डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट: गुजरात का वो कानून जिसने मुस्लिमों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना असंभव कर दिया

इस एक्ट ने गुजरात के मुस्लिम तबके को घेटो में तब्दील कर दिया है. जहां एक तरफ दावा किया जा रहा है कि 2002 के बाद गुजरात में शांति कायम है. वहीं अलग-अलग जगहों पर इसका लगातार इस्तेमाल हो रहा है.

WrittenBy:बसंत कुमार
Date:
   

भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के वडोदरा शहर पहुंचे थे. यहां इन्होंने रोड शो किया. जिसमें कर्नल सोफिया कुरैशी के पूरे परिवार को बुलाया गया था. परिजनों ने पीएम पर फूलों की बारिश की. 

इसी वडोदरा के रहे वाले ओन अली पिछले कई सालों से अपनी ही खरीदी एक जमीन पर कब्जा लेने के लिए भटक रहे हैं. वो लगातार अदालत और पुलिस थाने के चक्कर काट रहे हैं.  वडोदरा के चारपाने दरवाजा, फतेहपुर में स्थित यह जमीन अली ने साल 2016 में अपने बहनोई के साथ मिलकर खरीदी थी.  

जमीन खरीद के बाद डिस्टर्ब्ड एरियाज़ एक्ट के तहत अली ने जमीन हंस्तातरण के लिए डिप्टी कलेक्टर के कार्यालय में आवेदन दिया लेकिन अनुमति नहीं मिली. डिप्टी कलक्टर ने अपने आदेश में लिखा, ‘‘इस आवेदन के जांच के लिए पुलिस आयुक्त से राय मांगी गई थी. जिसमें सहायक पुलिस आयुक्त ने उक्त सम्पति के बिक्री और हस्तांतरण की अनुमति नहीं देने की मत दिया है. इसलिए आपकी सम्पति के हस्तांतरण की अनुमति मांगने वाले आदेश को ख़ारिज किया जाता है.’’

इसके बाद अली ने राजस्व विभाग का रुख किया तो वहां भी अनुमति नहीं मिली. आखिरकार गुजरात हाईकोर्ट से साल 2019  में उन्हें जमीन पर मालिकाना हक़ मिल गया. जमीन तो उनके नाम पर हो गई लेकिन बीते जून तक भी वो इस पर कब्ज़ा नहीं ले पाए हैं. 

अली इसके पीछे स्थानीय हिंदुओं के विरोध को कारण बताते हैं. यहां तक कि स्थानीय हिन्दुओं के दबाव में इस जमीन खरीद के दो गवाह- एक स्थानीय मुस्लिम दुकानदार फरहान और दूसरे केशव राणा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि झूठ बोलकर उनसे जमीन खरीद के कागजात पर हस्ताक्षर करवाए गए. साथ ही आस पास के हिन्दुओं ने भी हाईकोर्ट में खुद को इस खरीद मामले में पार्टी बनाने की मांग की. सुनवाई के दौरान गुजरात हाईकोर्ट ने केशव राणा और फरहान के साथ हिन्दू पक्ष को भी फटकार लगाते हुए 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया.

अली के यहां जमीन खरीदने का विरोध करने वालों में बीजेपी के नेता, पूर्व कॉर्पोरेटर और कुछ अन्य लोग शामिल हैं. इनका तर्क है कि अगर मुस्लिम यहां जमीन खरीदते रहे तो उनकी आबादी बढ़ जाएगी और हिंदुओं को पलायन करना पड़ेगा. हालांकि, अली की जमीन रिहायशी नहीं है.  

गुजरात में इस तरह का यह एकलौता मामला नहीं है. यहां दर्जनों मामले अलग-अलग अदालतों में चल रहे हैं.  

इस रिपोर्ट में हमने डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट के असर, लोगों की परेशानी, कानून के आने की वजह और मकसद के साथ-साथ बीजेपी सरकार द्वारा इसके सुविधाजनक इस्तेमाल पर प्रकाश डालने की कोशिश की है. 

देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट.

Also see
article imageसुप्रीम कोर्ट: कांवड़ मार्ग पर यूपी और उत्तराखंड सरकार के नेम प्लेट लगाने के आदेश पर रोक जारी
article imageउत्तराखंड: हिंदुत्ववादियों और एक पत्रकार ने रची लव जिहाद की साजिश

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like