रिपब्लिक टीवी ने कोर्ट में कहा, हमने जो कुछ भी किया है केस के संदर्भ में किया है.
सुशांत सिंह राजपूत के मामले में मीडिया ट्रायल पर बॉम्बे हाईकोर्ट में बुधवार को भी सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी से कहा, आप जांचकर्ता, अभियोजक और न्यायाधीश बन जाते हैं फिर हमारा क्या उपयोग है? हम यहां क्यों है.
हाईकोर्ट ने कहा, आपने सिर्फ पोस्टमार्टम के आधार पर स्टोरी बना दी? यदि आपको सच्चाई जानने में इतनी दिलचस्पी है, तो आपको सीआरपीसी देखना चाहिए! कानून की अनदेखी कोई बहाना नहीं है.
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Contributeरिपब्लिक टीवी की वकील मल्लिका त्रिवेदी ने इस पर कोर्ट से कहा, हम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहते हैं, हम सिर्फ यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि यह मामला इतना सीधा क्यों नहीं है और केवल मीडिया के प्रयासों के कारण इस मामले की जांच हुई.
रिपब्लिक टीवी ने कोर्ट में आगे कहा, कोर्ट को देखना चाहिए कि मीडिया ने क्या किया और हमने जो कुछ भी किया है केस के संदर्भ में किया है. आज कुछ पुलिस अधिकारी कह रहे हैं कि उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है. जब जांच गलत हो रही हो तो जनता को सच जानने का अधिकार है.
इस पर कोर्ट ने कहा, जांच अगर सही तरीके से नहीं हो रही है तो उसे देखने वाला कौन है? क्या यह आपका काम है कि जांच में जो कमियां रह गई हैं आप उसे बताएं?
बता दें कि इससे पहले उच्च न्यायलय ने पूछा था कि क्या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सामग्री को नियंत्रित करने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था है?
जिस पर केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट से कहा कि वह 'मीडिया ट्रायल' के समर्थन में नहीं है लेकिन प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कानूनी और स्वयं नियामक दिशा-निर्देश पहले से मौजूद हैं. केंद्र ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने समाचार प्रसारक संघ (एनबीए) की भूमिका को टीवी चैनलों के नियामक के तौर पर स्वीकार किया था. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह व्यवस्था भी दी है कि मीडिया की आजादी में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता.
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