुई, लेकिन जो नये लड़के हैं, उनका मनोबल ज़रूर टूटेगा. उनके मन में नौकरी को लेकर एक डर घर कर जायेगा और मुमकिन है कि वो आगे मन से काम न कर पायें. नौकरी जाने का डर हमेशा उनके मन में रहेगा.”

ज़ी हिंदुस्तान को लॉन्च करने वाले एक सीनियर कर्मचारी बताते हैं, “जी ग्रुप के प्रमुख सुभाष चंद्रा चाहते थे कि भारत में भी एक एंकरलेस चैनल बने. इसके लिए मैंने काफ़ी मेहनत किया और 45 दिन के अंदर भारत का पहला एंकरलेस चैनल आ गया. जब हमने चैनल तैयार कर दिया, तो हमारे ख़िलाफ़ वहां साजिश शुरू हो गयी. सीनियर पदों पर बैठे लोगों को इधर-उधर किया जाने लगा और एक दिन मैनेजमेंट ने आर्थिक परेशानी का हवाला देकर मुझे नौकरी छोड़ने के लिए कह दिया.” ये कर्मचारी अपना नाम नहीं उजागर करना चाहते, क्योंकि इससे उन्हें आगे काम मिलने में दिक्कत होने का अंदेशा है.

वे आगे जोड़ते हैं, “ज़ी हिंदुस्तान में अभी जितने भी कार्यक्रम चल रहे हैं, ज्यादातर मेरा ही आइडिया था. कार्यक्रमों के नाम तक मैंने ही दिये थे. ऐसे में आप कह सकते हैं कि ज़ी ने हमें इस्तेमाल करके आर्थिक कारणों का हवाला देकर छोड़ दिया.”

संस्थान से जुड़े एक सीनियर अधिकारी कहते हैं, “अमूमन, ज़ी में अप्रेज़ल मार्च के महीने तक हो जाता है और अप्रैल में सैलरी से जुड़कर आता है. इस बार चुनाव की वजह से अप्रेज़ल में लगातार देरी हो रही है. अब शायद संस्थान ने सोचा है कि कुछ लोगों को निकाला जाये, और उससे ही लोगों का अप्रेज़ल एडजस्ट किया जाये. यही सोचकर संस्थान कई लोगों को निकालने जा रहा है. कंपनी की चालाकी देखिये कि किसी को चुनाव से पहले नहीं निकाला गया. अब जब चुनाव ख़त्म हो गया और 23 मई को नतीजे आ गये, उसके बाद लोगों को निकालने का सिलसिला शुरू हो गया है.”

ऐसा नहीं है कि ज़ी में पहली बार ऐसा हो रहा है. इससे पहले भी ऐसा होता रहा है. बीते दिनों ज़ी ग्रुप के अख़बार डीएनए के कई संस्करण आर्थिक संकट का हवाला देकर बंद कर दिये गये. सैकड़ों की संख्या में लोग बेरोज़गार हुए.

साल 2016 में ज़ी ग्रुप की ही एक वेबसाइट iamin.com को संस्थान ने अचानक से बंद करने का फैसला लिया. तब आर्थिक संकट का मामला नहीं था. संस्थान को किसी कर्मचारी से कोई शिकायत भी नहीं थी. दो साल चली इस वेबसाइट में पचास से ज़्यादा लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में काम कर रहे थे. तमाम लोगों को कंपनी ने अचानक बाहर का रास्ता दिखा दिया. हालांकि तब भी कंपनी ने हर कर्मचारी को सही-सही हिसाब दे दिया था.

ज़ी न्यूज़ के प्राइम टाइम शो डीएनए के संबंध में हमने ज़ी के एचआर से जुड़े एक कर्मचारी से बात की. उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार करते हुए बस इतना कहा, “डीएनए के सीनियर प्रोड्यूसर सिद्धार्थ ने अपने मन से इस्तीफ़ा दिया है. उन पर कोई दबाव नहीं था. वहीं सुधीर चौधरी के इस्तीफ़े की ख़बर अफवाह है.”

सिद्धार्थ ने न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में बताया कि “मैंने खुद ही इस्तीफ़ा दिया है. आगे मूव करना था. संस्थान के भीतर क्या चल रहा है मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है.”

हमने सुधीर चौधरी से भी संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पायी है. जैसे ही हमें कोई जानकारी मिलती है तो हम ख़बर में जोड़ देंगे.

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