छात्रों ने 25 अगस्त को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने कुछ शिक्षकों पर गंभीर आरोप लगाए.
दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार, 24 अगस्त को कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षाओं में हो रही अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में देशभर के 2000 से ज्यादा छात्र शामिल हुए थे.
दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन को "अवैध" करार देते हुए आगे की अनुमति रद्द कर दी जबकि छात्रों का दावा है कि उनके पास 24 अगस्त से 26 अगस्त शाम 5 बजे तक की अनुमति थी. पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन की अनुमति सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक थी, लेकिन छात्र निर्धारित समय के बाद भी प्रदर्शन करते रहे. जब पुलिस ने उन्हें हटने को कहा तो वे नहीं माने जिसके बाद पुलिस ने जबरन रामलीला मैदान खाली कराया.
इस प्रदर्शन के दौरान छात्रों और कुछ शिक्षकों के बीच भी टकराव की स्थिति बन गई. छात्रों का आरोप है कि कुछ शिक्षकों ने आंदोलन को कमजोर किया है. इस मुद्दे पर छात्रों ने 25 अगस्त को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने कुछ शिक्षकों पर गंभीर आरोप लगाए.
एक छात्र ने कहा, "ये टीचर रील बनाते हैं, बॉडीगार्ड लेकर चलते हैं, महंगी गाड़ियों में आते हैं. इन्होंने हमारा आंदोलन खत्म कर दिया. अगर ये चाहते तो आंदोलन सफल हो सकता था. हमारी समस्याओं का समाधान हो सकता था."
छात्र रवि सिंह ने कहा, "टीचर गुरु होते हैं, लेकिन अगर गुरु माफिया के हाथ लग जाए, तो पूरा गुरु समाज बदनाम होता है. रामलीला मैदान में ऐसा ही देखने को मिला. दो शिक्षकों ने छात्रों को टारगेट किया. उनकी मुहिम तो तोड़ने और उन्हें डराने की कोशिश की."
छात्र राम विलास सिंह ने कहा, "हमने यह अनुमति शांति से प्रदर्शन करने के लिए ली थी, लेकिन हमें नहीं पता था कि हमें पीटा जाएगा, हमारी हड्डियां तोड़ी जाएंगी और हमें जबरन वहां से भगाया जाएगा."
प्रेस कांफ्रेंस में शामिल छात्रा अना सिंह ने कहा, "प्रदर्शन में आई लड़कियां पुलिस से कह रही थीं कि हम आपके साथ सुरक्षित महसूस करते हैं, आप हमें अपने साथ रखें. लेकिन इसके बजाय पुलिस ने हमें डिटेन कर लिया. रात काफी हो चुकी थी, पुलिस वाले हमें गालियां दे रहे थे. आज हम प्रेस क्लब अपनी पॉकेट मनी से पहुंचे हैं. महीने का आखिरी चल रहा है, पैसे खत्म हो गए हैं, ऊपर से किराया बहुत महंगा है. इतने सब के बाद भी जब हम अपने हक के लिए आवाज उठाते हैं तो हमें ही परेशान किया जाता है."
इससे पहले 31 जुलाई को छात्रों और शिक्षकों ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में केडी कैंपस की फाउंडर और जानी-मानी शिक्षिका नीतू मैम समेत कई शिक्षक छात्रों के समर्थन में पहुंचे थे. इसके बाद 1 अगस्त को भी छात्र बड़ी संख्या में जंतर मंतर पर जुटे, लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां से खदेड़ दिया और कई छात्रों को हिरासत में ले लिया था. इसके बाद शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने एसएससी के चेयरमैन से भी मुलाकात की थी. इसके बाद कुछ दिनों के लिए आंदोलन शांत हो गया, लेकिन 24 अगस्त को छात्र फिर रामलीला मैदान में इकट्ठा हुए.
बता दें कि प्रदर्शनकारी छात्र लंबे समय से एसएससी परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं. उनका आरोप है कि परीक्षा प्रक्रिया में बार-बार तकनीकी खामियां, पेपर लीक और रिजल्ट में देरी जैसी गंभीर समस्याएं सामने आ रही हैं, जिससे उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है. छात्र लगातार परीक्षा केंद्रों का गलत आवंटन, तकनीकी गड़बड़ियां, परीक्षाओं का अचानक रद्द होना, आंसर की में गलतियां, छात्राओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठा रहे हैं.
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