17 घंटे बिजली इस्तेमाल कर सिर्फ 20 फीसदी का बिल भुगतान

दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोगों के पास आसानी से बिजली की पहुंच का अभाव है. बिजली इस्तेमाल करके बिल भुगतान न करने की आदत ब्राजील, पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भी है.

WrittenBy:राजू सजवान
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आखिरकार, ये कंपनियां दिवालिया हो जाती हैं और आपूर्ति में कटौती करने लगती हैं. क्योंकि वो उपभोक्ताओं से लागत वसूल किए बिना बिजली उत्पादक कंपनियों का भुगतान नहीं कर सकते हैं. और अंत में, जब ग्राहक को इसकी वजह से खराब बिजली आपूर्ति होती है, वह अपने पूरे बिल का भुगतान करना जरूरी नहीं समझते.

शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान के निदेशक मिल्टन फ्रीडमैन प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन कहते हैं, "बिजली वितरण के इसी तौर-तरीके को अपनाकर गरीबों तक बिजली मुहैया कराना कठिन है. अगर ऐसा ही होता रहा तो बिजली कंपनियां घाटे में चली जाएंगी और बाजार गिर जाएगा. इसका सीधा असर हर किसी पर पड़ेगा.’’

वह आगे कहते हैं, ‘’हमारा विचार है कि कोई भी समाधान तब तक काम नहीं करेगा, जब तक कि उसका सामाजिक मानदंड नहीं है. यानी कि बिजली एक अधिकार है, इस मानदंड को स्थापित करने के बजाय यह एक नियमित उत्पाद है, को स्थापित नहीं किया जाए. कहने का अर्थ है कि जिस तरह लोग भोजन, सेल फोन आदि के लिए भुगतान करते हैं, ठीक उसी तरह बिजली के लिए भुगतान करना जरूरी है, इस मान्यता को स्थापित करना होगा."

बिजली बिल भुगतान की समस्या को लेकर ग्रीनस्टोन और उनके साथी रॉबिन बर्गेस (लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस), निकोलस रयान (येल यूनिवर्सिटी), और अनंत सुदर्शन (शिकागो यूनिवर्सिटी) वर्तमान प्रणाली में तीन बदलाव का सुझाव भी दिया है. सबसे पहला है सब्सिडी में सुधार चूंकि सभी आय वर्ग के उपभोक्ता अक्सर बिजली सब्सिडी का फायदा लेते हैं, फिर भी इलेक्ट्रिसिटी सब्सिडी को बुरी तरीके से निशाना बनाया जाता है. इन सब्सिडी को हटाते हुए यदि गरीबों को बिजली देकर मदद करते हैं, तो वह इसका भुगतान करेंगे. यह सब्सिडी सीधे गरीबों को खाते में दिया जा सकता है. इससे बिजली के बाजार को होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकेगा.

इसके अलावा सामाजिक मानदंडों में बदलाव की भी जरूरत है. उपभोक्ता प्रोत्साहन और बिल संग्रह प्रक्रिया में बदलाव से बिजली की चोरी और बिलों का भुगतान न करने की आदत से निजात मिल सकती है. अध्ययन से पता चलता है कि चोरी गरीबों तक सीमित नहीं है. वास्तव में, बड़े उपभोक्ताओं के द्वारा भी इस तरह की चोरी करते हैं. और सबसे अंत में तकनीकी आधारित सुधार है. जैसे कि, व्यक्तिगत स्तर पर स्मार्ट मीटर का उपयोग करने से भुगतान और आपूर्ति को बढ़ावा देंगे.

आखिरकार, ये कंपनियां दिवालिया हो जाती हैं और आपूर्ति में कटौती करने लगती हैं. क्योंकि वो उपभोक्ताओं से लागत वसूल किए बिना बिजली उत्पादक कंपनियों का भुगतान नहीं कर सकते हैं. और अंत में, जब ग्राहक को इसकी वजह से खराब बिजली आपूर्ति होती है, वह अपने पूरे बिल का भुगतान करना जरूरी नहीं समझते.

शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान के निदेशक मिल्टन फ्रीडमैन प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन कहते हैं, "बिजली वितरण के इसी तौर-तरीके को अपनाकर गरीबों तक बिजली मुहैया कराना कठिन है. अगर ऐसा ही होता रहा तो बिजली कंपनियां घाटे में चली जाएंगी और बाजार गिर जाएगा. इसका सीधा असर हर किसी पर पड़ेगा.’’

वह आगे कहते हैं, ‘’हमारा विचार है कि कोई भी समाधान तब तक काम नहीं करेगा, जब तक कि उसका सामाजिक मानदंड नहीं है. यानी कि बिजली एक अधिकार है, इस मानदंड को स्थापित करने के बजाय यह एक नियमित उत्पाद है, को स्थापित नहीं किया जाए. कहने का अर्थ है कि जिस तरह लोग भोजन, सेल फोन आदि के लिए भुगतान करते हैं, ठीक उसी तरह बिजली के लिए भुगतान करना जरूरी है, इस मान्यता को स्थापित करना होगा."

बिजली बिल भुगतान की समस्या को लेकर ग्रीनस्टोन और उनके साथी रॉबिन बर्गेस (लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस), निकोलस रयान (येल यूनिवर्सिटी), और अनंत सुदर्शन (शिकागो यूनिवर्सिटी) वर्तमान प्रणाली में तीन बदलाव का सुझाव भी दिया है. सबसे पहला है सब्सिडी में सुधार चूंकि सभी आय वर्ग के उपभोक्ता अक्सर बिजली सब्सिडी का फायदा लेते हैं, फिर भी इलेक्ट्रिसिटी सब्सिडी को बुरी तरीके से निशाना बनाया जाता है. इन सब्सिडी को हटाते हुए यदि गरीबों को बिजली देकर मदद करते हैं, तो वह इसका भुगतान करेंगे. यह सब्सिडी सीधे गरीबों को खाते में दिया जा सकता है. इससे बिजली के बाजार को होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकेगा.

इसके अलावा सामाजिक मानदंडों में बदलाव की भी जरूरत है. उपभोक्ता प्रोत्साहन और बिल संग्रह प्रक्रिया में बदलाव से बिजली की चोरी और बिलों का भुगतान न करने की आदत से निजात मिल सकती है. अध्ययन से पता चलता है कि चोरी गरीबों तक सीमित नहीं है. वास्तव में, बड़े उपभोक्ताओं के द्वारा भी इस तरह की चोरी करते हैं. और सबसे अंत में तकनीकी आधारित सुधार है. जैसे कि, व्यक्तिगत स्तर पर स्मार्ट मीटर का उपयोग करने से भुगतान और आपूर्ति को बढ़ावा देंगे.

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