दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और विवादों पर संक्षिप्त टिप्पणी.
पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण में फंसी हुई है. हमारा देश भी इससे जूझ रहा है. सरकार ने तमाम एहतियाती उपाय किए हैं. दिल्ली समेत देश के कई बड़े शहरों में लॉकडाउन घोषित किया गया है.लेकिन ऐसे कठिन वक्त में भी हमारे न्यूज़ चैनलों ने हमारी अंदरूनी तैयारियों पर रिपोर्ट और ख़बरें करने की बजाय कोरोना को भी पाकिस्तान पर हमले का हथियार बना दिया. एकाध चैनल ही रहे जो इस बहती गंगा में हाथ धोने से रह गए.
रात नौ बजे प्राइम टाइम पर रिपब्लिक टीवी का आधे घंटे का शो कुंठा, प्रोपगैंडा, घृणा और बदनीयति का समुच्चय भर था.
इस तरह के कार्यक्रमों को प्रायोजित करने वाले विज्ञापनदाताओं की भीड़ देखिए और तय कीजिए कि ये विज्ञापनदाता किस चीज को प्रायोजित कर रहे हैं- नफ़रत और फर्जीवाड़ा. इसीलिए हम आपसे बार-बार अपील करते हैं कि ख़बरों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाइए, न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब कीजिए. मीडिया वो आपके लिए, आपके सहयोग से चले न कि किसी विज्ञापनदाता के खर्चे पर.
इस अफरा-तफरी के माहौल में ऐसा नहीं है कि सारा मीडिया अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभा रहा. दूर-दराज के छोटे-मोटे चैनल चुपचाप अपने काम में लगे हुए हैं. पंजाबी भाषा में आने वाले पीटीसी चैनल के रिपोर्टर इस समय में दुनिया के करीब सौ देशों से कोरोना की कवरेज कर रहे हैं. अपनी जान जोखिम में डालकर आप तक ख़बरें पहुंचा रहे हैं.
कोरोना संकट: पूंजीवाद की जली दुनिया के लिए समाजवादी क्यूबा बना राहत का मल्हम
रिपब्लिक भारत या झूठ का गणतंत्र ?