‘हम मॉडर्न भी हैं, लेकिन हद में’: राधिका यादव की हत्या पर परिजनों का तर्क

दीपक के रिश्तेदारों ने आर्थिक तंगी के दावों को खारिज कर दिया और अपने नजरिए से सुनवाई की मांग की.

WrittenBy:सुमेधा मित्तल
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25 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की गोली लगने से मौत हो गई. राधिका को कथित तौर पर उनके पिता ने तीन गोलियां मारी. बीते शुक्रवार शाम को गुरुग्राम के सुशांत लोक-2 इलाके में उनके परिजन और पड़ोसी राधिका का संस्कार कर घर लौटे. राधिका के अचानक जाने से दुखी ये लोग मीडिया पर भी काफी नाराज थे.  

बंगले के परिसर में बैठे राधिका के 74 वर्षीय दादा रघुबीर यादव हुक्का पीते हुए बोले, “ये लोग [मीडिया] बस उसके बाप को अपराधी साबित कर रहे हैं. हां, उसके बाप ने मारा है, क्योंकि बाप का हक होता है बेटी पर.”

पुलिस के मुताबिक, गुरुवार सुबह 10:30 बजे जब राधिका नाश्ता बना रही थी तोउसके पिता दीपक यादव (54) ने कथित रूप से अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर निकालकर उस पर पांच गोलियां चलाईं. जिनमें से तीन उसकी पीठ में लगीं. बाद में पिता ने तुरंत ही अपना अपराध कबूल कर लिया.

हालांकि, पुलिस इस अपराध के हर पहलू की जांच कर रही है. अभी तक जो जानकारी है, उसके अनुसार दीपक राधिका के टेनिस अकादमी चलाने से नाखुश था और वह चाहता था कि वह इसे बंद कर दे.

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि दीपक ने पुलिस को बताया कि उसे स्थानीय लोगों की तानों से परेशानी हो रही थी. लोग उसे कहते थे कि वह अपनी बेटी की कमाई पर पल रहा है.

दीपक की आर्थिक स्थिति को लेकर लगाए जा रहे दावों को खारिज करते हुए, राधिका के करीबी रिश्तेदार चाहते हैं कि लोग इस घटना को उसके पिता के नजरिए से भी समझें.

राधिका यादव टेनिस अकादमी

'हमारे पास पैसों की कमी है?'

“क्या आपको लगता है कि हमारे पास पैसे की कमी है?” दीपक के चचेरे भाई पवन ने अपने आलीशान बंगले के लॉन में खड़ी कारों जैसे एमजी ग्लॉस्टर, वोक्सवैगन पोलो S90 और एक बीएमडब्ल्यू साइकिल की ओर इशारा करते हुए कहा.

“मेरी तरह ही दीपक भी रियल एस्टेट में काम करता है. उसके पास 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है, जिससे उसे हर महीने लाखों रुपये किराए में मिलते हैं. उसने अपनी बेटी को हमारे इलाके के सबसे महंगे स्कूलों में से एक स्कॉटिश हाई इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाया था और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर की टेनिस खिलाड़ी बनाने में लाखों खर्च किए. क्या आपको लगता है कि वह उसकी कमाई पर निर्भर था?.”

साल 2000 के दशक में जब डीएलएफ लिमिटेड और राज्य सरकार ने गुरुग्राम के वज़ीराबाद गांव की ज़मीन का अधिग्रहण किया था, तब दीपक और उसका विस्तृत परिवार भी उन लोगों में शामिल था जो सुशांत लोक-2 में बस गए. यह गुरुग्राम के गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड पर स्थित एक समृद्ध आवासीय कॉलोनी है.

गुरुग्राम के सुशांत लोक 2 इलाके में दीपक यादव का बंगला

पवन ने कहा, “मैं अपने बेटे को अंतरराष्ट्रीय स्तर का शूटर बनाने के लिए हर साल 50 लाख रुपये खर्च करता हूं… लेकिन कल को वह जाकर किसी भी लड़की से शादी नहीं कर सकता या मनमानी नहीं कर सकता. अगर वह ऐसा करता है, तो मुझे उसे सबक सिखाने का हक है. और अगर हमारी इस सोच के कारण लोग हमें गंवार या देहाती कहें तो कहें.”

वज़ीराबाद कभी हरियाणा के सबसे अमीर गांवों में गिना जाता था, जहां यादव समुदाय का वर्चस्व था. हालांकि, वहां का लिंग अनुपात महज़ 87.2 था, जो राज्य औसत 91.0 से काफी कम था.

यादव समुदाय के जो पुरुष इस रिहायशी इलाके में बसे हैं, वे किराए पर रहकर दिन भर ताश खेलने और हुक्का पीने में बिताते हैं. अन्य समुदायों के पड़ोसी बताते हैं कि इन परिवारों की महिलाएं शायद ही कभी बाहर दिखाई देती हैं.

पड़ोस में रहने वाली एक प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “मैं इस इलाके में चार साल से रह रही हूं, लेकिन राधिका की मां को पहली बार उसके अंतिम संस्कार में ही देखा.”

एक अन्य पड़ोसी ने भी यही बात कही. “मैंने भी इस परिवार की किसी महिला को कभी बाहर नहीं देखा. और अगर कभी दिखती भी हैं, तो घूंघट में रहती हैं.”

प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका ने बताया कि राधिका की मां ने उन्हें कहा कि दीपक ने आपसी मतभेदों के कारण राधिका को गोली मार दी.

उन्होंने कहा, “मेरे पास भी 21 साल का बेटा है, वह कई बार मेरी बात नहीं मानता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं उसे मार दूं. कोई ऐसा कैसे कर सकता है? और हमें तो यह भी नहीं पता था कि हमारे पड़ोसी अपने घरों में रिवॉल्वर रखते हैं.” 

इस पर पवन जवाब देते हैं, “हम पर यह आरोप कैसे लगाया जा सकता है कि हमारे पास आधुनिक सोच नहीं है? राधिका को टेनिस खिलाड़ी बनाना उसके पिता का ही सपना था. मेरी एक और भतीजी ताइक्वांडो खेलती है. हम अपने बच्चों को फिल्मों तक के लिए सबसे महंगी टिकट दिलवाते हैं. दीपक ने राधिका को 15 लाख से ज्यादा की कीमत वाली थार गाड़ी गिफ्ट की थी. हम अपने बच्चों को आज़ादी देते हैं, उन्हें काम करने देते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे उस आज़ादी का गलत इस्तेमाल करें. इसलिए पुलिस को इस मामले की जांच हमारे नजरिए से भी करनी चाहिए.”

मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित ख़बर को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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