क्या जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की पहली सीढ़ी है?

सरकार के भीतर बयानों में विरोधाभास, एनपीआर के नियमों में बदलाव ने मोदी सरकार की नीयत और नज़रिए पर भारी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है.

WrittenBy:रवीश कुमार
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गृहमंत्री अमित शाह ने एएनआई को दिए लंबे इंटरव्यू में कई बार साफ किया कि जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) से कोई संबंध नहीं है. अमित शाह ने यह इंटरव्यू उस दिन दिया जिस दिन कैबिनेट ने जनगणना और जनसंख्या रजिस्टर के लिए बजट को मंज़ूरी दी. हालांकि 31 जुलाई, 2019 की एक अधिसूचना के जरिए ही जनसंख्या रजिस्टर को शुरू करने की घोषणा हो चुकी है. यानि फैसला करीब 5 महीना पुराना है. बजट के बहाने इसे नए सिरे से चर्चा मिल गई है और ताज़ा बहसों का कारण भी बन गया है.

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तो क्या जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को सरकार ने अपनी तरफ से बड़ा बनाया ताकि नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर उठे बवाल पर पानी डाला जा सके? गृहमंत्री अमित शाह के बयान के बाद यह मामला और उलझ गया है. इस मामले में पुराने बयानों की खोजबीन होने लगी तो पता चला कि 2014 के बाद मोदी सरकार के नुमाइंदों ने संसद के दोनों सदनों में 8 मौकों पर साफ-साफ कहा है कि जनसंख्या रजिस्टर एनआरसी की पहली सीढ़ी है. गृह राज्यमंत्री रहते हुए किरण रिजीजू ने कहा है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर तैयार करके नागरिकता रजिस्टर बनाने का फैसला किया गया है.

गृहमंत्रालय की वेबसाइट पर 2018-19 की सालाना रिपोर्ट है. उसके पेज नंबर 262 पर साफ लिखा है कि एनपीआर ही एनआरसी की दिशा में पहला कदम है. यानि दोनों में अंतरसंबंध है. जबकि अमित शाह कहते हैं कि दोनों के संबंध नहीं हैं. यानि अब साफ है कि देश भर में एनआरसी तभी शुरू होगी जब एनपीआर का काम पूरा हो जाएगा.

इसे ज्यादा समझने के लिए आप सेंससइंडिया की वेबसाइट पर जाइये. इसके एनआरसी वाले कॉलम को क्लिक करेंगे तो एनपीआर का पेज खुल जाता है. इसमें लिखा है कि भारत में रहने वाले सभी लोगों को एनपीआर में अपनी जानकारी दर्ज करानी होगी. उस जानकारी में बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी यानि आंखों की पुतली और उंगलियों के निशान भी लिए जाएंगे.

फिर आप जनगणना की वेबसाइट पर अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब वाले कॉलम में जाइये जिसे एफएक्यू कहते हैं. 5 नंबर पर साफ लिखा है कि एनपीआर एनआरसी का पहला चरण है. इस जनसंख्या रजिस्टर में जो लोग दर्ज होंगे उनमें से यह तय किया जाएगा कि किसकी नागरिकता संदिग्ध है. ज़ाहिर है नागरिकता की जांच के लिए आपसे दस्तावेज़ मांगे जाएंगे. क्योंकि ऐसा करना 2003 की नियमावली में लिखा है. तभी तो संदिग्ध नागरिकों की सूची बनेगी.

यही नहीं सेंसस इंडिया के एफएक्यू के प्वाइंट और यह काम करने वाले मैनुअल में साफ साफ लिखा है कि बायोमैट्रिक होगा. जबकि केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बार कहा कि न डाक्यूमेंट मांगे जाएंगे और न बायोमेट्रिक होगा.

लेकिन मैनुअल में साफ कहा गया है कि, “फोटोग्राफ और अंगुलियों के निशान लिए जाने के समय आपसे कुछ अतिरिक्त कार्य की अपेक्षा की जाती है. प्रत्येक ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में फोटोग्राफी के दो चरण होंगे. फोटोग्राफी कैंप की तारीख और समय पता करें.” साफ है कि बायोमेट्रिक की बात की जा रही है. अब यह मैनुअल नहीं मिल रहा लेकिन हमने स्क्रीन शाट लगा दिया है. एफएक्यू में भी बायोमेट्रिक की बात है. उसका भी स्क्रीन शॉट नीचे दिया गया है.

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अमित शाह कहते हैं कि एनपीआर और एनआरसी में कोई संबंध नहीं है. गृह मंत्रालय के जवाब, गृह मंत्रालय की रिपोर्ट और जनगणना की वेबसाइट पर दोनों को एक दूसरे से जुड़ा हुआ बताया गया है.

2010, 2015 में भी एनपीआर हुआ था. सीमित अर्थ में. सारी आबादी शामिल नहीं थी. पिछली बार 15 सवाल थे. इस बार 7 नए सवाल जुड़ गए हैं. इनमें से एक नया सवाल है माता पिता के जन्मस्थल की जानकारी देना. इसी को लेकर कई लोग कह रहे हैं कि इसका संबंध एनआरसी से है. क्योंकि भारत के नागरिकता कानून के नियमों में माता-पिता का जन्मस्थान पूछा जाता है.

जनसंख्या रजिस्टर के उद्देश्यों में सिर्फ सरकारी योजनाओं को सही लोगों तक पहुंचाना ही नहीं है बल्कि सुरक्षा से भी जोड़ा गया है. सुरक्षा के नाम पर सरकारें कभी भी गियर बदल लेती हैं और लोग लाजवाब हो जाते हैं. चुप हो जाते हैं.

आपके पास एक सवाल और होना चाहिए. देश में योजनाओं का लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए आधार लाया गया. पहले कहा गया कि आधार स्वैच्छिक होगा लेकिन आप देख रहे हैं कि किस तरह से अनिवार्य बना दिया गया है. तो सवाल है कि आधार सारे नागरिकों का नंबर है तो फिर एनपीआर क्यों है? इस पर दि वायर में श्रीनिवास कोडाले ने लंबा सा लेख लिखा है जिसे मैं जल्दी ही हिन्दी में पेश करूंगा.

आप जानते हैं कि हिन्दी के अखबार आपके लिए इतनी मेहनत तो करेंगे नहीं. हिन्दी प्रदेशों को सूचनाओं से लैस करना बहुत ज़रूरी है. 

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