दिल्ली के दंगों पर हिंदी अख़बारों की कवरेज

हिंदी के बड़े अखबार इस दंगे को हिंसा कहें या बवाल, इसी झांसे में फंसे रहे.

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देश की राजधानी में बीते हफ्ते बड़े पैमाने पर दंगे-फसाद हुए. एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का दौरा चल रहा था, तो दूसरी तरफ दिल्ली सांप्रदायिक दंगे में फंसी थी. सीएए विरोधी और समर्थकों के बीच झड़प के बाद शुरू हुए दंगों ने उत्तर-पूर्व दिल्ली में तीन दिन तक सांप्रदायिक दंगे हुए जिसमें जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाके प्रभावित रहे. हिंसा में अब तक 47 लोगों की जान जा चुकी है और 250 से ज्यादा लोग घायल हैं. बड़ी संख्या में संपत्ति को नुकसान पहुंचा है. उपद्रवियों ने घरों, दुकानों, वाहनों, धार्मिक स्थलों और पेट्रोल पंप को आग लगाकर भारी तबाही मचाई. इस घटना ने यमुनापार में रहने वाले लोगों की 1984 के दंगों की याद ताजा कर दी.

देश विदेश के मीडिया संस्थानों ने इस मुश्किल घटना को कवर किया जिसमें कई पत्रकारों को भी निशाना बनाया गया. देश के बड़े हिंदी अखबारों ने दंगे की कवरेज किस तरह से की, यह जानने के लिए न्यूजलॉन्ड्री ने चार बड़े हिंदी अखबारों दैनिक जागरण, नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान और अमर उजाला का दंगों के दौरान विश्लेषण किया.

दैनिक जागरण

दावे के मुताबिक दैनिक जागरण भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया का सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला समाचार-पत्र है. जिसकी 5,57,40,000 प्रतियां छपती हैं. दिल्ली में 24 फरवरी को भड़के दंगों के बावजूद दैनिक जागरण के 25 फरवरी के राष्ट्रीय संस्करण के पहले पेज पर सबसे ऊपर पीएम मोदी और ट्रंप की गले मिलते हुए तस्वीर के साथ “हमेशा रहेंगे भरोसेमंद दोस्त” शीर्ष से ख़बर छपी. उसके बाद नीचे 4 कॉलम में “दिल्ली में भड़की हिंसा, पांच की मौत” शीर्षक से दिल्ली दंगे को दूसरी वरीयता दी गई. इसके अलावा पूरे अख़बार में कहीं भी इन दंगों का कोई जिक्र नही किया गया. हां! ट्रंप की यात्रा को अखबार में खूब जगह दी गई.

26 फरवरी को जब उत्तर पूर्व दिल्ली में दंगा पूरी तरह फैल चुका था, तब भी जागरण ने दंगों पर कोई विशेष कवरेज नहीं की. इस दिन पेपर के पहले पन्ने पर मोदी ट्रंप की तस्वीर के साथ लिखा- “सीएए भारत का आंतरिक मामला: ट्रंप” और दंगों की ख़बर बिल्कुल पहले दिन की तरह चार कॉलम में “दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश” जलती हुई ठेलियों के साथ प्रकाशित की. इस दिन दूसरे पेज पर शांति बहाली की एक खबर भी थीं.मंगलवार की शाम को डोनल्ड ट्रंप का दौरा खत्म हो चुका था. 27 फरवरी को अख़बार ने पहले पन्ने पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार “समस्या पुलिस का पेशेवर व स्वतंत्र न होना” शीर्षक से ख़बर छापी. पेज नंबर पांच पर हाईकोर्ट की फटकार और डोभाल के दौरे की खबरों को प्रकाशित किया तथा छोटा सा सम्पादकीय भी लिखा.

28 फरवरी तक दंगों पर कुछ हद तक काबू पा लिया गया था. इस दिन जागरणने पहले पेज पर “आप पार्षद ताहिर के घर मिला तबाही का सामान” शीर्षक से लीड खबर छापी. और “दिल्ली के गुनाहगार” नाम से सम्पादकीय लिखा. संपादकीय पन्ने पर यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का एक लेख भी छापा जो पुलिस तंत्र के सुधार की बात करता था. पूरे दंगों के दौरान अखबार ने एक बार भी “दंगा” शब्द का प्रयोग नहीं किया. जागरण के लिए यह बवाल और हिंसा ही बना रहा.

हालांकि तीन मार्च को इस पूरे दंगे को एक अनपेक्षित ट्विस्ट देने वाली खबर छापी. “दिल्ली दंगा एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा था, हमलों में नक्सली विचार की झलक” शीर्षक से छपी इस खबर के लेखक हैं विकास सारस्वत. इस ख़बर में एक कपोलकल्पना के हवाले से दिल्ली के दंगों को नक्सली हमले की झलक बताते हुए विस्तार से कल्पनाओं को उड़ान दी गई है.

नवभारत टाइम्स

बैनेट, कोलमैन एंड कम्पनी के स्वामित्व वाला नवभारत टाइम्स दिल्ली और मुंबई से प्रकाशित होता है. दिल्ली में इसकी करीब 5.89 लाख प्रतियां छपती हैं. 25 फरवरी को पेपर के पहले पेज पर सिर्फ विज्ञापन था जबकि जलती दिल्ली के बावजूद दूसरे पूरे पेज पर “ट्रंप ने 26 मिनट के भाषण में 50 बार ‘भारत’ बोला, 12 बार ‘मोदी’ कहा” और “3 अरब डॉलर की डिफेंस डील करने का ऐलान” शीर्षक के साथ डोनल्ड ट्रंप के दौरे की खबर थी.

दिल्ली दंगों पर कोई ख़बर नहीं थी. साथ ही तीसरे पेज पर भी “नमोस्ते ट्रंप” के शीर्षक के साथ तस्वीरें छापी गईं. उसके बराबर में 4 कॉलम में “जल उठा यमुनापार, हेड कॉन्सटेबल समेत 4 मरे” नाम से दंगों की ख़बर थी. इसके बाद 4,5 और पेज 7 पर भी दिल्ली से संबंधित खबरें छपी थीं. 26 फरवरी को भी अखबार के आधे पेज पर पीएम मोदी और ट्रंप की तस्वीर के साथ “CAA, दिल्ली में हिंसा पर ट्रंप ने साधी चुप्पी” को शीर्षक बनाया.

तीसरे पेज पर “50 घंटे की हिंसा,13 मौतों के बाद आखिर लगा कर्फ्यू” शीर्षक से खबर छपी. इसके अलावा 4,5,6 और पेज 8 पर दंगों में हुई हिंसा को कवर किया गया. 27 फरवरी को अखबार का ध्यान दिल्ली हिंसा पर गहराई से पहुंचा. अखबार ने मुख्य पेज के आधे भाग को दिल्ली हिंसा पर “आधी रात से 3 बार सुनवाई, कोर्ट ने कहा 84 फिर नहीं” शीर्षक के साथ खबर प्रकाशित किया. और डोभाल का दौरा सहित काफी ख़बरें छापी. इसके अलावा पेज 2,3,4,5 और 6 को भी दिल्ली दंगों के नाम किया. 28 फरवरी को “रात में दहशत, पब्लिक खुद बनी पहरेदार” शीर्षक से पहले पेज पर शवगृह की तस्वीर प्रकाशित की. पेज 2,3,4,5,6 पर भी दंगा पीडितों की कहानियों के साथ मसीहाओं की खबरें भी प्रकाशित की गईं थीं.

हिंदुस्तान

हिन्दुस्तान, देश का जाना पहचाना दैनिक समाचार पत्र है. इसका उद्घाटन 1932 में महात्मा गांधी ने किया था. दिल्ली में हुई हिंसा पर इस अखबार की कवरेज भी अन्य हिंदी अखबारों से खास जुदा नहीं रही. 25 फरवरी को अखबार ने पहले पेज पर पहले 3 कॉलम में “उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा 5 की मौत” शीर्षक से खबर छापी जबकि बाकि 5 कॉलम में पीएम मोदी और ट्रंप की तस्वीरों के साथनमस्ते ट्रंप: मोदी संग दोस्ती, भारत से प्यार” शीर्षक से खबर थी.

इसके अलावा नीचे भी ट्रंप की पत्नी के बारे में ख़बर थी. अख़बार ने पेज 4,5 पर दिल्ली दंगों की तस्वीरों के साथ खबरें प्रकाशित की थीं. 26 फरवरी को जब दिल्ली में हिंसा पूरे चरम पर थी, तब अखबार ने ट्रंप यात्रा को ज्यादा तरजीह दी. पेपर के पहले पेज पर मोदी और ट्रंप की तस्वीर के साथ “आतंक पर पाक को मिलकर घेरेंगे” शीर्षक को जहां 6 कॉलम समर्पित थे, वहीं दिल्ली हिंसा सिर्फ 2 कॉलम में थी. हालांकि पेज 3,5,6,7 पर हिंसा को विस्तार से कवर किया गया था.

27 फरवरी को जब ट्रंप की भारत यात्रा खत्म हो चुकी थी तब अखबार ने दिल्ली दंगों को पहले पेज सहित जगह दी. “84 दोहराने नहीं देंगे : हाईकोर्ट” शीर्षक के साथ पहले पेज के 5 कॉलम में ख़बर छापने के अलावा अखबार ने पेज 2,3,4,5 पर हिंसा की तस्वीरों और डोभाल का दौरा, सोनिया गांधी का अमित शाह से इस्तीफा मांगने सहित काफी खबरें प्रकाशित कीं. 28 फरवरी को भी अखबार ने “आप पार्षद ताहिर पर हत्या का मुकदमा” नाम से लीड ख़बर प्रकाशित की. और पेज 2,3,4,5 पर दिल्ली दंगों के दरिंदों और फरिश्तों की कहानियां प्रकाशित कीं.

अमर उजाला

अमर उजाला देश के प्रमुख हिंदी अखबारों में से एक है. 2017 के इंडियन रीडरशिप सर्वे के मुताबिक अमर उजाला के देश भर में लगभग 46 लाख पाठक हैं. अगर अमर उजाला के पहले पेज पर छपी ख़बर की बात करें तो, 25 फरवरी को अख़बार के मुख्य पृष्ठ पर पीएम मोदी और ट्रंप की बड़ी तस्वीरों के साथ, “इस्लामी आतंकवाद से मिलकर लडेंगे भारत –अमेरिका : ट्रंप” शीर्षक से ऊपर आधे पेज की लीड खबर छापी. उसके बाद नीचे 4 कॉलम में दिल्ली दंगों की ख़बर “दिल्ली में दूसरे दिन भी भारी उपद्रव...हेड कांस्टेबल समेत 5 की मौत, डीसीपी-एसीपी सहित 60 घायल” शीर्षक से गोली चलाते युवक के साथ ख़बर छापी.

26 फरवरी को अखबार ने “उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश” शीर्षक के साथ ऊपर पहले पेज पर जलती तस्वीरों के साथ लीड खबर छापी. और इसके नीचे “मोदी धार्मिक आजादी के पैरोकार, भारत कर रहा अच्छा काम: ट्रंप” शीर्षक से 5 कॉलम में पीएम मोदी और ट्रंप की हाथ मिलाते हुए तस्वीर के साथ खबर छापी. 27 फरवरी को अखबार ने पहले पेज पर “दिल्ली हिंसा में 14 और की मौत, अदालतें सख्त” को तस्वीर और फोटो के साथ लीड खबर बनाया. साथ ही हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर के तबादले खबर भी अखबार ने पहले पेज पर छापी. 28 फरवरी को “एसआईटी को सौंपी जांच, कोर्ट में सरकार बोली...भड़काऊ भाषण पर केस का अभी सही समय नही” अखबार के पहले आधे पेज पर गश्त करते जवानों की तस्वीर के साथ खबर छपी थी.

देश का सबसे बड़ा अखबार दैनिक जागरण इसे बवाल और हिंसा करार देकर दंगे की भयावहता को छुपाने की कारीगरी करता रहा. बाकी अखबारों की कवरेज भी दंगे की विभीषिका को देखते हुए कम ही मानी जाएगी. एक वजह हो सकती है कि ट्रप के दौरे के चलते उनका सारा ध्यान दूसरी तरफ था. लेकिन इसी तर्क की बिना पर अखबार सरकार से मुखर होकर सवाल भी पूछ सकते थे कि जब शहर में एक इतना बड़ा हाई प्रोफाइल व्यक्ति (डोनल्ड ट्रंप) मौजूद था इसके बावजूद शहर में इतने व्यापक पैमाने पर दंगे हुए तो उसकी जवाबदेही किसकी है. यह सुरक्षा और पुलिस की भारी चूक है. लेकिन अखबारों ने ये कठिन सवाल शायद किसी औऱ समय के लिए बचा रखे हैं.

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