सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अपनी एडवाइजरी में कहा, टीवी कार्यक्रमों में ऐसी कोई भी सामग्री नहीं होना चाहिए जो अश्लील, मानहानिपरक, झूठा या आधा सच हो.
टीवी मीडिया कि रिपोर्टिंग एकतरफ़ा और टीआरपी की भूखी हो गई है. यह हम नहीं बल्कि देश की अदालतों ने अपने फ़ैसलों में हाल के दिनों में कहा है. सुदर्शन टीवी के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जोसेफ ने कहा, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ समस्या टीआरपी की है. इस कारण वह कई बार जरूरत से ज्यादा सनसनीखेज हो जाता है.
गुरुवार को रिपब्लिक टीवी समेत दो अन्य चैनलों द्वारा पैसे देकर टीआरपी बढ़ाने की खबर आने के बाद से टीवी मीडिया सभी के निशाने पर है. मुंबई पुलिस कमिश्नर की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद, टीवी मीडिया के कटेंट और उसके प्रसारण को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई. एक ओर जहां रिपब्लिक, इन आरोपों का खंडन कर रहा है, तो वहीं इंडिया टुडे ग्रुप से साथ उसकी दुश्मनी जगजाहिर हो गई, जहां दोनों चैनल एक दूसरे को टीआरपी के लिए कोस रहे हैं.
इन सबके बीच शुक्रवार शाम को सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने समाचार चैनलों को एक नई एडवाइजरी जारी की है. मंत्रालय ने इसमें कहा है, “केबल टेलीविजन नेटवर्क (रेगुलेशन) अधिनियम, 1995 के तहत किसी भी कार्यक्रम में आधा सच या किसी की मानहानि करने वाली सामग्री का प्रसारण नहीं होना चाहिए.”
The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.
Contributeआईबी मंत्रालय ने चार पेज की एडवाइजरी में आगे लिखा, टीवी कार्यक्रमों में ऐसी कोई भी सामग्री नहीं होना चाहिए जो अश्लील, मानहानिपरक, झूठा या आधा सच हो, या फिर किसी व्यक्ति, समूह, समाज के तबके, जनता या देश के नैतिक जीवन की आलोचना करने, लांछन लगाने या अपमानित करने वाली हो.
बता दें कि रिपब्लिक टीवी पर टीआरपी चोरी के आरोपों पर सूचना प्रसारण मंत्री और उनके मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है. प्रकाश जावेडकर ने ट्वीट करते हुए लिखा, “स्वतंत्र प्रेस हमारे लोकतंत्र की एक परिभाषित विशेषता और संविधान का पोषित आदर्श है. मीडिया की स्वतंत्रता को कुचलना, भारत के लोगों द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा मीडिया को टारगेट करना लोकतंत्र के सभी सिद्धांतों के खिलाफ है और अस्वीकार्य है.”
जावेड़कर के इस ट्वीट का निशाना, महाराष्ट्र सरकार पर था, जहां की पुलिस ने रिपब्लिक टीवी पर रेटिंग में छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है.
ग़ौरतलब हैं कि गुरूवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने तब्लीगी जमात से जुड़े एक मामले की सुनवाई में कहा, “हाल के दिनों में बोलने की आजादी के हक का सबसे ज्यादा दुरुपयोग हुआ है.” साथ ही केंद्र सरकार की तरफ से जूनियर ऑफिसर के द्वारा दायर हलफनामे पर भी ऐतराज जताया गया है और सीनियर ऑफिसर से हलफनामा दायर करने को कहा है.
इस सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने कहा, “तबलीगी जमात मुद्दे पर मीडिया की कथित रिपोर्टंग पर सरकार बताए कि किसने आपत्तिजनक रिपोर्टिंग की और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई.
गलत रिपोर्टिंग या आधे सच के एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वह, रिपब्लिक टीवी को उसकी गलत रिपोर्टिंग को लेकर चार सप्ताह के भीतर आदेश जारी करे.
हाल ही में बेस्टमीडियाइन्फो ने भी देश के प्रमुख विज्ञापनदाताओं से बातचीत कर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें विज्ञापनदाताओं ने कहा- वह समाचार चैनलों पर बढ़ते विषैले कार्यक्रमों से चिंतित है और अगर समाचार प्रसारक कंटेंट पर गंभीरता से विचार नहीं करेंगे तो वह अपने विज्ञापन को उस प्लेटफॉर्म पर चलाने के विषय में पुनर्विचार कर सकते हैं.
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