अमेरिकी टैरिफ़ पर चर्चा के बहाने बाबा रामदेव टीवी स्टूडियोज़ को पतंजलि के प्रचार का मंच बनाते नजर आए. वहीं मीडिया के लिए भी मानो असली मुद्दा टैरिफ नहीं बल्कि टीवी स्क्रीन को पतंजलि विज्ञापनों के 'योगस्थल' में बदलना था.
बुधवार का दिन टीवी न्यूज़ एंकरों के लिए काफी व्यस्तता भरा रहा, वहीं, बाबा रामदेव के लिए भी कम मसरूफियत नहीं थी. ऐसा लगा मानो किसी योग के ‘चमत्कार’ से पतंजलि के सह-संस्थापक एबीपी न्यूज़, आज तक, न्यूज़18 इंडिया, इंडिया टीवी और रिपलब्लिक टीवी पर एक ही दिन नजर आए और मुद्दा भी एक ही था- अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ और उसके जवाब में 'स्वदेशी' का आह्वान.
मालूम हो कि इस महीने की शुरुआत में लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को लोकल यानि स्वदेशी अपनाने की अपील की थी, और स्वदेशी जागरण मंच से लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तक ने उसे दोहराया.
लेकिन असल में यह विचार करने का समय है. गौरतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में उत्पादन की हिस्सेदारी लगातार गिरती जा रही है. विवेक कौल न्यूज़लॉन्ड्री के इस लेख में आंकड़ों के जरिए बताते हैं कि कैसे यह लगभग चार दशकों में सबसे निचले स्तर पर आ गई है. ऐसे में जब मीडिया इस बारे में ठीक से सवाल नहीं उठा रही है तो आसान रास्ता क्या हो सकता है?
जवाब है- भावनात्मक अपील, पतंजलि का कभी न खत्म होने वाला विज्ञापन बजट, एक और बहिष्कार की मुहिम, ठीक वैसे ही जैसी टीवी ने पहले चीन को लेकर चलाई थी. वरना इतने सारे प्राइम-टाइम इंटरव्यू, वो भी एक ही दिन और एक ही मुद्दे पर और भी लगभग सब समाचार चैनलों पर, क्योंकर ये सवाल उठे?
वैसे भी टीवी न्यूज़रूम तो रामदेव के लिए पसंदीदा योग स्थल रहे हैं. जहां उन्होंने विज्ञान से लेकर तर्क तक सबको चुनौती दी. यहां तक कि एलोपैथी को विदेशी साज़िश बताया. और इन सब ‘प्रवचनों’ के बीच टीवी पर भर-भर के पतंजलि के विज्ञापनों देखने को मिलते ताकि पतंजलि के खज़ाने और चैनलों के विज्ञापन दोनों की सेहत बनी रहे.
रामदेव के भ्रामक दावों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और उन्होंने बिना शर्त माफी मांग ली. कोर्ट ने उन्हें भविष्य में ऐसा न करने की सख्त हिदायत दी और इस तरह मामले का पटाक्षेप हो गया. अब रामदेव दोबारा टीवी चैनलों पर नजर आए और “स्वदेशी” के पुराने मंत्र की नई परिभाषा बताने लगे. आइए देखते हैं एक-एक कि उन्होंने किस चैनल पर क्या कहा.
आज तक
रामदेव से “मेगा एक्सक्लूसिव” बातचीत में श्वेता सिंह ने आजादी से पूर्व महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए स्वदेशी के आंदोलन का श्रेय बाबा रामदेव को देते हुए कहा, “आज अगर हम इस स्थिति में यह कहने की स्थिति में है तो क्या हम समझे कि स्वदेशी का जो आंदोलन आपने इतनी मजबूती से शुरुआत जिसकी की थी वो वाकई स्थिति में है कि हम यह कह सकते हैं या फिर यह केवल कहने की बात है.” इसके बाद रामदेव ने उन्हें सुधारते हुए कहा कि स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत 1930 में हुई थी और साथ ही ये भी जोड़ा कि स्वदेशी जागरण के कार्य में आरएसएस की भी एक बड़ी भूमिका रही है. तब आगे श्वेता फिर से कहती हैं, “जब स्वदेशी आंदोलन से आपको जोड़कर शुरुआत की तो आजादी पूर्व इसकी शुरुआत जरूर हुई.. पर आजादी के बाद सब भूल गए थे. पिछले कुछ वर्षों से उसे दोबारा आवाज दी गई है.” आगे श्वेता पूछती हैं, “आज देश में सब समझना चाहते हैं कि ये केवल एक नारा है मेक इन इंडिया या फिर वाकई हकीकत में उसको जमीन पर हमने उतारा है.”
इसके जवाब में जवाब में रामदेव ने बड़े ही आराम से पतंजलि का विज्ञापन सरका दिया. उन्होंने कहा कि पतंजलि समूह का टर्नओवर (सालाना) लगभग 50,000 करोड़ रुपये है और इसके पीछे ‘परोपकार’ की भावना है.
रामदेव ने कहा, “उसके पीछे मंशा कोई अर्थ (धन) को अर्जित करने की नहीं है.. अर्थ के पीछे भी एक परमार्थ की भावना है कि देश का पैसा देश में रहे और देश की भारत माता की सेवा में लगे. देश के उत्थान, उत्कर्ष में लगे…क्योंकि हमारे लिए स्वदेशी मात्र एक प्रोडक्ट नहीं है. ये एक विचार है. ये एक संस्कार है. एक संस्कृति, एक स्वाभिमान है. स्वदेशी शिक्षा, स्वदेशी चिकित्सा, स्वदेशी अर्थव्यवस्था, स्वदेशी खेती.”
न्यूज़18 इंडिया
अपने “एक्सक्लूसिव” शो में अमन चोपड़ा ने पूछा, “कुछ लोग कह रहे हैं [टैरिफ] आपदा है, एक संकट है. लेकिन मैं आपका बयान सुन रहा था कि आपदा नहीं है, एक अवसर है. मुझे समझाइए कैसे? जीडीपी और बिज़नेस का क्या होगा?.”
रामदेव तुरंत से अर्थशास्त्री बन गए और बोले, “जीडीपी अच्छी होगी. भारत की ग्रोथ रेट अच्छी होगी. भारत की करेंसी की वैल्यू ज्यादा होगी. भारत की जो आर्थिक प्रगति है वह ज्यादा होगी..”
आगे वो एक सवाल के जवाब में इस ‘आपदा’ से निपटने का तरीका भी बताते हैं. रामदेव कहते हैं, “एक बार अमेरिका की सारी कंपनियों का बहिष्कार करो आप कोका कोला से लेकर के पेप्सी… मैकडॉन्ल्ड का, सबवे का, केएफसी का, कोका कोला का, एप्पल का और भी जितने भी अमेरिकन कपड़े हैं, जूते हैं, चप्पल हैं जो भी उनके कॉस्मेटिक्स हैं, हेयर केयर, डेंटल केयर, स्किन केयर और अब हमारे पास बेस्ट ऑप्शन्स हैं, अफोर्डेबल हैं और देश का पैसा देश मिले, देश की सेवा मिले तो क्या दिक्कत है?.”
एबीपी न्यूज़
अपनी “सुपर एक्सक्लूसिव” बातचीत में चित्रा त्रिपाठी ने रामदेव से पूछा, “स्वदेशी को लेकर हिंदुस्तान को जगाने का काम आपकी ओर से किया गया. हालांकि, आप देश के बहुत बड़े व्यापारियों में भी शुमार होते हैं.”
इस पर रामदेव वही अर्थ से परमार्थ वाली बात दोहराते हैं लेकिन इस चैनल पर वह एक कदम और आगे निकल जाते हैं और पूछते हैं कि देश की बाकी कंपनियों ने देश के लिए क्या किया है. रामदेव कहते हैं, “पतंजलि का तो सारा अर्थ (धन) परमार्थ के लिए, यूनिलीवर का किसके लिए है? कोलगेट का किसके लिए? कोका कोला पेप्सी वालों ने देश के लिए क्या किया है?.”
गौरतलब है कि रामदेव का ये बयान उनके उस दावे से मिलता-जुलता ही है, जब उन्होंने हमदर्द के रूहअफ़ज़ा शरबत को एक विज्ञापन के जरिए निशाना बनाकर कंपनी पर ‘जिहाद’ को सपोर्ट करने का आरोप लगाया था. और बाद में कंपनी उन्हें कोर्ट तक घसीटा. जहां दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सख्त टिप्पणियां की और उन्हें विज्ञापन हटाना पड़ा. इतना ही नहीं रामदेव का ये दावा कि पतंजलि का सारा पैसा भलाई के लिए है उस पर भी संदेह के बादल तब मंडराने लगते हैं जब रामदेव द्वारा योग और आयुर्वेद को बढ़ाने के नाम पर बनाई गई चैरिटेबल संस्था सालों तक परमार्थ का कोई काम नहीं करती और उल्टा इसका इस्तेमाल व्यापार बढ़ाने के लिए होता है.
इंडिया टीवी
‘कॉफ़ी पर कुरुक्षेत्र’ नामक इस कार्यक्रम में किसी ने कॉफ़ी की चुस्की तो नहीं ली लेकिन पत्रकार सौरव शर्मा ने रामदेव से स्वदेशी भावना पर खूब भावनात्मक चर्चा की. यहां रामदेव ने कहा, “कोई भी देशभक्त नागरिक, भारत का जागरूक नागरिक- जो भारत माता को प्यार करता है, चाहे किसी भी मजहब का है, हिंदू है, मुसलमान है, सिख है, ईसाई है, पढ़ा लिखा है, अनपढ़ है, पैसे वाला है.. एप्पल के शोरूम पर अब कोई भारतीय नागरिक दिखना नहीं चाहिए.. जब तक ट्रंप के होश ठिकाने नहीं आ जाते. अभी मैकडॉनल्ड्स में कुछ दिन जाना बंद कर दो. अपना दाल रोटी सब्जी खाओ, बढ़िया है. अभी सबवे पर भी मत जाओ. केएफसी भी मत खाओ, वैसे भी उसमें पता नहीं क्या कूड़ा कचरा खिलाते हैं.. जीव-जंतु खिलाते हैं. कोका कोला, पेप्सी भी मत पीयो और जितने भी एडिडास, प्यूमा, नाइकी.. जितने भी ब्रांड हैं… बाकी जितनी भी अमेरिकी कंपनियां हैं, जितनी अमेरिकी ब्रांड्स हैं.. उनकी बैंड बजाओ.”
आगे रामदेव इसी बहिष्कार की अपील को देशद्रोह से जोड़ते नजर आते हैं. वो कहते हैं, “पूर्ण बहिष्कार (करो) और समाज के लोगों को जागरूकता के साथ कि भाई इस समय कोई भी अमेरिकी प्रोडक्ट्स यूज़ कर रहा है तो सीधा-सीधा देश के साथ धोखा है. देश के साथ एक तरह से आप अपराध कर रहे हैं.. यह नेशनल क्राइम हो रहा है एक तरह से और यह राष्ट्र के साथ कृतघ्नता है. हम लाखों वीर वीरांगनाओं ने शहादत कुर्बानियां देकर के जिस देश को आजादी दिलाई ये एक आर्थिक आजादी की लड़ाई है..”
आगे रामदेव कहते हैं, “अब अगर भारत, चीन, रूस, कुछ अरब देश और कुछ यूरोपीय देश मिलकर नया गठबंधन बना ले, तो डॉलर (का मूल्य) सीधा आधा हो सकता है.”
रिपब्लिक भारत
“सुपर एक्सक्लूसिव” इंटरव्यू में रिपोर्टर सागर मिश्रा से रामदेव ने कहा, “भारत आज इस ताकत में है..कि उसे कोई नकार नहीं सकता. 150 करोड़ का देश है. इतना बड़ा बाजार है.. उपभोक्ता की दृष्टि से भी देखें तो. और भारत को साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, क्रीम पाउडर से लेकर के हर चीज में.. (चाहे) कुछ भी हम प्रयोग कर रहे हैं जिंदगी में 100% स्वदेशी का आग्रह तो रखना ही चाहिए. देश का पैसा देश में रहे देश की सेवा में लगे.”
इसके पहले रामदेव ने मीडिया के कंधे पर बंदूक रखते हुए कहा कि मीडिया अमेरिकी उत्पादों की एक सूची जारी करे ताकि लोग ठीक से उन उत्पादों का बहिष्कार कर सकें. रामदेव कहते हैं, “एक सप्ताह में अमेरिका अपनी औकात में आ जाएगा या भारत के सामने नतमस्तक साष्टांग दंडवत प्रणाम करने लग जाएगा… मैं तो कहता हूं सारे मीडिया चैनल वालों को ना जितने भी अमेरिकी ब्रांड्स हैं, अमेरिकी कंपनी हैं उनका सबका लिस्ट जारी कर दो आप लोग.”
और अंत में हर बार की तरह रामदेव ने यहां भी पतंजलि का गुणगान किया और धीरे से उसका विज्ञापन सरका दिया. वो कहते हैं, “पतंजलि स्वदेशी की प्रेरणा बना. स्वावलंबी आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा बना और इसके बिना देश बढ़ता भी नहीं है. आपको 100% दृढ़ता के साथ प्रामाणिकता के साथ रिसर्च हो, इनोवेशन हो, इन्वेंशन हो, जितनी भी युग धर्म की आवश्यकताएं हैं उन आवश्यकताओं के अनुरूप आपको अपने आप को गढ़ना पड़ेगा…. हर दृष्टि से भारत एक सक्षम राष्ट्र है और उसको अपनी भूमिका वैसे निभानी चाहिए.”
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