गुरनाम सिंह चढूनी: 'सरकार जिद्द पर अड़ी, इसलिए किया गया भारत बंद का आह्वान'

सरकार और किसानों के बीच अब तक की सभी बातचीत बेनतीजा रही हैं. चौथी बैठक 9 दिसंबर को होगी. हालांकि किसानों को इस बैठक से भी कोई उम्मीद नहीं है.

WrittenBy:बसंत कुमार
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कृषि कानूनों को लेकर किसान नेताओं और सरकार के बीच चल रही बातचीत अभी तक बेनतीजा रही है. जारी रस्साकशी के बीच किसान नेताओं ने 8 दिसंबर को भारत बंद करने की घोषणा की है. इस बंद में किसानों के साथ-साथ कई और संगठन भी शामिल हैं. वहीं राजद, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत कई राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन दिया है.

8 दिसंबर को होने वाले भारत बंद की तैयारी को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी से बातचीत की. चढूनी ने बताया, "भारत बंद को लेकर गांव-गांव तक खबरें पहुंचाई जा चुकी हैं. यह एक बड़ा प्रदर्शन होगा."

उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा, ज्यादा से ज्यादा लोग इस प्रदर्शन में शामिल हों और शांतिमय ढंग से प्रदर्शन करते हुए सड़कों को जाम करें."

बता दें कि अब तक केंद्रीय मंत्रियों के साथ हुईं तीन बैठक बेनतीजा रही हैं. चौथी बैठक 9 दिसंबर को होनी है क्या इससे कोई उम्मीद है. इस सवाल के जवाब में चढूनी कहते हैं, "मुझे तो ज़्यादा उम्मीद नहीं है. लेकिन सरकार जब तक कानून वापस नहीं लेती हम वापस नहीं लौटने वाले. अब आंदोलन के तरीके में भी बदलाव करेंगे."

देखिए गुरनाम सिंह चढूनी से हुई पूरी बातचीत-

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कृषि कानूनों को लेकर किसान नेताओं और सरकार के बीच चल रही बातचीत अभी तक बेनतीजा रही है. जारी रस्साकशी के बीच किसान नेताओं ने 8 दिसंबर को भारत बंद करने की घोषणा की है. इस बंद में किसानों के साथ-साथ कई और संगठन भी शामिल हैं. वहीं राजद, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत कई राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन दिया है.

8 दिसंबर को होने वाले भारत बंद की तैयारी को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी से बातचीत की. चढूनी ने बताया, "भारत बंद को लेकर गांव-गांव तक खबरें पहुंचाई जा चुकी हैं. यह एक बड़ा प्रदर्शन होगा."

उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा, ज्यादा से ज्यादा लोग इस प्रदर्शन में शामिल हों और शांतिमय ढंग से प्रदर्शन करते हुए सड़कों को जाम करें."

बता दें कि अब तक केंद्रीय मंत्रियों के साथ हुईं तीन बैठक बेनतीजा रही हैं. चौथी बैठक 9 दिसंबर को होनी है क्या इससे कोई उम्मीद है. इस सवाल के जवाब में चढूनी कहते हैं, "मुझे तो ज़्यादा उम्मीद नहीं है. लेकिन सरकार जब तक कानून वापस नहीं लेती हम वापस नहीं लौटने वाले. अब आंदोलन के तरीके में भी बदलाव करेंगे."

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