अर्णबकांड: बार्क के पूर्व चेयरमैन पत्रकारों को निशाना बनाने के लिए ट्रोल सेना की मदद लेना चाहते थे

पार्थो दासगुप्ता एजेंसी की टीवी रेटिंगों की आलोचना करने के लिए राहुल कंवल जैसे पत्रकारों को ट्रोल कराना चाहते थे.

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जब हमने उस फोन नंबर को गूगल पर खोजा, तो हमें साहिब सिंह नाम के इस व्यक्ति का परिचय पत्र मिला.

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वहां पर हमें इस एजेंसी की वेबसाइट www.agency09.in मिली जहां उनके सभी ग्राहकों की एक सूची मौजूद थी.

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हमने दास गुप्ता के द्वारा संरक्षित किए गए नंबर पर साहेब सिंह से बात की. उन्होंने कहा, "वह इस प्रकार का कोई काम नहीं करते हैं और पूर्ण तरह एक रचनात्मक एजेंसी हैं." परंतु उन्होंने यह जरूर बताया कि बार्क के द्वारा रखे जाने से 6 महीने पहले, जो उनके अनुसार दिसंबर 2019 था, रेटिंग संस्था ने उनसे अपने आलोचकों से निपटने के तरीकों के बारे में पूछताछ की थी.

साहेब सिंह कहते हैं, "यह 'ट्रोल सेना' शब्द भी उन्हीं की तरफ से आया और हमने समझाया कि यह काम कैसे करती हैं. हमारी एजेंसी ऐसे काम नहीं करती और हमने उन्हें स्पष्ट तौर पर कहा कि यही बेहतर है कि वह अपनी पहुंच को नैसर्गिक रूप से बढ़ने दें. मैं मानता हूं कि उन्होंने हमें इसीलिए रखा."

यह पूछने पर कि क्या दासगुप्ता या किसी और व्यक्ति ने उनसे इस चैट के बाद संपर्क किया, सिंह जवाब देते हैं, "मुझे किसी ने ट्विटर सेना के बारे में पूछते हुए कॉल नहीं किया और मैंने कभी व्यक्तिगत तौर पर पार्थो या रोमिंग से बात नहीं की है."

हमने चैट में हुई इस बातचीत से जुड़े हुए प्रश्न, जैसे कि एजेंसी 09 कर रखा जाना और टोल सेना बनाने की योजनाएं, बार्क को भी भेजें. वहां से हमें यह जवाब मिला, "क्योंकि इस समय इस मामले की कई कानूनी संस्थाओं के द्वारा जांच चल रही है, हम आपकी पूछताछ का जवाब देने में अक्षम हैं."

हम जैसे-जैसे मुंबई पुलिस के द्वारा दिये गए दासगुप्ता व अन्य लोगों की जानकारी के पुलिंदे को खंगाल रहे हैं, हमें समाचार जगत को पूरी तरह मुट्ठी में रखने में प्रयासरत कुछ ताकतवर लोगों के समूह की अनैतिक योजना दिखाई पड़ रही है. बार्क के अधिकारियों द्वारा अपनी ट्रोलिंग की जरूरतों के बारे में खानचंदानी की सलाह चाहना, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क और उनके सोशल मीडिया काम पर भी सवाल उठाती हैं जो केवल अपने चैनल को बढ़ाना तक ही सीमित नहीं अपितु प्रतिद्वंदी चैनलों और एंकरों को ट्रोल कराने में भी लगी थी.

राजनीतिक दलों द्वारा अपने प्रतिद्वंदियों के खिलाफ मोटर के टोल इस्तेमाल करना और बात है, लेकिन एक तथाकथित तटस्थ संस्था बार्क के सीईओ के द्वारा यह किया जाना, एक बिल्कुल अलग ही तस्वीर प्रस्तुत करता है. बार्क को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनके अधिकारियों ने उनकी रेटिंग तंत्र की आलोचना करने वालों को ट्रोल कराने के कितने प्रयास किए.

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हमने दास गुप्ता के द्वारा संरक्षित किए गए नंबर पर साहेब सिंह से बात की. उन्होंने कहा, "वह इस प्रकार का कोई काम नहीं करते हैं और पूर्ण तरह एक रचनात्मक एजेंसी हैं." परंतु उन्होंने यह जरूर बताया कि बार्क के द्वारा रखे जाने से 6 महीने पहले, जो उनके अनुसार दिसंबर 2019 था, रेटिंग संस्था ने उनसे अपने आलोचकों से निपटने के तरीकों के बारे में पूछताछ की थी.

साहेब सिंह कहते हैं, "यह 'ट्रोल सेना' शब्द भी उन्हीं की तरफ से आया और हमने समझाया कि यह काम कैसे करती हैं. हमारी एजेंसी ऐसे काम नहीं करती और हमने उन्हें स्पष्ट तौर पर कहा कि यही बेहतर है कि वह अपनी पहुंच को नैसर्गिक रूप से बढ़ने दें. मैं मानता हूं कि उन्होंने हमें इसीलिए रखा."

यह पूछने पर कि क्या दासगुप्ता या किसी और व्यक्ति ने उनसे इस चैट के बाद संपर्क किया, सिंह जवाब देते हैं, "मुझे किसी ने ट्विटर सेना के बारे में पूछते हुए कॉल नहीं किया और मैंने कभी व्यक्तिगत तौर पर पार्थो या रोमिंग से बात नहीं की है."

हमने चैट में हुई इस बातचीत से जुड़े हुए प्रश्न, जैसे कि एजेंसी 09 कर रखा जाना और टोल सेना बनाने की योजनाएं, बार्क को भी भेजें. वहां से हमें यह जवाब मिला, "क्योंकि इस समय इस मामले की कई कानूनी संस्थाओं के द्वारा जांच चल रही है, हम आपकी पूछताछ का जवाब देने में अक्षम हैं."

हम जैसे-जैसे मुंबई पुलिस के द्वारा दिये गए दासगुप्ता व अन्य लोगों की जानकारी के पुलिंदे को खंगाल रहे हैं, हमें समाचार जगत को पूरी तरह मुट्ठी में रखने में प्रयासरत कुछ ताकतवर लोगों के समूह की अनैतिक योजना दिखाई पड़ रही है. बार्क के अधिकारियों द्वारा अपनी ट्रोलिंग की जरूरतों के बारे में खानचंदानी की सलाह चाहना, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क और उनके सोशल मीडिया काम पर भी सवाल उठाती हैं जो केवल अपने चैनल को बढ़ाना तक ही सीमित नहीं अपितु प्रतिद्वंदी चैनलों और एंकरों को ट्रोल कराने में भी लगी थी.

राजनीतिक दलों द्वारा अपने प्रतिद्वंदियों के खिलाफ मोटर के टोल इस्तेमाल करना और बात है, लेकिन एक तथाकथित तटस्थ संस्था बार्क के सीईओ के द्वारा यह किया जाना, एक बिल्कुल अलग ही तस्वीर प्रस्तुत करता है. बार्क को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनके अधिकारियों ने उनकी रेटिंग तंत्र की आलोचना करने वालों को ट्रोल कराने के कितने प्रयास किए.

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