पुणे में महिला पत्रकार पर अवैध निर्माण की रिपोर्टिंग के दौरान जानलेवा हमला

हमले के हफ्तेभर से ज्यादा बीत जाने के बावजूद मुख्य आरोपी को पकड़ा नहीं जा सका है. वहीं, प्रेस क्लब ने इस हमले की निंदा की है.

WrittenBy:प्रतीक गोयल
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स्नेहा बर्वे पर रिपोर्टिंग के दौरान हमला हुआ.

4 जुलाई को पुणे जिले के मंचर स्थित निगोटवाड़ी गांव में पत्रकार स्नेहा बर्वे पर हमला हुआ. स्नेहा तब नदी किनारे हो रहे अवैध निर्माण पर रिपोर्टिंग कर रही थीं. कैमरे पर दर्ज इस घटना में उन्हें लकड़ी के डंडे से तब तक पीटा गया जब तक वह बेहोश नहीं हो गई. 10 दिन बीत चुके हैं लेकिन मुख्य आरोपी अभी भी फरार है.

29 वर्षीय स्नेहा बर्वे स्वतंत्र डिजिटल मीडिया प्लैटफॉर्म समर्थ भारत परिवार कि संस्थापक और संपादक हैं. 

बर्वे हमले के बाद तीन दिन तक अस्पताल में भर्ती रहीं. न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा देखे गए मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, स्नेहा को सिर के पीछे और पीठ के निचले हिस्से पर गंभीर चोटे आई हैं. रिपोर्ट में इंटरनल ब्लीडिंग के संकेत हैं. उन्हें दौरे पड़ रहे थे और वह बार-बार उल्टी हो रही थीं. स्थिति इतनी गंभीर थी कि वह न तो उठ पाने की हालत में है और ना ही बोल पाने में समर्थ थीं. 

घटना का एक वीडियो पिछले सप्ताह इंटरनेट पर काफी वायरल हो गया. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब पत्रकार स्नेहा को अपने काम के लिए धमकियों का सामना करना पड़ा हो.

इससे पहले बीते फरवरी में जब उन्होंने अपने गांव चस-नारोड़ी में खराब सड़क के लिए रिपोर्टिंग की थी तब भी उन्हें ऑफिस के बाहर परेशान किया गया. जुलाई, 2024 में उन्होंने आरोप लगाया कि एक आलोचनात्मक रिपोर्ट के बाद पूर्व सांसद शिवराव अधालराव पाटिल के उन्हें धमकी भरे फोन आए थे. इस संबंध में उन्होंने मंचर पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी.  

ताज़ा हमले को लेकर स्नेहा बर्वे ने कहा, “मुझे नदी किनारे अवैध निर्माण की सूचना मिली थी. स्थानीय लोगों ने बताया कि भारी बारिश के दौरान इससे बाढ़ का खतरा हो सकता है, इसलिए मैंने इस पर रिपोर्ट करने का फैसला किया… मैंने कुछ ग्रामीणों का इंटरव्यू लिया था और कैमरे के सामने अपनी रिपोर्टिंग शुरू ही की थी कि अचानक किसी ने मेरे सिर के पीछे जोर से डंडा मारा. इसके बाद मुझे कुछ याद नहीं, मैं बेहोश हो गई.”

स्नेहा ने आगे बताया, “जो लोग निर्माण कार्य में शामिल थे, उन्होंने उन लोगों पर भी हमला किया जो मेरी मदद करने आए थे. मुझे अस्पताल में भर्ती कराया गया और कुछ दिनों बाद छुट्टी मिली. लेकिन डॉक्टरों ने मुझे आराम करने और बोलने में संयम बरतने की सलाह दी है.”

बर्वे ने अपने मुख्य हमलावर के रूप में पांडुरंग मोराडे का नाम लिया. पांडुरंग का नाम आदतन एक अपराधी (हिस्ट्रीशीटर) के तौर पर दर्ज है. है. वह इलाके में शराब के दो बार चलाता है. उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज है और साथ ही अतिक्रमण के कई आरोप लग चुके हैं. उसके राजनीतिक दलों से भी संबंध हैं. वह कभी अविभाजित शिवसेना का मंचर शहरी अध्यक्ष रह चुका है.

पुलिस ने पांडुरंग, उसके दो बेटों- प्रशांत एवं नीलेश के अलावा छह और लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. अब तक पांच को गिरफ्तार किया जा चुका है. इनमें मोराडे के दोनों बेटे शामिल हैं. हालांकि, मुख्य आरोपी पांडुरंग अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.

पुलिस इंस्पेक्टर श्रीकांत कंकाल ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “हमने पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और बाकी को भी जल्द पकड़ लेंगे. इन सभी पर भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं जैसे 118 (1), 115(2), 189(2), 191(2), 190 और 351 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया है.” मालूम हो कि ये धाराएं जानबूझकर चोट पहुंचाने, गैरकानूनी जमावड़ा, दंगा और आपराधिक धमकी से संबंधित हैं.

बर्वे ने कहा, “पांडुरंग एक आदतन अपराधी है, जिस पर पहले भी हत्या और हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं. वह इस समय जमानत पर बाहर है, लेकिन इसके बावजूद वह बेखौफ होकर अपराध करता जा रहा है. उस दिन जिन सभी लोगों पर हमला हुआ, उनके लिए एक सामूहिक एफआईआर दर्ज की गई है, लेकिन पांडुरंग के खिलाफ हत्या के प्रयास जैसी गंभीर धाराएं नहीं लगाई हैं.”

स्नेहा ने बताया कि बीते छह महीनों में उन पर हुआ यह दूसरा हमला है. स्नेहा ने कहा, “फरवरी में, जब मैंने चस-नरोड़ी गांव की खराब सड़कों पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, तब कुछ लोग मेरे ऑफिस के बाहर आए. उन्होंने मुझसे बदसलूकी की, थप्पड़ मारने की कोशिश की और मुझ पर चप्पलें फेंकी. मैंने तुरंत पुलिस से संपर्क किया और एफआईआर दर्ज कराई.”

बर्वे ने जुलाई, 2024 में पूर्व सांसद शिवराव अधालराव पाटिल द्वारा धमकाए जाने को भी याद किया. उन्होने कहा, “मेरी रिपोर्ट ने चुनाव के समय उनकी छवि खराब कर दी और चेतावनी दी कि मै उन पर भविष्य मे दोबारा रिपोर्ट ना करूं और कहा कि मुझे इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे. मैने मंचर पुलिस को उसी शाम शिकायत दर्ज कराई.”

बर्वे अभी भी अडिग हैं. उन्होंने कहा, “केवल स्थानीय मुद्दों पर रिपोर्टिंग करने की वजह से मुझे धमकियों और हमलों का सामना करना पड़ रहा है. पर मैं चुप नहीं बैठूंगी….फिलहाल मैं अपनी चोटों से उभरने पर ध्यान दे रही हूं. जैसे ही मैं बेहतर महसूस करूंगी, मैदान में उतरकर अपना काम करुंगी.”

इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व सांसद शिवाजीराव अधालराव पाटिल ने न्यूज़लॉन्ड्री से कहा कि उन्होंने पत्रकार को केवल अपनी “आपत्ति दर्ज कराने” के लिए फोन किया था, न कि धमकी देने के लिए. पाटिल ने कहा, “मैंने उन्हें फोन किया था लेकिन सिर्फ इसलिए कि उनकी रिपोर्ट्स एकतरफा और मेरी छवि को नुकसान पहुंचाने वाली थीं. रिपोर्ट जानबूझकर भ्रामक तरीके से बनाई गई थी. मैंने सिर्फ अपनी आपत्ति जताई थी, कोई धमकी नहीं दी.”

प्रेस क्लब ने की हमले की निंदा

वहीं, पत्रकार स्नेहा पर हुए इस हमले की प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कड़े शब्दों में निंदा की है. प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इस घटना को कानून-व्यवस्था की विफलता का गंभीर संकेत बताया और महाराष्ट्र सरकार से सख्त कार्रवाई की अपील की. क्लब ने ज़ोर देते हुए कहा कि पत्रकारों पर होने वाली हिंसा किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है और दोषियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए. 

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