एनएल चर्चा 87: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या की सुनवाई, हरियाणा-महाराष्ट्र चुनाव और अन्य

हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ़्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.

Article image
subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute

इस सप्ताह एनएल चर्चा, हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के नतीजों, अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में पूर्ण हुई सुनवाई और एनसीआरबी के आंकड़ों के इर्द-गिर्द सिमटी रही.

“एनएल चर्चा” में इस बार मेहमान पत्रकारों ने शिरकत की. कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी और साथ ही अमर उजाला के राजनीतिक संपादक शरद गुप्ता बतौर पैनलिस्ट मौजूद रहे. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

चर्चा की शुरुआत हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों से हुई. अतुल के मुताबिक महाराष्ट्र के नतीजे पिछली बार की तरह ही हैं, हालांकि वहां भाजपा थोड़ी कमजोर हुई है. जबकि हरियाणा में जो नतीता आया है वो हैरान करने वाला रहा. एक्सिस पोल एजेंसी के एग्जिट पोल के आंकड़ों कोछोड़ दें तो लगभग सारे एग्जिट पोल बुरी तरह से हरियाणा के नतीजों का अंदाजा लगा पाने में असफल रहे. हरियाणा में कांग्रेस 31 सीटें लाने में सफल रही. पांच महीने पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन शून्य रहा था. पांच महीने के अंदर में ये जो बदलाव हुआ है. क्या ये हुड्डा फैक्टर है या कुछ और बात है?

इस सवाल का जवाब देते हुए शरद गुप्ता कहते हैं, ‘‘हरियाणा में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हुआ उसका सबसे बड़ा कारण हुड्डा ही थे. उन्होंने कांग्रेस के जितने भी गुट थे उन्हें या तो खत्म कर दिया या अपने साथ मिला लिया. उन्होंने राजनीतिक लड़ाई को एक लड़ाई की तरह लड़ा. लेकिन इसमें उन्हें बीजेपी के अंदरूनी झगड़ों से भी मदद मिली. चाहे राव इन्द्रजीत सिंह हो या चौधरी वीरेंद्र सिंह हो या जाटों और दलितों की जो बीजेपी से जो नाराजगी थी. इस सबको मिलाकर जो कॉकटेल बना उस वजह से बीजेपी के सीटों की संख्या कम हुई और कांग्रेस को उससे थोड़ा फायदा मिला. लेकिन मेरा मानना है कि हरियाणा से कही ज्यादा नतीजों के बाद डेवलपमेंट महाराष्ट्र में हो रहे हैं. हरियाणा में तो बीजेपी आराम से सरकार बना लेगी, लेकिन महाराष्ट्र में जिस तरह से शिवसेना, बीजेपी की बांह मरोड़ रही है वो एक रोचक घटनाक्रम है. दोनों दलों के बीच बहुत मधुर संबंध नहीं रहे हैं.”

महाराष्ट्र में आए विधानसभा चुनाव के नतीजों पर हृदयेश जोशी ने अपनी राय देते हुए कहा, “महाराष्ट्र का राजनीतिक परिदृश्य इसलिए बदल गया है क्योंकि वहां एनसीपी ने बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है. जो मराठा पहचान की राजनीति करते हैं, चाहे वो शिवसेना हो या एनसीपी हो इन दोनों के मजबूत होने से वहां पर गेम ओपन हो गया है. अभी भले ही आपको बीजेपी-शिवसेना की सरकार बनती हुई दिखाई देगी लेकिन शिवसेना की प्राथमिकता होगी कि वो ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री के लिए बीजेपी को मनवाए और फिर पहले ढाई साल का टर्म खुद लेना चाहेगी. उन ढाई सालों में वो देखेगी कि बाकी राज्यों में बीजेपी कैसे काम करती है. अगर बीजेपी नीचे जा रही होगी तो ढाई साल के बाद उनके पास मौका होगा कि कांग्रेस बाहर से समर्थन दे और शिवसेना और एनसीपी मिलकर सरकार बना लें. क्योंकि एनसीपी के पत्ते खुले हुए है. उनको शिवसेना के साथ सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं है. यह जो स्थिति है वो महत्वपूर्ण है और इसे बीजेपी समझ भी रही है.

इस बार अयोध्या विवाद पर भी विस्तार से चर्चा हुई. शरद गुप्ता, बाबरी मस्जिद गिराने के वक़्त अयोध्या में बतौर रिपोर्टर मौजूद थे. उन्होंने तब के हालात और तब मीडिया की कवरेज को लेकर कुछ दिलचस्प जानकारियां साझा की. इसे जानने के लिए पूरा पॉडकास्ट सुनें.

पत्रकारों की राय, क्या देखा, सुना और पढ़ा जाय:

अतुल चौरसिया

हम नहीं चंगे बुरा नहीं कोय/ सुरेन्द्र मोहन पाठक

हृदयेश जोशी

1984/ जॉर्ज ऑरवेल

वेस्टेड/ अंकुर बिसेन

शरद गुप्ता

एनिमल फार्म/ जॉर्ज ऑरवेल

subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like