लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के लिए मसीहा बना सफदरजंग आरपीएफ थाना

पलायन की सोच रहे मजदूरों के लिए खाने-पीने और सैनिटेशन का प्रबंधन कर चर्चा में आया एक पुलिस इंस्पेक्टर.

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दिल्ली के आरपीएफ सफदरजंग थाने में तैनात आरपीएफ इंस्पेक्टर नितिन मेहरा और उनकी टीम इस इलाके में रहने वाले करीब 100 गरीब मजदूर परिवारों के लिए मसीहा बनकर सामने आए हैं. इन गरीब मजदूरों की मदद के लिए उन्होंने आईआरसीटीसी और कुछ एनजीओ का सहयोग लिया है. थाने के सीनियर अधिकारियों ने भी इस काम में उनका साथ दिया है.

देश की राजधानी दिल्ली में लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर रहते हैं जो देश के विभिन्न भागों से रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली आए हैं. इसी तरह के लगभग 100 परिवार सफदरजंग रेलवे स्टेशन से लगभग 200 मीटर दूर झुग्गियां बनाकर रहते हैं. ये मजदूर मूल रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, और छतीसगढ़ के हैं. ये लोग कंस्ट्रक्शन से संबंधित मजदूरी का काम करते हैं.

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झुग्गियों में रहने वालों की जांच करती पुलिस.

22 अप्रैल को जब कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए पूरे देश में प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी तब इन मजदूरों में रोजगार और खाने-पीने को लेकर एक असमंजस की स्थिति पैदा हो गई. इसमें कुछ अफवाहों ने भी आग में घी का काम किया. देखते ही देखते दिल्ली सहित पूरे देश से मजदूरों ने अपने घरों के लिए पलायन करना शुरू कर दिया. मजदूरों में डर इतना बैठ गया कि परिवहन सेवा बंद होने के बावजूद भी वे पैदल ही हजारों किलोमीटर दूर अपने घरों को निकल पड़े. जिस कारण कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी. इसी तरह सफदरजंग की झुग्गी में रहने वाले लोग भी पलायन करने की योजना बनाने लगे थे.

इस मौके पर जब ये मजदूर अपने परिजनों के साथ अपने घरों को निकलने की तैयारी में थे तब इंस्पेक्टर नितिन मेहरा ने इन सभी मजदूर परिवारों को भरोसे में लेकर न सिर्फ उन्हें रोका बल्कि तभी से अपनी एक टीम के साथ उनके खाने पीने और सुरक्षा उपकरण मास्क आदि का भी इंतजाम करवाया. शुरुआत मे नितिन को इन मजदूरों को समझाने और भरोसा पाने में काफी दिक्कत हुई लेकिन जिस तरीके से उन्होंने मजदूरों के खान-पान का प्रबंध किया, साफ-सफाई की शुरुआत की और सोशल डिस्टेंसिंग को अंजाम दिया उससे इनमें जागरुकता के अलावा भरोसा भी पैदा हुआ. नितिन ने इन्हें पलायन में होने वाली समस्याओं से भी अवगत करवाया.

गरीबों को राशन बंटाती पुलिस

इंस्पेक्टर मेहरा ने हमें बताया, “इन लोगों के पास खाने को कुछ नहीं बचा था और इनका ठेकेदार यहां से जा चुका है. तो मैंने अपने दिल्ली डिविजन के सीनियर को आर्डिनेटर से बातचीत करके आईआरसीटीसी से के माध्यम से इनके दोपहर के खाने का इंतजाम करवाया. उसके बाद मैंने कुछ एनजीओ से बात की जिन्होंने इनके लिए कुछ रॉ मैटिरियल भिजवाया.

लगभग 4 एनजीओ से हमारा अभी संपर्क है. इसके बाद मैंने लोकल एसएचओ सरोजनी नगर ओमप्रकाश पंवार से इस बारे में बात की तो उन्होंने भी कई एनजीओ से बात कर 100 परिवारों के लिए योगदान कराया था. साथ ही कुछ जन प्रतिनिधि भी इस काम में हमारा सहयोग कर रहे हैं. बुधवार, 8 अप्रैल को भी हम बटरफ्लाई एनजीओ के माध्यम से 80 औरतों को लेडिज पुलिस के माध्यम से कुछ सामान का वितरण कराएंगे.”

इंस्पेक्टर मेहरा ने आगे बताया, “खाना वितरण के दौरान ही हम लोग माइक के द्वारा इन लोगों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक भी कर रहे हैं. जैसे, सोशल डिस्टेंस, घरों में कैसे रहना है आदि जानकारी भी दे रहे हैं. ये लोग भी समझदार हैं और हमें पूरा सहयोग दे रहे हैं. साथ ही इनकी झुग्गियों में हमने अच्छी तरह स्प्रे भी करा दिया है.

सफदरजंग स्थित होटल लीला ने दिल्ली पुलिस के साथ टाई-अप करके हमें सेनेटाईजर वगैरह उपलब्ध कराया है. 700 के आस-पास मास्क दिए थे, जो हमने इन लोगों में वितरित कर दिया है.जितना हम इन लोगों के लिए कर सकते हैं, ज्यादा से ज्यादा कर रहे हैं. और ये वितरण सिर्फ सफदरजंग ही नहीं बल्की जहां भी इस तरह की लेबर मौजूद है लगभग सभी जगहों पर किया जा रहा है.”

क्या कोई वायरस से सम्बन्धित केस यहां अभी तक आया है? इसके जवाब में इंस्पेक्टर मेहरा कहते हैं, “नहीं! अभी यहां कोई ऐसा केस नहीं आया है. अगर किसी को बुखार वगैरह है तो उन्हें हम यहीं पास में चरक पालिका हॉस्पिटल से दवाई दिलवा रहे हैं.अभी तक तो वो बिल्कुल सेफ हैं.”

अंत में इंस्पेक्टर मेहरा कहते हैं, “मैंने 6-7 आदमी परमानेंट रखे हुए हैं जिन्हें अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं.ये लोग बहुत गरीब हैं, लेकिन फिलहाल यहां इन्हें खाने पीने और रहने की परेशानी नहीं है. मेरी कोशिश यही है कि इन लोगों को कुछ न हो.”

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