एनएल चर्चा 111: दो डॉक्टरों के अनुभव और एक सर्वाइवर की आपबीती

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एनएल चर्चा
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न्यूज़लॉन्ड्री चर्चा के 111वें एपिसोड में कोरोना वायरस से मरने वालों की बढ़ती संख्या, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को लेकर ट्रंप की धमकी और कोरोना के कारण बढ़ती बेरोजगारी आदि पहलुओं पर चर्चा हुई.

इस सप्ताह चर्चा में कोरोना वायरस के इलाज और बचाव को बताने के लिए लंदन से ओवरसीज डॉक्टर एसोसिएशन की सेक्रेटरी डॉ नेहा शर्मा, एम्सपल्मोनरी मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विजय हड्डाऔर न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाथ एस शामिल हुए. डॉ नेहा शर्मा खुद कोरोना सर्वाइवर हैं. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

अतुल ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कोरोना वायरस पर अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अभी तक 14 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और 28 हजार लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 3 लाख से ज्यादा लोग इस वायरस से रिकवर भी हुए हैं. भारत में संक्रमित लोगों की संख्या 5,700 के आस-पास हैं, वहीं 166 लोगों की कोरोना वायरस से अभी तक मौत हो चुकी है. कोविड के वजह से मजदूरों के पलायन पर, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन(आईएलओ) की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया की आने वाले समय में 40 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हो सकते हैं.

अतुल ने डॉक्टर नेहा से सवाल किया, “आप खुद भी कोरोना से संक्रमित हो चुकी हैं, और फिर रिकवर भी हुई हैं, तो आप हमारे श्रोताओं को बताएं की इसके लक्षण कैसे होते है और किस तरह की सावधानियां हमें बरतनी चाहिए.” डॉ नेहा ने जवाब देते हुए कहा कि लंदन में मेरी कोई जांच नहीं हुई, जिससे मुझे पता चल सके की मुझे कोविड है या नहीं. इस बीच लंदन में स्थित कोविड सेंटर जहां कोरोना के लक्षण दिखाई देते ही एनएस एम्पलाई को रिपोर्ट करना होता है, उन्होंने मुझे कहा कि आप 7 दिनों के लिए आइसोलेट हो जाइए. मेरे लक्षण ऐसे थे जिनसे मुझे लगा कि यह सामान्य सर्दी-खांसी नहीं है. एनएस एम्पलाई के लिए यहां टेस्टिंग सुविधा नहीं होने के कारण मैं अपना टेस्ट नहीं करवा पाई, लेकिन जब चेस्ट में दर्द लगातार बढ़ रहा था, तो मैंने फोन लगाकर कहा कि मुझमें कोविड के लक्षण हैं, इस पर सेंटर से मुझे कुछ दवाई बताई और आइसोलेट होने के लिए कहा. किन्हीं कारणों से वह दवाईयां मुझे नहीं मिल पाई, लेकिन मेरे पास एंटीबायोटिक दवाई थी जिससे मैं अपना इलाज कर पा रहीं हूं.यहां एक तय प्रक्रिया है, उसका पालन करना पड़ता है. अगर मेरे लक्षण और गंभीर होते तब मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ता. लेकिन बीते 3-4 दिनों में मुझे काफी राहत हुई है.”

अतुल ने डॉ विजय हड्डा जानना चाहा कि जिस तरह की चिकित्सा उपायों की हमें जरुरत है उसको लेकर एम्स की क्या तैयारियां हैं, और व्यक्तिगत स्तर पर लोग क्या सावधानियां रखें. डॉ हड्डा जवाब देते हुए कहते हैं-“व्यक्तिगत तौर पर हम सभी को सरकार द्वारा लागू किया गया लॉकडाउन मानना चाहिए. साथ ही हमें लगातार हाथ धोना चाहिए और जब भी हम घर से बाहर निकले अपने चेहरे पर मास्क लगाकर जरुर जाएं भले ही आपमें कोविड के लक्षण हो या ना हो. आईसीएमआर और भारत सरकार इस महामारी से लड़ने के लिए अलग-अलग स्टेज में काम कर रहीं है. कोविड के लक्षण को देखते हुए मरीजों का इलाज किया जा रहा है.”

मेघनाथ ने दोनों डॉक्टरों की बात सुनने के बाद एक सवाल किया कि यह जानना बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम टेस्ट कब करवाएं और कब नहीं करवाएं, क्योंकि अभी टेस्टिंग फैसिलिटी हाई रिस्क केस के लिए ही उपलब्ध है. तो आम आदमी किस स्तर पर तय करे कि उसे टेस्ट करवाने की जरूरत है.

इन सवालों के ऊपर दोनों डॉक्टरों ने विस्तार से अपने अनुभव और जानकारियां साझा की. पूरी चर्चा सुनने के लिए आप यह पॉडकास्ट सुने और न्यूजलॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.

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डॉ नेहा शर्मा

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डॉ विजय हड्डा

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मेघनाथ

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अतुल चौरसिया

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