मिड-डे मील: एफआईआर में खामियां जो बताती हैं कि पत्रकार के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई हुई

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में मिड डे मील में बच्चों को नमक-रोटी खिलाने वाली स्टोरी उजागर करने वाले पत्रकार पवन कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज.

WrittenBy:बसंत कुमार
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उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में कुछ दिन पहले मिड डे मील में बच्चों को नमक रोटी खिलाने का मामला सामने आया था. इसके बाद प्रदेश की योगी सरकार की किरकिरी हो रही थी. अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले का खुलासा करने वाले पत्रकार पवन कुमार जायसवाल पर ही एफआईआर दर्ज करा दिया है.

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स्थानीय अख़बार जनसंदेश टाइम्स के पत्रकार पवन जायसवाल पर प्रशासन द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 186, 193 और 420 के तहत मुकदमा दर्ज किया है. पत्रकार के साथ-साथ इस मामले में राजकुमार पाल (प्रधान प्रतिनधि) और एक अज्ञात के खिलाफ प्रशासन ने एफआईआर दर्ज किया है. यह मुकदमा प्रेमशंकर राम, खंड शिक्षा अधिकारी, मिर्जापुर द्वारा कराया गया है.

पत्रकार पर साजिश का आरोप

मिर्जापुर के खंड शिक्षा अधिकारी प्रेमशंकर राम द्वारा दर्ज एफआईआर में पत्रकार पवन जायसवाल पर साजिश का आरोप लगाया गया है. एफआईआर के मुताबिक नमक रोटी मामले की जांच के लिए जिलाधिकारी ने एक कमेटी का गठन किया था. जिसमें मुख्य विकास अधिकारी, अपर जिलाधिकारी और उप जिलाधिकारी शामिल थे. इस संयुक्त जांच में सामने आया कि घटना वाले दिन (22 अगस्त) दोपहर 12 बजे तक स्कूल में सिर्फ रोटी बनी थी और बच्चों को खाना नहीं दिया गया था. पत्रकार पवन जायसवाल 12 बजे स्कूल पहुंचे और गांव के प्रधान प्रतिनधि राजकुमार पाल की उपस्थिति में रसोइये द्वारा बच्चों को नमक-रोटी बंटवाया गया. जिसका वीडियो पवन जायसवाल ने रिकॉर्ड किया.

एफआईआर में स्थानीय सब्जी विक्रेता का बयान भी दर्ज है, जिसमें वो बताता है कि स्कूल के अध्यापक मुरारी सिंह द्वारा उसे एडवांस रुपए दिए गए थे और कहा गया था कि रसोइया कभी भी सब्जी के लिए आए तो मना न किया जाए. अभी भी उनके पास स्कूल का 300 रुपए एडवांस मौजूद है.

एफआईआर में लिखा गया है कि षड्यंत्र और साजिश के तहत जानबूझ कर छलपूर्वक सुनयोजित तरीके से सरकार की व्यवस्था मिड डे मील के माध्यम से राज्य सरकार, उत्तर प्रदेश को झूठे तौर पर बदनाम करने का कुत्सित कार्य किया गया है.

पत्रकार का दावा

इस संबंध में न्यूज़लॉन्ड्री ने पत्रकार पवन जायसवाल से बात की तो उन्होंने साफ़ शब्दों में प्रशासन द्वारा लगाए गए इस आरोप को निराधार बताया. उन्होंने कहा कि मामले के सामने आने के बाद सरकार और जिले की पूरे देश में किरकिरी हुई जिसके बाद बदले की भावना से मुझ पर ही मामला दर्ज किया गया है.

उस दिन की घटना का जिक्र करते हुए पवन ने बताया कि 22 अगस्त की सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर मुझे एक ग्रामीण का फोन आया कि गांव के स्कूल में काफी दिनों से बच्चों को नमक रोटी, नमक चावल तो कभी पानी की तरह दाल और चावल दिया जा रहा है. घर से हम करीब 11:30 बजे निकले और 11:50 बजे के आसपास मैंने स्थानीय असिस्टेंट बेसिक शिक्षा अधिकारी बृजेश सिंह को फोन किया कि सियूर के प्राथमिक स्कूल में मिड डे मील में अनियमिता का मामला सामने आया है और मैं वहां जा रहा हूं. उन्होंने कहा कि ठीक है हम इसकी जानकारी लेते है. मेरे पास इसका रिकॉर्डिंग है. इसके बाद मैं स्कूल में पहुंचा और वहां मैंने देखा कि बच्चे नमक रोटी खा रहे थे. उस वक़्त 12 बजकर 7 मिनट हो रहा था. मैंने तुरंत वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया.

पवन के मुताबिक वीडियो रिकॉर्ड करने के बाद स्कूल में काम करने वाली रसोइया, शिक्षामित्र और 18 बच्चों से इस संबंध में बातचीत करके उनका वीडियो रिकॉर्ड किया. पवन कहते हैं, “वहां से लौटकर अपने अख़बार जनसंदेश के लिए मैंने ख़बर लिखा. उसके बाद ये ख़बर मैंने अपने स्थानीय रिपोर्टर नीरज कुमार से साझा किया. मैंने उनसे कहा कि ये वीडियो है. इस पर जिलाधिकारी से बात कीजिए की इस पर क्या कारवाई करेंगे. स्थानीय रिपोर्टर आपस में खबरें शेयर करते ही है. नीरज इस खबर को लेकर डीएम के पास गए तो उन्होंने जांच का आश्वासन दिया. जांच कराने के लिए उन्होंने चुनार तहसील के एसडीएम और तहसीलदार को नियुक्त किया. उन्होंने जो जांच रिपोर्ट सौंपा उसमें सारे तथ्य सही पाए गए. इसके बाद जिलाधिकारी ने मीडिया को बताया कि जो वीडियो सामने आया है वो सही है. मैंने तो सिर्फ नमक रोटी की बात किया था जिलाधिकारी ने बताया कि बच्चों को एक दिन पहले नमक चावल दिया गया था. जांच के बाद जिलाधिकारी ने मुरारी सिंह जो स्कूल में अध्यापक हैं और दूसरे न्याय पंचायत सुपरवाइज़र अरविन्द त्रिपाठी को निलंबित कर दिया.

पवन आगे बताते हैं, “दो दिन बाद जब मुख्यमंत्री ने इस मामले में रिपोर्ट तलब की तो जिलाधिकारी ने रिपोर्ट भेज दिया. जिसमें इन्होंने दो लोगों को निलंबित करने और जांच आगे बढ़ाने की बात बताई थी. इसके बाद वहां से कहा गया कि आरोपियों पर कार्रवाई कीजिए. इन्होंने हम ही लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया. अब ये लोग अपनी छवि बचाने और छीछालेदर होते देख हमें ही आरोपी बना रहे है.”

जिलाधिकारी का पहला बयान

घटना के बाद मिर्जापुर के जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने बयान दिया था जिसका वीडियो न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद है. वो कहते हैं, “मीडिया के जरिए मुझे जानकारी मिली की सियूर के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को नमक रोटी खिलाया गया है. इसकी दो जांच मैंने बेसिक शिक्षा अधिकारी के माध्यम से खंड शिक्षा अधिकारी से कराई और दूसरी जांच तहसील के नामदार को भेजकर कराई. दोनों रिपोर्टों में आया कि बात सही है. बच्चों को नमक और रोटी खिलाया गया है. उस विद्यालय में पहले राधा नाम की महिला तैनात थी, लेकिन उसका कामकाज बहुत खराब था इसलिए मुरारी को स्कूल का प्रभारी बनाकर जुलाई में नियुक्त किया गया था. प्रथम द्रष्टया मुरारी की गलती मिली है. मुरारी को सस्पेंड किया गया है और साथ ही साथ न्याय पंचायत सुपरवाइज़र अरविंद त्रिपाठी को भी निलंबित किया गया है.’’

यहीं नहीं बातचीत में जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने बताया, “खंड शिक्षा अधिकारी का भी दायित्व होता है कि अपने क्षेत्र के सारे स्कूलों का निरिक्षण करेगा. उनके द्वारा भी लापरवाही बरती गई है तो उनको भो नोटिस दिया गया है. दो-तीन दिन में उनका जवाब आएगा तो उनके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी. साथ ही साथ मेरे स्तर से बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी नोटिस दिया है कि आपके जिले में आपके रहते हुए इतनी बड़ी अनियमिता क्यों हुई. खंड शिक्षा अधिकारी और बेसिक शिक्षा आधिकारी का स्पष्टीकरण प्राप्त होने पर इनके खिलाफ भी जो मुनासिब कार्रवाई होगी की जाएगी.’’

घटना के तुरंत बाद जिलाधिकारी ने जांच कराई थी और मामले को सही पाया था वहीं अब इस मामले को स्थानीय प्रशासन ने पत्रकार, प्रधान प्रतिनधि और एक अज्ञात व्यक्ति की साजिश बता रहे हैं. इस संबंध में न्यूज़लॉन्ड्री ने जिलाधिकारी से बात कर उनका पक्ष जानने की कशिश की लेकिन उनके कार्यालय द्वारा लगातार उनके व्यस्त होने की बात कह कर उनसे बातचीत में असमर्थता जताई गई.

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस मामले मे मिर्जापुर के एसपी एके पाण्डेय से भी बात की. उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी द्वारा बैठाई गई जांच में साजिश की बात सामने आई है, इसके बाद कार्रवाई हो रही है. मामले में एक व्यक्ति (राजकुमार पाल, प्रधान प्रतिनिधि) को गिरफ्तार किया जा चुका है वहीं विवेचना अधिकारी के जांच के बाद पत्रकार और अन्य पर कार्रवाई की जाएगी.

एफआईआर की मंशा पर सवाल

पत्रकार पवन जायसवाल के ऊपर दर्ज एफआईआर की मंशा और उसके तथ्यों पर कई सवाल खड़े होते है मसलन एफआईआर में लिखा गया है कि 12 बजे तक सिर्फ रोटी बनाई गई थी. सब्जी अभी नहीं बनी थी. इसी बीच में पत्रकार ने साजिश के तहत वीडियो रिकॉर्ड कर लिया. इसमें स्थानीय सब्जी वाले मुन्ना लाल का भी बयान दर्ज है. एक दूसरा बयान स्थानीय ग्रामीण अशोक सहनी का दर्ज है जो बताते हैं कि राजकुमार पाल की उपस्थिति में नमक-रोटी बंटवाई गई और वीडियो बनाया गया. यानी तब तक बच्चों को खाना नहीं मिला था.

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अब सवाल ये उठता है कि 12 बजे तक जब सिर्फ रोटी ही बनी थी. और रसोइया सब्जी लेने नहीं गई थी तो बच्चे रोटी किस चीज के साथ खाते?

उत्तर प्रदेश मिड डे मील प्राधिकरण के निदेशक विजय किरण आनंद के निजी सचिव अजीत सक्सेना ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘‘यूपी सरकार ने गर्मी और जाड़े में मिड डे मील के लिए समय तय किया हुआ है. एक अप्रैल से 30 सितंबर के बीच बच्चों को मिड डे मील सुबह 10:30 से 11: 00 बजे के बीच और एक अक्टूबर से 31 मार्च तक 12 बजे से 12: 30 के बीच देना है.’’

तो इस हिसाब से इस स्कूल में बच्चों को 11:00 बजे तक हर हाल में मिड डे मील बंट जाना चाहिए था, लेकिन एफआईआर में साफ़ शब्दों में लिखा गया है कि 12 बजे तक सिर्फ रोटी ही बन पाया था. ये क्या बताता है?

तमाम तथ्य और जिलाधिकारी द्वारा पूर्व में दिए गए बयान और अब दर्ज किए गए एफआईआर से साफ़ पता चलता है कि जिला प्रशासन पत्रकार पवन जयसवाल के सिर पर ठीकरा फोड़ना चाहता है.

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