संपादक ने कहा, गिल्ड ने अर्नब गोस्वामी जो कि गिल्ड के सदस्य भी नहीं हैं की गिरफ्तारी पर निंदा बयान जारी किया था. जबकि उस केस का पत्रकारिता से कुछ लेना-देना भी नहीं था. लेकिन उनके मामले में संस्था ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली.
नॉर्थ ईस्ट के एक प्रमुख अखबार ‘द शिलांग टाइम्स’ की पद्मश्री से सम्मानित संपादक पेट्रीसिया मुखिम ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया से इस्तीफा दे दिया है. मुखिम का आरोप है कि हाल ही में हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ जो फैसला सुनाया, उस मामले पर संस्था ने उनका साथ नहीं दिया और पूरी तरह चुप्पी साधे रखी.
बता दें कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया देशभर के मीडिया संस्थानों के संपादकों का समूह है. मुखिम को नॉर्थ ईस्ट में कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय और वहां रहने वाले लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले पत्रकार के तौर पर जाना जाता रहा है. उनका आरोप है कि पत्रकारों की यह बड़ी संस्था सिर्फ "सेलिब्रिटी
पत्रकारों’ का ही बचाव करती है. अपने इस्तीफे में, पेट्रीसिया मुखिम ने टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे गिल्ड ने अर्नब गोस्वामी (जोकि गिल्ड के सदस्य भी नहीं हैं) की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए बयान जारी किया था, वो भी उस केस में जिसका पत्रकारिता से कुछ लेना-देना ही नहीं था, बल्कि खुदकुशी के लिए उकसाए जाने का आरोप था. जबकि उनके केस में संस्था द्वारा पूरी तरह से चुप्पी साध ली गई.
The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.
Contributeसोशल मीडिया पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया से इस्तीफे का ऐलान करते हुए मुखिम ने लिखा, "अब जब दिवाली खत्म हो गयी है और चीजें दोबारा अपनी तरह से शुरू हो चुकी हैं. मैं गिल्ड और उसके सभी सदस्यों को बताना चाहती हूं कि मैं इसकी सदस्यता से इस्तीफा देने का मन बना चुकी हूं. इसलिए मेरा इस्तीफा आज ही स्वीकृत किया जाये. मैंने हाईकोर्ट का ऑर्डर गिल्ड के साथ साझा कर उम्मीद जताई थी कि वह इस आदेश की आलोचना में एक बयान जारी करेगा, पर संस्था चुप रही."
मुखिम ने दावा किया कि, "उन्होंने एडिटर्स गिल्ड को इस केस के बारे में डिटेल में जानकारी दी थी. उन्होंने पत्र में लिखा है कि विडंबना है कि मेरे हिसाब से गिल्ड सेलिब्रिटी एडिटरों और एंकरों को बचाने और जानबूझकर अपने ही एक सदस्य की आवाज को नजरअंदाज करने का काम कर रहा है."
नॉर्थ ईस्ट के एक प्रमुख अखबार ‘द शिलांग टाइम्स’ की पद्मश्री से सम्मानित संपादक पेट्रीसिया मुखिम ने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया से इस्तीफा दे दिया है. मुखिम का आरोप है कि हाल ही में हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ जो फैसला सुनाया, उस मामले पर संस्था ने उनका साथ नहीं दिया और पूरी तरह चुप्पी साधे रखी.
बता दें कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया देशभर के मीडिया संस्थानों के संपादकों का समूह है. मुखिम को नॉर्थ ईस्ट में कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय और वहां रहने वाले लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले पत्रकार के तौर पर जाना जाता रहा है. उनका आरोप है कि पत्रकारों की यह बड़ी संस्था सिर्फ "सेलिब्रिटी
पत्रकारों’ का ही बचाव करती है. अपने इस्तीफे में, पेट्रीसिया मुखिम ने टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे गिल्ड ने अर्नब गोस्वामी (जोकि गिल्ड के सदस्य भी नहीं हैं) की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए बयान जारी किया था, वो भी उस केस में जिसका पत्रकारिता से कुछ लेना-देना ही नहीं था, बल्कि खुदकुशी के लिए उकसाए जाने का आरोप था. जबकि उनके केस में संस्था द्वारा पूरी तरह से चुप्पी साध ली गई.
सोशल मीडिया पर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया से इस्तीफे का ऐलान करते हुए मुखिम ने लिखा, "अब जब दिवाली खत्म हो गयी है और चीजें दोबारा अपनी तरह से शुरू हो चुकी हैं. मैं गिल्ड और उसके सभी सदस्यों को बताना चाहती हूं कि मैं इसकी सदस्यता से इस्तीफा देने का मन बना चुकी हूं. इसलिए मेरा इस्तीफा आज ही स्वीकृत किया जाये. मैंने हाईकोर्ट का ऑर्डर गिल्ड के साथ साझा कर उम्मीद जताई थी कि वह इस आदेश की आलोचना में एक बयान जारी करेगा, पर संस्था चुप रही."
मुखिम ने दावा किया कि, "उन्होंने एडिटर्स गिल्ड को इस केस के बारे में डिटेल में जानकारी दी थी. उन्होंने पत्र में लिखा है कि विडंबना है कि मेरे हिसाब से गिल्ड सेलिब्रिटी एडिटरों और एंकरों को बचाने और जानबूझकर अपने ही एक सदस्य की आवाज को नजरअंदाज करने का काम कर रहा है."
General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.
Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?