नये बदलाव: सरकार ने 500 गीगावॉट साफ ऊर्जा के लक्ष्य को आधिकारिक रूप से नहीं माना पर नये बिल में क्लीन एनर्जी को बढ़ाने और कार्बन क्रेडिट का प्रावधान रखा है
भारत ने पेरिस संधि के तहत ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटने के लिये अपने किये गये अपने वादों (एनडीसी) को अपडेट किया, लेकिन उसमें साल 2030 तक 500 गीगावॉट साफ ऊर्जा क्षमता को स्थापित करने का वादा नहीं है. महत्वपूर्ण है कि पिछले साल ग्लासगो सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने जो इरादे ज़ाहिर किये थे उनमें 500 गीगावॉट का यह लक्ष्य भी था. वैसे भारत सरकार के ऊर्जा मंत्री ने हाल ही में कहा कि देश में बिजली की मांग बढ़ी है और कुल ऊर्जा का 29% साफ ऊर्जा संयंत्रों से आ रहा है.
इस बीच सरकार ने लोकसभा में एनर्जी कंजर्वेशन अमेंडमेंट बिल पास करा लिया. जिसमें उद्योगों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और रिहायशी बिल्डिंग में भी ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल को अनिवार्य करने का प्रावधान है. इस बिल में कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट के भी प्रावधान हैं जिसके तहत साफ ऊर्जा इस्तेमाल करने वाली यूनिट्स, क्रेडिट कमा कर उन कंपनियों से पैसा ले सकती हैं जो ग्रीन एनर्जी का पर्याप्त इस्तेमाल नहीं कर पाई हों.
हालांकि विपक्ष के कुछ सांसदों ने बिल में कार्बन क्रेडिट की “अस्पष्ट” परिभाषा को लेकर संदेह प्रकट किया. आरएसपी के एक विपक्षी सांसद ने बहस के दौरान कहा कि कार्बन ट्रेडिंग की परिभाषा स्पष्ट नहीं है और बिल कार्बन ट्रेडिंग को बढ़ावा देने वाला है, जिसे कुछ गिने चुने उद्योगपतियों को फायदा दिलाने के लिये पास कराया जा रहा है.
मध्य प्रदेश बनाएगा 2030 तक 20,000 मेगावॉट अतिरिक्त साफ ऊर्जा
मध्य प्रदेश सरकार ने 2030 तक 20 हजार मेगावॉट अतिरिक्त क्लीन एनर्जी के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की घोषणा की है. राज्य अभी 5,500 मेगावॉट साफ ऊर्जा बनाता है. नये लक्ष्य को हासिल करने के लिये कभी दस्युओं के लिये कुख्यात रहे चंबल क्षेत्र में एक सोलर प्लांट लगाया जायेगा. भारत ने अपने अपडेटेड एनडीसी (जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिये निर्धारित लक्ष्य) में आधिकारिक रूप से कहा है कि वह 2030 तक अपनी कुल बिजली उत्पादन का 50% गैर-जीवाश्म ईंधन से बनाने की क्षमता हासिल कर लेगा. हालांकि अभी भारत की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 403000 गिगावॉट में से 41% गैर जीवाश्म ईंधन है. इनमें 28% स्थापित ऊर्जा के संयंत्र सौर, पवन और अन्य स्रोतों से हैं, जबकि 11% हाइड्रो पावर है.
गांवों में रूफटॉप सोलर को बढ़ावा देने के लिये नेट मीटरिंग का प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाकों में छतों पर सोलर पैनल के ज़रिये साफ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने के लिये वर्चुअल नेट मीटरिंग और ग्रुप नेट मीटरिंग का प्रस्ताव रखा है. सरकार का कहना है कि ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में रूफटॉप सोलर अधिक हैं क्योंकि गांव में बने घर पैनल का भार नहीं झेल सकते. इस समस्या के हल के लिये गांव के लोग इकट्ठा एक जगह पर सौर पैनल लगा सकते हैं, जिससे वितरण और ट्रांसमिशन में होने वाला नुकसान भी घटेगा. सरकार ने इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन से पूरे देश में वर्चुअल और ग्रुप नेट मीटरिंग के लिये गाइडलाइन और नोटिफिकेशन जारी करने को कहा है.
बत्ती गुल होने से परेशान दक्षिण अफ्रीका ने पकड़ा रिन्यूएबल, गैस और बैटरी का रास्ता
बार-बार बत्ती गुल हो जाने से परेशान दक्षिण अफ्रीका ने रिन्यूएबल और बैटरी को बढ़ावा देने का फैसला किया है, लेकिन साथ ही यहां गैस संयंत्रों का प्रयोग भी होगा. दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल का कहना है कि दशकों से चली आ रही पावर कट की समस्या से नागरिकों का गुस्सा होना जायज़ है. उन्होंने कोयले से मिलने वाली अविश्वसनीय बिजली और दो नये ताप बिजलीघरों के त्रुटिपूर्ण डिज़ाइन को समस्या के लिये ज़िम्मेदार ठहराया, और कहा कि अब उनका देश रिन्यूएबल के साथ-साथ गैस आधारित जेनरेटरों और बैटरी स्टोरेज की मदद से पावर कट की समस्या को खत्म करेगा.
(साभार - कार्बन कॉपी हिंदी)
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