एनएल चर्चा 123: भारत सरकार द्वारा बैन किए गए 59 चीनी ऐप्स और प्रधानमंत्री का लेह दौरा

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एनएल चर्चा के 123वें अंक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लेह दौरा, तमिलनाडु में पिता और बेटे की पुलिस हिरासत में हुई मौत, सीआरपीएफ एनकाउंटर के दौरान आतंकवादियों द्वारा मारे गए सिविलियन की वायरल होती तस्वीर, सीमा पर भारत और चीन के बीच जारी बातचीत, भारत द्वारा बैन किए गए 59 चीन ऐप्स, प्रसार भारती में स्थापित होने जा रही रिक्रूटमेंट बोर्ड और पीटीआई की रिपोर्टिंग पर प्रसार भारती द्वारा भेजे गए नोटिस समेत कई और विषयों पर विस्तार से बातचीत हुई.

इस बार चर्चा में पॉलिसी रिसर्चर कांक्षी अग्रवाल, शार्दूल कात्यायन और न्यूज़ल़ॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाथ एस शामिल हुए. चर्चा का संलाचन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल, भारत सरकार द्वारा चीनी ऐप बैन के फैसले और उसके दूरगामी परिणाम पर शार्दूल और मेघनाथ से सवाल करते हुए कहते हैं, ‘‘भारत-चीन के बीच जारी तनाव और सीमा पर दोनों सेनाओं द्वारा तनाव कम करने के लिए लगातार मीटिंग हो रही हैं, हालांकि मीटिंग के बाद भी चीन ने सीमा पर पूर्व स्थिति के लिए कोई कदम नहीं उठाए. इन सब की बीच भारत सरकार ने 59 चीन के ऐप को बैन कर दिया है. चीन के कुल निर्यात में भारत की 3 प्रतिशत हिस्सेदारी है, लिहाजा इन ऐप को बैन करने से कितना असर चीन के व्यापार पर पड़ेगा.’’

इस प्रश्न का शार्दूल उत्तर देते हुए कहते हैं, ‘‘भारत ने चीन के जो 59 ऐप बैन किया है, उससे चीन को इतना आर्थिक नुकसान ना हो, लेकिन ऐप बैन करने के बाद यह संकेत साफ हैं कि भारत जवाबी कारवाई कर सकता है. भारत के इस कदम के बाद अमेरिका ने भी कहा हैं कि वह भी इन ऐप्स की सुरक्षा संबंधी मुद्दो पर गौर करेगा, इससे काफी समय पहले यूरोपियन यूनियन के कई देशों ने चीन को कितना स्पेस अपने देश में देना है इसको लेकर भी बात शुरू हो गई है. तो यह बैन अच्छा कदम है चीन के व्यापार को रोकने के लिए, लेकिन इसके आर्थिक तौर पर प्रभाव की बात करे तो, वह कुछ खास नहीं होगा.’’

मेघनाथ कहते हैं, यह ऐप बैन फैसला सोच समझ कर नहीं लिया गया. खासकर टिक टॉक ऐप लोगों में काफी पॉपुलर है. यह ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसकी मदद से कई ऐसे लोग रातों-रात फेमस हो गए, जो गरीब और साधारण परिवार से आते है. दूसरी बात चीन के यह ऐप अगर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक हैं तो उसे अभी ही क्यों बैन किया गया? दुनिया के अन्य देशों ने इन ऐप्स को क्यों बैन नहीं किया? मुझे लगता हैं कि यह ऐप बैन का फैसला चीन के साथ जारी तनाव को ध्यान में रखकर किया गया है.’’

यहां पर अतुल कहते है इसे उसी तरह देखना चाहिए जिस तरह चीन सीमा पर कारवाई कर रहा हैं उसकी प्रतिक्रिया के तौर पर हमने यह कदम उठाया है. यहां एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी हैं की पाकिस्तान के साथ हमने साफ कर दिया है कि आंतकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकती, इसके कारण हमने पाकिस्तान से खेल पर भी बैन लगा दिया है, व्यापार तो बहुत दूर की बात है, लेकिन चीन के साथ जारी विवाद पर हमारा रवैया बेहद अलग है. चीन तो हमारी सीमा में घुस आया हैं, उसके बावजूद भी चीन के साथ बातचीत से लेकर व्यापार चालू है. तो सरकार को इसको लेकर स्पष्ट करना चाहिए की उसका अगल कदम क्या होगा.

कांक्षी को चर्चा में शामिल करते हुए अतुल कहते है चीन सरकार ने अपने देश में डाटा शेयरिंग के लिए कानून बनाया है जिसके बाद से चीन की सभी कंपनियों को अपना डाटा चीन सरकार के साथ साझा करना पड़ेगा जब सरकार मांग करेगीयह कारण देकर भारत सरकार ने चीन के ऐप को बैन किया है.

इस पर कांक्षी कहती है, जिस तरह से टिक टॉक और अन्य ऐप बैन किया है उस समय सरकार ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए लोगों को जानकारी दी. जिसके बाद से इस कानूनी पक्ष को जानने की भी मांग की जाने लगी. तब जाकर सरकार ने कहा कि यह आंतरिम फैसला हैं. यहां एक महत्वपूर्ण बात हैं कि भारत सरकार ने डाटा प्रायवेसी कानूनों का हवाला देते हुए इन ऐप्स को बैन किया लेकिन हमारे देश में अभी तक कोई डाटा प्राइवेसी कानून हैं ही नही.

अन्य विषयों पर भी विस्तार से चर्चा हुई. पूरी चर्चा सुनने के लिए यह पॉडकास्ट सुने.

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कांक्षी अग्रवाल

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मेघनाथ

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शार्दूल कात्यायन

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शी जिनपिंग का 2013 की ‘पड़ोसी देशो से सामरिक नीति’ कान्फेंस में दिया गया भाषण

अतुल चौरसिया

कोरोना के दौर में पुलिस की स्थिति पर प्रकाशित न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट

पूर्व आईपीएस एस आर दारापुरी का न्यूज़लॉन्ड्री में प्रकाशित लेख

वंदना राग - बिसात पर जुगनू

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