पंजाब नेशनल बैंक एक बार फिर से घाटे में पहुंच गया है. 2018-19 की चौथी तिमाही में बैंक को 4,750 करोड़ का घाटा हुआ है.
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल), हिन्दुस्तान पेट्रोलियम (एचपीसीएल) इन तीनों कंपनियों का संयुक्त कर्ज़ 1 लाख 62 हज़ार करोड़ हो गया है. जो पिछले साल के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक है.
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन का कर्ज़ तो 92 हज़ार करोड़ से अधिक हो गया है. 2014 में इन तीनों कंपनियों की कुल देनदारी 1 लाख 76 हज़ार करोड़ हो गई थी. तब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी. बिजनेस स्टैंडर्ड ने लिखा है कि देनदारी इसलिए बढ़ी है कि इन कंपनियों का पूंजी ख़र्च बढ़ा है और सब्सिडी के भुगतान में देरी हुई है. सरकार की तरफ से 33,900 करोड़ की सब्सिडी नहीं आई है. सरकार ने इसलिए भुगतान नहीं किया है क्योंकि वह इस पैसे को अपने खाते में रोककर वित्तीय घाटे को कम दिखाना चाहती है.
पंजाब नेशनल बैंक एक बार फिर से घाटे में पहुंच गया है. तीसरी तिमाही में बैंक को 246 करोड़ का लाभ हुआ था. 2018-19 की चौथी तिमाही में बैंक को 4,750 करोड़ का घाटा हुआ है. पिछले साल इस बैंक का घाटा 14,356 करोड़ पहुंच गया था. बैंक ने 2,861 करोड़ की ऑपरेटिंग प्रॉफिट हासिल की है. पंजाब नेशनल बैंक का 900 करोड़ रुपया जेट के पास बकाया है तो 1800 करोड़ आईएल एंड एफएस के पास बकाया है. पिछली मोदी सरकार ने बैंकों के विलय के ज़रिए बैंकों के संकट को दूर करने का प्रयास किया था. हो सकता है विलय की प्रक्रिया तेज़ हो. मोदी को मिले जनसमर्थन से इन फैसलों को तेज़ गति से लेने में आसानी होगी. नतीजा क्या होगा, इसका विश्लेषण जब आएगा तब हम बताने का प्रयास करेंगे.
छह साल में पहली बार हुआ है जब इक्विटी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कम हुआ है. ज़्यादा नहीं मात्र एक फीसदी की कमी आई है. टेलिकॉम और फार्मा सेक्टर में एफडीआई घटा है. फार्मा सेक्टर की बड़ी कंपनी है सन फार्मा. यह घाटे में जाने लगी थी मगर इसमें कुछ सुधार के संकेत नज़र आ रहे हैं.
डॉलर के मुकाबले रुपया फिर से कमज़ोर होने लगा है. ईरान और अमरीका का तनाव कम नहीं हो रहा है. अमरीका ने भारत से भी कह दिया है कि अब वह ईरान से तेल का आयात नहीं कर सकता है. चुनाव के बाद इसका असर तेल के दामों पर तो दिखना ही है. पिछले 9 दिनों में प्रति लीटर 70-80 पैसे की वृद्धि हो चुकी है.
बिजनेस स्टैंडर्ड में ही एक संपादकीय लेख है कि गारमेंट सेक्टर में दो साल तक आई गिरावट के बाद सुधार के संकेत दिख रहे हैं. गारमेंट सेक्टर का निर्यात बढ़ता दिख रहा है. रोज़गार में वृद्धि के लिए इस सेक्टर का सुधरना बहुत ज़रूरी है.
आधा भारत सूखे की चपेट में है. वक्त आ गया है कि हम सभी बेरोज़गारी से भी ज़्यादा पानी की समस्या पर ध्यान दें. पानी सबको बेरोज़गार करेगा. पानी का यह संकट जानलेवा होता जा रहा है. लोगों को तैयार किया जाए कि अपनी हाउसिंग सोसायटी में स्वीमिंग पुल न चलने दें. जहां तालाब है वहां सार्वजनिक काम हो. सरकार के संसाधानों का सही इस्तेमाल हो. बारिश के शुरू होते ही पानी की बात बंद हो जाती है. सभी को पानी के संकट पर साल भर बात करनी होगी. इसका असर कई तरह से हो रहा है. लोग नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
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