पत्रकारिता के प्यारे मियां, भोपाली सियासत के दुलारे मियां

अखबार के मामूली कंपोजिटर से करोड़ों की संपत्ति के मालिक बने प्यारे मियां की कहानी.

WrittenBy:प्रतीक गोयल
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रात के तकरीबन तीन बजे रहे थे.12 जुलाई की तारीख लग चुकी थी. दो स्कूटरों पर सवार पांच नाबालिग लड़कियां शराब के नशे में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की सड़कों पर हुड़दंग करते हुए पुलिस के हत्थे चढ़ गईं. रातीबड़ इलाके की सूरजनगर चौकी के पास मौजूद पुलिस वालों ने उन्हें रोका था. उस वक़्त तक पुलिस को इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि उनकी यह मामूली कार्यवाही आने वाले समय में पत्रकारिता की आड़ में चल रहे एक ऐसे सेक्स रैकेट का पर्दाफाश करेगी जिसकी गूंज ना सिर्फ मध्य प्रदेश के राजनैतिक गलियारों में सुनाई देगी बल्कि सालों-साल नेताओं,अफसरों की सरपरस्ती में पल रही एक भ्रष्ट व्यवस्था को उजागर करेगी.

हम बात कर रहे हैं 68 साल के फर्जी पत्रकार प्यारे मियां की, जो पेशे से तो अपने आपको पत्रकार बताते हैं लेकिन अब सामने आ रहा है कि पत्रकारिता की आड़ में ज़मीनों के अवैध कब्ज़े, जबरन वसूली, दलाली और साथ ही कथित तौर पर जिस्मफरोशी जैसे काम करते थे. यूं तो भोपाल के रसूखदारों, राजनेताओं और पुलिस महकमे में प्यारे मियां का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं था लेकिन आज से दस दिन पहले आम आदमी के यह लिए नाम अंजाना था. प्यारे मियां के मामले को जानने के लिए हमें 12 जुलाई की रात के समूचे घटनाक्रम को समझना होगा.

न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद इस मामले से जुड़ी एफआईआर, अन्य पुलिस दस्तावेज़ और बयानों के मुताबिक उस रात जब पुलिस ने पांच नाबालिग लड़कियों को रोका था तब वह नशे की हालत में ढंग से बातचीत नहीं कर पा रही थीं. वो बस यही दोहरा रही थीं कि वो किसी पार्टी से आ रही हैं.कुछ ही देर में उन लड़कियों के पीछे-पीछे अपनी पजेरो गाड़ी में वहां प्यारे मियां भी पहुंच गए. उनके साथ एक महिला स्वीटी विश्वकर्मा भी उनके साथ पहुंची. लड़कियों की हालत देखते हुए वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने रातीबड़ थाने के पुलिस निरीक्षक सुदेश तिवारी (टी.आई) को भी बुला लिया था.

मौके पर पहुंचे प्यारे मियां ने पुलिस निरीक्षक को यह कहकर समझाने की कोशिश की कि वो लड़कियां उनकी नवासियां हैं और पुलिस उन्हें जाने दे. उनका ज़ोर इस बात पर था कि कुछ ले-देकर मामले को रफा दफा कर दिया जाए. इससे पुलिस निरीक्षिक को संदेह होने लगा. उन्होंने लड़कियों से पूछताछ के लिए महिला पुलिसकर्मियों को बुला लिया. लगे हाथ लड़कियों के माता-पिता को भी मौके पर ही बुला लिया गया. जब बात यहां तक पहुंच गई तब प्यारे मियां पुलिस निरीक्षक को अपने पत्रकार होने का रसूख दिखाते हुए धमकाने लगे.

इसके बाद रातीबड़ थाने में जब लड़कियों से पुलिस ने पूछताछ शुरू की पता चला कि वे सभी शाहपुर स्थित विष्णु हाइट्स इमारत के एक फ्लैट में प्यारे मियां और स्वीटी उर्फ़ हम्प्टी के साथ पार्टी कर रही थीं. वो लोग वहां उन पांचो में से एक लड़की का जन्मदिन मना रहे थे. उन लोगों ने वहां शराब पी और नाच गाना किया. पुलिस इन सभी लड़कियों से अलग-अलग पूछताछ कर रही थी.

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प्यारे मियां को पकड़ कर ले जाती पुलिस

पूछताछ के दौरान एक लड़की जो कि पहली बार उस फ्लैट पर गई थी, उसने बताया कि प्यारे मियां ने उसके साथ छेड़छाड़ की थी और एक अन्य लड़की का फ्लैट के कमरे में ले जाकर लैंगिक शोषण किया था. धीरे-धीरे चार अन्य लड़कियों ने भी पुलिस को प्यारे मियां द्वारा यौन शोषण की बात स्वीकार की. जब पुलिस लड़कियों से पूछताछ कर रही थी उस वक़्त प्यारे मियां वहां से जा चुके थे लेकिन उनके साथ आयी हुयी महिला स्वीटी विश्वकर्मा वहीं रुकी थी. बाद में पुलिस ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया.

यह सभी लड़कियां नाबालिग थी, इसके मद्देनज़र पुलिस ने सिटी चाइल्डलाइन के अधिकारियों को लड़कियों से बातचीत करने के लिए बुलाया. सुबह चाइल्डलाइन के साथ परामर्श के दौरान चार नाबालिग लड़कियों ने स्वीकार किया कि प्यारे मियां ने उनके साथ शाहपुर स्थित विष्णु हाईटेक सिटी के फ्लैट नंबर 12 में इससे पहले भी कई बार उनका यौन शोषण किया है. उस रात स्वीटी विश्वकर्मा ने उन्हें फ्लैट पर पांच में से एक लड़की का जन्मदिन मनाने के लिए बुलाया था.

चाइल्डलाइन के साथ परामर्श के दौरान पांचवीं लड़की ने बताया कि वह पहली बार उस फ्लैट पर गयी थी और प्यारे मियां ने उसके साथ छेड़छाड़ की थी. गौरतलब है कि यह सभी लड़कियां प्यारे मियां को अब्बा कहकर बुलाती थी.

इस मामले की जांच में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले में एफआईआर 12 जुलाई की शाम तक दर्ज हो पायी. मामला हाई प्रोफाइल होने की वजह से भोपाल पुलिस के डीआईजी रैंक तक के अधिकारी रातीबड़ थाने पहुंच चुके थे. जीरो ऍफ़आईआर रातीबड़ थाने में दर्ज हुआ जिसके बाद मामला शाहपुरा पुलिस थाने में स्थानांतरित कर दिया गया, क्योंकि वारदात शाहपुरा में हुयी थी. इसके बाद प्यारे मियां भोपाल से फरार हो गए.

भोपाल सिटी चाइल्डलाइन की निदेशक अर्चना सहाय ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "हमें 12 जुलाई की सुबह पुलिस द्वारा सूचना दी गयी थी कि उन्हें कुछ नाबालिग लड़कियां शराब के नशे में मिली थी जिनकी वह काउंसलिंग (परामर्श) कराना चाहते हैं. काउंसलिंग के दौरान हमें यह पता चला कि प्यारे मियां पिछले दो सालों से उनमें से चार लड़कियों का यौन शोषण कर रहा था.”

पुलिस जांच और काउन्सलिंग के दौरान यह भी पता चला कि प्यारे मियां उनमें से एक लड़की को अपने साथ सिंगापुर ले जाया करता था. सिंगापुर वो अक्सर अपने इलाज के लिए जाया करता था. इसके अलावा वह उन्हें गोवा, कश्मीर जैसे जगहों पर घुमाने के लिए हवाई जहाज़ से ले जाता था. काउंसलिंग के दौरान यह भी पता चला कि उनके साथ शराब पिलाकर और बन्दूक दिखाकर भी कई बार सेक्स किया गया.

अगले दिन सुबह 13 जुलाई को जब भोपाल के अखबारों में नाबालिग लड़कियों के साथ प्यारे मियां द्वारा किये गए लैंगिक शोषण की खबरें छपीं तो मध्य-प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुबह हो रही एक बैठक के दौरान प्यारे मियां के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश दे दिए. इस आदेश के बाद शाम तक बुधवारा इलाके में स्थित प्यारे मियां के अफ़कार शादी गार्डन को ज़मींदोज़ कर दिया गया.

अफ़कार शादी गार्डन को ज़मींदोज़ कर दिया गया.

उसी दिन प्यारे मियां और उनके अखबार दैनिक अफ़कार की प्रदेश सरकार द्वारा प्राप्त मान्यता रद्द कर दी गयी. सरकार ने प्यारे मियां पर 30 हज़ार का इनाम घोषित कर दिया था और प्यारे मियां को प्रोफेसर कॉलोनी जैसे आलीशान इलाके में दिए गए सरकारी बंगले को वापस ले लिया. प्रोफेसर कॉलोनी भोपाल का वह इलाका है जहां ऊंचे ओहदे वाले सरकारी मुलाज़िमों और रसूखदारों को सरकार ने बंगले मुहैय्या कराये हैं.

पुलिस ने प्यारे मियां की तीन गाड़ियां एक ऑडी, एक पजेरो और एक टोयोटा फॉर्चूनर भी ज़ब्त कर ली है.

13 जुलाई की रात को भोपाल के अन्य थाने कोहेफिज़ा में प्यारे मियां के खिलाफ एक और नाबालिग से बलात्कार का मामला दर्ज हुआ. यह मामला खुद उस नाबालिग लड़की ने आकर दर्ज़ कराया. न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद उस एफआईआर के मुताबिक प्यारे मियां ने 16 साल की नाबालिग लड़की को लगभग तीन साल पहले उसके परिवार वालों से बहला-फुसला कर गोद लिया था. गोद लेने के बाद प्यारे मियां ने लगभग ढाई साल तक उस लड़की को इंदौर के लालाराम नगर इलाके के अपने एक बंगले में रखा था जहां उसने कई बार उस नाबालिग का यौन शोषण किया था. अप्रैल 2019 में प्यारे मियां उस लड़की को फिर से भोपाल ले आया और उसे विष्णु हाईटेक सिटी स्थित फ्लैट में कैद कर दिया.

नाबालिग लड़की को सख्त हिदायत थी कि अगर वह अपनी भोपाल में मौजूदगी की जानकारी किसी को बताएगी तो प्यारे मियां उसे जान से मार देगा. लेकिन सितम्बर 2019 में जब उसने अपनी आपबीती अपनी मां को बताई तो उसकी मां जाकर उसे प्यारे मियां के फ्लैट से छुड़ाकर ले आई. इसके बाद नाबालिग लड़की की मां के साथ प्यारे मियां के लोगों ने मारपीट भी की थी. इस मामले में प्यारे मियां के एक साथी ओवेस पर भी यौन शोषण का आरोप लगा है.

न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत के दौरान उस लड़की की मां ने बताया कि प्यारे मियां उनके दूर के रिश्तेदार हैं. वह बताती हैं, "लगभग सात-आठ साल पहले मेरे शौहर हमें छोड़ कर चले गए थे. उसके बाद मैंने भी काम करना शुरू कर दिया था. तकरीबन तीन साल पहले प्यारे मियां हमारे घर पर मेरे सौतले अब्बा जिनका एक्सीडेंट हो गया था उनको देखने आये थे. तब पहली बार उन्होंने मेरी बेटी को देखा था जिसकी उम्र तब 13 साल थी. हमारी गरीबी को देखते हुए वो हमें बहलाने लगे कि वो मेरी बेटी को गोद ले लेंगे और उसकी परवरिश करेंगे. हम लोग भी उनकी बातों में आ गए. मुझे अंदाज़ा नहीं था कि मेरी बेटी को यह सब भुगतना पड़ेगा. लगभग ढाई साल तक तो मुझे पता चला ही नहीं कि मेरी बच्ची के साथ यह सब हो रहा है.”

लड़की की मां ने बताया कि प्यारे मियां सबसे पहले उनकी बच्ची को अपने कोहेफिजा के बंगले पर रहने के लिए ले गया था. वह कहती हैं,"कोहेफिज़ा जाने के कुछ दिन बाद ही प्यारे मियां ने भोपाल में स्कूल में दाखिला ना मिलने का बहाना लगाकर मेरी बेटी को इंदौर भेज दिया. इंदौर में दो-ढाई साल तक उसे रखा गया जहां कभी शराब पिलाकर तो कभी बन्दूक के ज़ोर पर ज़बरदस्ती की जाती थी. उसको यह भी धमकाया जाता कि वो अगर इस बारे में किसी को बताएगी तो वह लोग हमें मारेंगे. हमें यह तक नहीं पता चला कि उसे इंदौर से भोपाल कब लेकर आ गए थे. उसे हमें यह सब बताने से मना किया था यहां तक कि उसकी हमारे घर आने पर पाबंदी लगा दी थी. लेकिन बाद में एक दिन तंग आकर जब मुझे मेरी बेटी ने अपनी आपबीती सुनाई तब हम उसे वहां से घर वापस ले आये."

वह आगे कहती हैं, "13 जुलाई को जब पुलिस प्यारे मियां के बारे में तफ्तीश कर रही थी तब कुछ पुलिस वाले हमारे भी घर पर आये थे. उनको मेरे नाम पर लिया हुआ नंबर प्यारे मियां के कॉल डिटेल्स में मिला था. असल में वो नंबर मैंने अपनी बेटी को दिया था जो बाद में स्वीटी विश्कर्मा इस्तेमाल करती थी. 12 जुलाई की रात को उस नंबर से स्वीटी विश्वकर्मा ने बात की थी, इसलिए पुलिस मेरे घर पहुंच गयी थी. पुलिस मुझे अपने साथ पहले निशातपुरा थाने ले गयी उसके बाद वो लोग मुझे वहां से महिला थाने ले गए. पहले पहल पुलिस हमारे साथ सख्ती दिखा रही थी, लेकिन जब बाद में हमने उन्हें अपनी आपबीती बताई तब पुलिस ने कोहेफिजा थाने में प्यारे मियां के खिलाफ हमारी एफआईआर दर्ज की. हम लोगों में तो इतनी हिम्मत नहीं थी कि हम रिपोर्ट कर सकते लेकिन जब पुलिस हमें ले गयी तो बातें खुलती चली गयीं और हमें भी हौसला मिला.”

इन सभी मामलों में पुलिस ने इन नाबालिग लड़कियों में से एक लड़की की नानी को भी गिरफ्तार किया है, जो कि प्यारे मियां के यहां रहकर काम करती थी और उसकी सभी हरकतों से वाकिफ थी.

संपत्तियों का साम्राज्य

प्यारे मियां के खिलाफ हुई कार्यवाही में 14 जुलाई को भोपाल के एक दूसरे आलीशान इलाके श्यामला हिल्स में मौजूद अंसल अपार्टमेंट्स के दो फ्लैट्स में पुलिस ने दबिश दी थी. यह दोनों फ्लैट भी प्यारे मियां के थे. इस दौरान पुलिस ने ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद फ्लैट जिसमें प्यारे मियां खुद रहता था के सामने किये हुए अवैध कब्ज़े को हटाया.

अंसल अपार्टमेंट्स के फ्लैट्स

इमारत की चौथी मंज़िल पर मौजूद प्यारे मियां के दूसरे फ्लैट में जब पुलिस पहुंची तो बहुत से पुलिस वाले हैरत में पड़ गए, नज़ारा ही कुछ ऐसा था. चौथी मंज़िल पर प्यारे मियां ने दो फ्लैटों को मिलाकर लगभग ढाई हज़ार वर्ग फ़ीट का एक फ्लैट बनाया था जिसके अंदर एक आलीशान डांस बार था. वहां लाखों रुपये की महंगी शराब मौजूद थी. बड़ी एलसीडी स्क्रीन, साउंड सिस्टम के साथ बैठने की ऐसी व्यवस्था थी कि तकरीबन एक दर्जन लोग बैठकर डांस देख सकें. चाइल्ड पोर्नोग्राफी की सीडीज़, वायग्रा की टेबलेट्स, सेक्स टॉयज आदि भी पुलिस को इस फ्लैट से बरामद हुए थे. उसी दिन भोपाल के तलैय्या इलाके में मौजूद प्यारे मियां की एक चार मंज़िला इमारत को भी पुलिस ने ज़मींदोज़ कर दिया.

जिस दौरान प्यारे मियां के ठिकानों पर पुलिस दबिश दे रहीं थीं उस वक़्त प्यारे मियां कश्मीर में था. जब 12 जुलाई को प्यारे मियां के खिलाफ मामला दर्ज हो गया तब वो गिरफ्तारी से बचने के लिए भोपाल से फरार होकर कश्मीर चला गया. 12 जुलाई को प्यारे मियां अपनी पजेरो गाड़ी में सवार होकर भोपाल से पहले आष्टा गया. वहां पर उसे एक साथी खुर्शीद आलम के पास उसने अपनी गाड़ी छोड़ी और आलम द्वारा दी गयी इनोवा गाड़ी और बीस हजार रुपये लेकर मुंबई रवाना हो गया. मुंबई से प्यारे मियां ने दिल्ली की फ्लाइट पकड़ी और वहां से फिर दूसरी फ्लाइट से श्रीनगर चला गया. प्यारे मियां को 15 जुलाई को कश्मीर में गिरफ्तार कर लिया गया.

पुलिस के अनुसार प्यारे मियां की भोपाल, इंदौर, सिहोर और दुबई में मिलाकर कुल 46 सम्पत्तियां हैं. इस पूरे मामले की जांच के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने विशेष जांच टीम का गठन किया है. इस मामले की परतें खुलने के साथ, यह बात भी उजागर हुई कि प्यारे मियां ने पिछले कई सालों से करोड़ों का इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरा था. पुलिस ने इसके तहत इनकम टैक्स विभाग से भी संपर्क साधा है.

सियासत से कनेक्शन

यूं तो सरकार आज प्यारे मियां पर सख्त कार्यवाही कर रही है लेकिन मध्यप्रदेश की सरकारों और राजनेताओं की ही बदौलत प्यारे मियां एक मामूली कम्पोजिटर से करोड़ों का मालिक बन बैठा. अपने आपको पेशे से पत्रकार बताने वाले प्यारे मियां के सभी राजनैतिक दलों में दोस्त थे. बड़े-बड़े अफसरों और अखबारों के मालिकों के साथ उनका उठना बैठना था. चाहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हों या दिग्विजय सिंह, प्यारे मियां सबके साथ नज़र आते थे.

प्यारे मियां की संपत्ति और राजनैतिक दखलंदाज़ी को देखते हुए कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकता कि किसी ज़माने में प्यारे मियां अखबारों की प्रिंटिंग प्रेस में कुछ सौ रुपयों की तनख्वाह पर कंपोज़िटर (पुराने ज़माने की प्रिंटिंग प्रेस में अक्षरों को एक साथ लगाने वाला) की हैसियत से काम किया करते थे. धीरे-धीरे प्यारे मियां अपने आप को पत्रकार कहने लगे और खुद का एक छोटा-मोटा अखबार छापने लगे. पत्रकारिता को ज़रिया बनाकर प्यारे मियां ने अपना रसूख और दौलत दोनों ही जमकर बढ़ाया.

भोपाल के जाने-माने पत्रकार सोमदत्त शास्त्री कहते हैं,"प्यारे मियां ने अपने करियर की शुरुआत सत्तर-अस्सी के दशक में कम्पोजीटर के रूप में की थी. वह दैनिक भास्कर समूह की प्रिंटिंग प्रेस में काम किया करता था. उस समय प्यारे मियां की तनख्वाह सिर्फ 400 रुपये महीना हुआ करती थी. लेकिन समय रहते वो समूह के मालिकों की चौकीदारी करते हुए उनका नज़दीकी पहुंच गया.

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शुरू से ही उसका मिज़ाज़ इंतज़ाम अलियों की तरह था (चीज़ों का इंतज़ाम करने में में माहिर) जिसके चलते वो आगे बढ़ता गया. तकरीबन 15 साल भास्कर समूह के साथ काम करने के बाद प्यारे मियां ने नब्बे के दशक में अपना खुद का अख़बार शुरू कर लिया था जिसका नाम 'अफ़कार' था. यह देवनागरी में लिखा गया उर्दू अखबार था. पत्रकार और अखबार के मालिक की हैसियत से राजनेताओं और अफसरशाहों से भी उसकी नज़दीकियां बढ़ती चली गयीं. उस ज़माने की कांग्रेस सरकार ने भी इसे अख़बार के दफ्तर के लिए जगह दे दी थी. मकान और बंगले भी मुहैय्या हो गए थे. यह एक तरह का वाइट कॉलर क्रिमिनल (सफ़ेदपोश अपराधी) है. लोगों का मनोरंजन करना, उनके दो नंबर के कामों की देख-रेख करना जैसे कामों को यह बखूबी अंजाम देता था.”

शास्त्री आगे कहते हैं, "नब्बे के दशक में मध्यप्रदेश में सुगाल एंड दमानी नाम की लॉटरी चलती थी. उस लॉटरी का प्यारे मियां पूरे प्रदेश में वितरक एजेंट था. लॉटरियों के धंधे में उस वक़्त तकरीबन 40-50 प्रतिशत नकली टिकट छपा करते थे. जहां खरीदने वालों के परिवार बर्बाद हो गए थे वही प्यारे मियां का परिवार इस धंधे में आबाद हो गया था. उन्होंने इसमें बहुत पैसा कमाया. समय के साथ-साथ पत्रकारिकता और अपने अखबार का इस्तेमाल करते हुए प्यारे मियां का जाल नेताओं और अफसर शाहों के बीच फैलता गया. लोगों की ज़मीनों, सरकारी ज़मीनों पर अवैध कब्ज़ा करना जैसी बातें उसके लिए आम हो गयीं थी. आप प्यारे मियां के रसूख का अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि पकड़े जाने के बावजूद भी वो पुलिस से यह कह रहा था कि 'मेरे से अदब से बात करना, मैंने भोपाल में राज किया है.”

कोर्ट में जब पुलिस की एसआईटी (विशेष जांच दल) प्यारे मियां को लेकर पहुंची थी तो प्यारे मियां ने अपने सिर पर पुलिस की टोपी पहन रखी थी. इतना होने के बावजूद भी कानून और पुलिस का प्यारे मियां सरे आम मज़ाक उड़ाते हुए नज़र आया.

प्यारे मियां की प्रशासन में पकड़ का इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि उसने अपने साथी खुर्शीद आलम को भी मान्यता प्राप्त पत्रकार का प्रेस कार्ड मुहैय्या करा रखा है बावजूद इसके कि वह पेशे से एक स्कूल शिक्षक हैं. इसके अलावा प्यारे मियां ने खुर्शीद आलम को मध्य प्रदेश सरकार के प्रशासनिक सतपुड़ा भवन का भी एक फर्जी पहचान पत्र मुहैया करवाया था. जिसका इस्तेमाल कर वह सतपुड़ा भवन में आता-जाता था. उस फर्जी पहचान पत्र के मुताबिक आलम की पहचान पीडब्ल्यूडी विभाग के एक सब इंजीनियर की थी.

इस मामले में प्यारे मियां और खुर्शीद आलम पर भोपाल पुलिस ने धारा 420 के तहत मामला दर्ज़ कर लिया है जिसकी अभी तहकीकात चल रही हैं.

भोपाल के एक स्थानीय पत्रकार नाम ना लिखने की शर्त पर कहते हैं, "मध्यप्रदेश में लगभग 2500 से ज़्यादा मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं और इनमे से 30-35 प्रतिशत ऐसे हैं जिनका पत्रकारिता से कोई सम्बन्ध नहीं है. लेकिन पैसे और रसूख के चलते इन्हें जनसम्पर्क विभाग से मान्यता प्राप्त प्रेस कार्ड मुहैय्या कराया जाता है.”

गौरतलब है कि साल 2016 में ग्वालियर में शराब का ठेका चलाने वाले रामस्वरूप शिवहरे और लक्ष्मी नारायण शिवहरे के यहां जब आयकर विभाग ने छापा मारा तो पता चला उन दोनों के पास मान्यता प्राप्त प्रेस कार्ड है और जनसम्पर्क विभाग ने उन्हें संपादक की मान्यता दी थी. इन प्रेस कार्डों इस्तेमाल टोल टैक्स बचाने के लिए भी किया जाता है.

इस मामले में न्यूज़लॉन्ड्री ने मध्य प्रदेश जनसम्पर्क विभाग के आयुक्त सुदाम खाड़े से जब प्यारे मियां को मिली अधिमान्यता के बारे में बात की, तो उन्होंने कहा, "प्यारे मियां अखबार चलाते थे. अधिमान्यता मिलने के लिए जो शर्तें होती हैं उसमें वो पूरे खरे उतरते थे. उनको जो बंगला दिया गया था वो अख़बार के लिए दिया गया था.लेकिन अब उनकी सभी मान्यताएं निरस्त कर दी गयी हैं."

प्यारे मियां का इतिहास खंगालने पर ऐसी कई बातें सामने आती हैं जो प्यारे मियां को राजनेताओं और अफसरशाहों की शह मिलने के किस्से बयां करती हैं. साल 1990 से प्यारे मियां मालवीय नगर स्थित विधायक विश्राम गृह के एक बंगले से अपना अफ़कार अखबार चला रहा था. यह बंगला विधानसभा के अधिकार में आता था और उस वक़्त की मौजूदा सरकार ने इसे प्यारे मियां को दिया था. जब 2002 में सचिवालय द्वारा उस भवन को खाली करने का नोटिस जारी हुआ तो प्यारे मियां ने सरकारी नोटिस के खिलाफ अदालत का दरवाज़ा खटखटाया. अदालत के आदेश के बावजूद भी प्रशासन को प्यारे मियां से वो बंगला खाली करने में बहुत मशक्कत करनी पड़ी थी.

प्यारे मियां को अखबार चलाने के लिए मिला सरकारी बंगला

वो बंगला बाद में बीजेपी के विधायक रामेश्वर शर्मा को दे दिया गया था. इस सबके बावजूद भी कुछ समय बाद प्यारे मियां को प्रोफेसर कॉलोनी इलाके में दूसरा बंगला मुहैय्या करवा दिया गया.

पुलिस के मुताबिक प्यारे मियां पर लगभग सात से आठ करोड़ का इनकम टैक्स बकाया है. साल 1994-95 में प्यारे मियां के ठिकानों पर छापा पड़ा था. लगातार कई नोटिस भेजने के बावजूद भी प्यारे मियां ने टैक्स की रकम अदा नहीं की थी.

सियासत से गलबहियां

प्यारे मियां से सम्बन्धों पर आज कल सारे नेता और अफसर पल्ला झाड़ रहे हैं. लेकिन इस मामले के पहले बहुत से नेताओं और अफसरों के साथ प्यारे मियां हाथ में हाथ डाले, हंसते मुस्कराते नज़र आते हैं. कांग्रेस नेता और उद्योगपति गोविन्द गोयल, दैनिक भास्कर जबलपुर समूह के मालिक मनमोहन अग्रवाल, एसटीएफ के पुलिस अधीक्षक राजेश भदौरिया, भाजपा नेता और भोपाल के पूर्व सांसद आलोक संजर, भोपाल के डिवीज़नल कमिश्नर अजातशत्रु श्रीवास्तव, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और तो और बीते 15 सालों से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उनके साथ खुश नज़र आते हैं. न्यूज़लॉन्ड्री के पास ऐसी तमाम तस्वीरें और वीडियो हैं जिसमें प्यारे मियां नेताओं और अफसरों के साथ नज़र आ रहा है. यह तस्वीरें बयान करती हैं कि प्यारे मियां का राजनीति, अफसरशाही और पत्रकारिता से जुड़े बड़े लोगों के बीच अच्छा खासा दखल था.

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भोपाल में हर साल लगने वाले प्रतिष्ठित भोपाल उत्सव मेले की समिति में प्यारे मियां सलाहकार भी थे. इस मेला समिति के पूर्व में अध्यक्ष दैनिक भास्कर भोपाल समूह के मालिक रमेश चंद्र अग्रवाल थे और अब इसके मालिक भास्कर समूह जबलपुर के मालिक मनमोहन अग्रवाल हैं.

पुलिस क्या कहती है

इस मामले की जांच भोपाल पुलिस के पुलिस अधीक्षक साईं कृष्ण थोटा कहते हैं, "प्यारे मियां पिछले तीन दशकों से अपने आपको पत्रकार बताते हुए काम कर रहे थे. उन्होंने बाकायदा अखबार शुरु कर रखा था और खुद की प्रिंटिंग प्रेस भी थी. हमने प्यारे मियां के अधिकार में आने वाली कुछ इमारतों को ज़मींदोज़ कर दिया है जो कि सरकारी ज़मीनों पर गैरकानूनी तरीके से बनायी गयी थीं.”

थोटा आगे बताते हैं, “हमने उसके तीन ठिकानों जहां पर गैरकानूनी गतिविधियां चल रही थीं, पर छापा मारकर कई सबूत इकट्ठा किये हैं. हमें पता चला है कि प्यारे मियां की भोपाल, इंदौर और सीहोर में कुल मिलाकर 46 संपत्तियां हैं. इसमें से बहुत सी संपत्तियां बेनामी भी हैं."

थोटा आगे कहते हैं, "पूछताछ के दौरान प्यारे मियां ने बताया कि उसने लॉटरी के ज़रिये काफी पैसा कमाया था. इसके अलावा उसने मध्य प्रदेश के सबसे बड़े बांधों में से एक गांधी सागर बांध में मछली पालन के ठेका ले रखा है जिसके ज़रिये वह पैसे कमाता है.”

रातीबड़ थाने के पुलिस निरीक्षक सुदेश तिवारी कहते हैं, "हमें तो यह पता भी नही था कि प्यारे मियां इस तरह के अपराध में शरीक है. प्यारे मियां भोपाल के बहुत रसूखदार आदमी हैं और उनका नाम बहुत बड़ा था. पत्रकारिता से जुड़े थे बड़े-बड़े लोगों में उनका उठना बैठना था. हमने बच्चियों को रोका था तो हमारे दिमाग में यही था कि इतने रात गए यह बच्चियां कहां घूम रही थी. उनकी सुरक्षा के हिसाब से उनको हमने रोका था. प्यारे मियां वहां मुझे यह धमकी देकर गए थे कि वह सुबह मुझे देख लेंगे. बहुत से लोग यह कहते हैं कि हमने उन्हें जानबूझ कर छोड़ दिया था लेकिन तब तक तो ऐसा कुछ पता ही नहीं था.जब महिला कांस्टेबल ने उन बच्चियों से लगभग दो घंटे तक बात की तब जाकर मामला समझ में आया."

न्यूज़लॉन्ड्री ने भोपाल पुलिस के एडीजी उपेंद्र जैन से प्यारे मियां के राजनितिक संबंधों के बारे में पूछा तो वह इस मामले में कुछ भी कहने से बचते नज़र आये, "अभी इस मामले हम ज़्यादा कुछ शेयर नहीं कर सकते हैं, जो कुछ है वह पब्लिक डोमेन में है."

अब तक प्यारे मियां पर शाहपुरा और कोहेफिजा पुलिस थाने में बलात्कार और पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज हो चुका है. इसके अलावा पुलिस ने श्यामला हिल्स थाने में आबकारी नियम के तहत भी एक मामला दर्ज किया है. वन विभाग ने भी प्यारे मियां के घर से साम्भर के सींग मिलने के चलते एक मामला दर्ज किया है. इस पूरे मामले में प्यारे मियां सहित अब तक सात लोग गिरफ्तार हो चुके हैं.

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