अर्णबकांड: गोस्वामी तेरा स्वामी कौन?

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
Date:
   

सबसे पहले एक स्पष्टीकरण. इस शो के दौरान दिखाई गई बातचीत में कई स्थानों पर लोगों के नाम संक्षिप्त रूप में लिए गए हैं. उनके असली नाम कुछ और भी हो सकते हैं. इसी तरह बातचीत मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में है. हिंदी में हमने इसका मूलभाव अनुवादित किया है. लिहाजा थोड़ी बहुत हेरफेर संभव है, इसके लिए न्यूज़लॉन्ड्री को उत्तरदायी न ठहराएं. दर्शक अपने विवेक का इस्तेमाल करें और इसे अंतिम निष्कर्ष न मानें.

अब आगे की बात करते हैं. अर्णब गोस्वामी और उनके खास यार पार्थो दासगुप्ता की इस कहानी में गॉसिप है, चुगलखोरी है, कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट है, बेइमानी है, धोखा है. और साथ में इमोशन, ड्रामा और ट्रैजेडी तो है ही.

कुछ महीने पहले अर्णब गोस्वामी और उनके चैनल रिपब्लिक टीवी द्वारा किए गए कथित टीआरपी घोटाले में बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता को गिरफ्तार किया गया था. पार्थो से हासिल दस्तावेज में अर्णब गोस्वामी के साथ व्हाट्सएप की बातचीत को भी मुंबई पुलिस ने एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट का हिस्सा बनाकर कोर्ट में दाखिल किया है. अब अर्णब और पार्थो की वह बातचीत जनहित और देशहित में किसी देशभक्त ने पूरी दुनिया के सामने रख दिया है. यह दस्तावेज सामने आने के बाद आने वाली प्रतिक्रियाएं व्यक्ति दर व्यक्ति अलग अलग हैं. टिप्पणी के इस एपिसोड में हमारी कोशिश रहेगी कि आपको हाथी के पूरे शरीर का खाका पेश किया जाय.

दलाली, लायज़निंग, मिडिल मैन, बिचौलिया, पॉवर ब्रोकर, शब्द चाहे जो भी आप चुन लें, सच यह है कि सत्ता के साथ ये जीव जरूरी हिस्सा बनकर जुड़े रहते हैं. आपको याद होगा हमारे सामने साल 2010 में राडिया टेपकांड सामने आया था. तब भी सत्ता से सटे तमाम पत्रकारों की दबी-छुपी दुनिया हमारे सामने उजागर हुई थी.

अर्णब गोस्वामी और पार्थो दासगुप्ता की बातचीत में जो चेहरा हमारे सामने आया है वह कई मायनो में राडिया टेप में सामने आए चेहरों से ज्यादा बदसूरत और खतरनाक है. 500 पन्नों से ज्यादा की बातचीत के कई हिस्से हैं. मूलत: हमने इसे चार-पांच हिस्सों में बांटा है. सत्ता और सत्ताधारी नेताओं से रिश्ता, फ्रटर्निटी यानी पत्रकारिता बिरादरी के लोगों के बारे में अर्णब की राय, राष्ट्रवाद के स्वयंभू सरगना अर्णब का असल चेहरा, कन्फिल्क्ट ऑफ इंटरेस्ट और टीआरपी में हेरफेर.

तो देखिए इस बार की टिप्पणी और अपनी राय हमें जरूर दीजिए.

Also see
article imageफेरारी, रोलेक्स और टीआरपी में गड़बड़ी: बार्क के भ्रष्टाचार का कच्चा चिट्ठा है ऑडिट रिपोर्ट
article imageअर्णब के व्हाट्सएप चैट पर बोलना था प्रधानमंत्री को, बोल रहे हैं राहुल गांधी, क्यों?

सबसे पहले एक स्पष्टीकरण. इस शो के दौरान दिखाई गई बातचीत में कई स्थानों पर लोगों के नाम संक्षिप्त रूप में लिए गए हैं. उनके असली नाम कुछ और भी हो सकते हैं. इसी तरह बातचीत मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में है. हिंदी में हमने इसका मूलभाव अनुवादित किया है. लिहाजा थोड़ी बहुत हेरफेर संभव है, इसके लिए न्यूज़लॉन्ड्री को उत्तरदायी न ठहराएं. दर्शक अपने विवेक का इस्तेमाल करें और इसे अंतिम निष्कर्ष न मानें.

अब आगे की बात करते हैं. अर्णब गोस्वामी और उनके खास यार पार्थो दासगुप्ता की इस कहानी में गॉसिप है, चुगलखोरी है, कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट है, बेइमानी है, धोखा है. और साथ में इमोशन, ड्रामा और ट्रैजेडी तो है ही.

कुछ महीने पहले अर्णब गोस्वामी और उनके चैनल रिपब्लिक टीवी द्वारा किए गए कथित टीआरपी घोटाले में बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता को गिरफ्तार किया गया था. पार्थो से हासिल दस्तावेज में अर्णब गोस्वामी के साथ व्हाट्सएप की बातचीत को भी मुंबई पुलिस ने एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट का हिस्सा बनाकर कोर्ट में दाखिल किया है. अब अर्णब और पार्थो की वह बातचीत जनहित और देशहित में किसी देशभक्त ने पूरी दुनिया के सामने रख दिया है. यह दस्तावेज सामने आने के बाद आने वाली प्रतिक्रियाएं व्यक्ति दर व्यक्ति अलग अलग हैं. टिप्पणी के इस एपिसोड में हमारी कोशिश रहेगी कि आपको हाथी के पूरे शरीर का खाका पेश किया जाय.

दलाली, लायज़निंग, मिडिल मैन, बिचौलिया, पॉवर ब्रोकर, शब्द चाहे जो भी आप चुन लें, सच यह है कि सत्ता के साथ ये जीव जरूरी हिस्सा बनकर जुड़े रहते हैं. आपको याद होगा हमारे सामने साल 2010 में राडिया टेपकांड सामने आया था. तब भी सत्ता से सटे तमाम पत्रकारों की दबी-छुपी दुनिया हमारे सामने उजागर हुई थी.

अर्णब गोस्वामी और पार्थो दासगुप्ता की बातचीत में जो चेहरा हमारे सामने आया है वह कई मायनो में राडिया टेप में सामने आए चेहरों से ज्यादा बदसूरत और खतरनाक है. 500 पन्नों से ज्यादा की बातचीत के कई हिस्से हैं. मूलत: हमने इसे चार-पांच हिस्सों में बांटा है. सत्ता और सत्ताधारी नेताओं से रिश्ता, फ्रटर्निटी यानी पत्रकारिता बिरादरी के लोगों के बारे में अर्णब की राय, राष्ट्रवाद के स्वयंभू सरगना अर्णब का असल चेहरा, कन्फिल्क्ट ऑफ इंटरेस्ट और टीआरपी में हेरफेर.

तो देखिए इस बार की टिप्पणी और अपनी राय हमें जरूर दीजिए.

Also see
article imageफेरारी, रोलेक्स और टीआरपी में गड़बड़ी: बार्क के भ्रष्टाचार का कच्चा चिट्ठा है ऑडिट रिपोर्ट
article imageअर्णब के व्हाट्सएप चैट पर बोलना था प्रधानमंत्री को, बोल रहे हैं राहुल गांधी, क्यों?

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like